लखनऊ: मौजूदा समय में बच्चों के पथरी की समस्या काफी सामने आ रही है. सिविल अस्पताल के बाल रोग विभाग के डॉ. वीके गुप्ता ने बताया कि छोटे बच्चों में पथरी की समस्या काफी हो रही है. हमारी ओपीडी में काफी बच्चे ऐसे आते हैं, जिनकी जांच कराने के बाद पता चलता है कि उनके गॉलब्लैडर में पथरी है. ज्यादातर पथरी बच्चों के गॉलब्लेडर में ही हो रही है. वैसे तो आज 10 में से छह लोगों को पथरी है. यह बीमारी आम हो गई है. लेकिन बच्चों में पथरी की समस्या उनकी पूरी जीवनशैली को बदल सकता है क्योंकि उनके सामने उनका पूरा भविष्य पड़ा है.
डॉक्टर वीके गुप्ता ने बताया कि संपूर्ण आहार न मिलने की वजह से यह समस्या हो रही है. गरीब परिवार के बच्चों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है. अस्पताल की ओपीडी में 5 फीसदी बच्चों में यह समस्या पाई जा रही है. खास बात यह है कि बच्चों में ज्यादातर गॉलब्लैडर में पथरी हो रही है, जिसका सीधे ऑपरेशन कराया जाता है अभी तक गॉलब्लेडर से पथरी निकालने की पद्धति नहीं आई है.
ऐसे में ऑपरेशन के दौरान सर्जन बच्चे का गॉलब्लैडर निकाल देते हैं. इसका कोई दूसरा माध्यम नहीं है गॉलब्लैडर में पथरी होने का मतलब कि गॉलब्लैडर को काट के निकाल दिया जाए. लेकिन छोटे बच्चे के शरीर से गॉलब्लैडर निकल जाने के कारण बच्चे को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि गॉलब्लैडर का काम खाना पचाना है. गॉलब्लैडर से जो पित्त निकलता है, खाना पचाने का कार्य करता है. ऐसे में भविष्य में बच्चों के सामने कई समस्याएं और जाती हैं और वह बचपन से ही बीमार रहने लगते हैं.
जंक फूड भी बड़ी वजह
उन्होंने बताया कि वर्तमान में हमारी जीवन शैली में जंक फूड, कोल्ड्रिंक इत्यादि का सेवन ज्यादा बढ़ चुका है. पेरेंट्स जो खुद खाते हैं वहीं, बच्चे को खिलाते हैं. ऐसा बिल्कुल भी न करें. जितना हो सके बच्चों को पौष्टिक आहार दें. क्या आप जानते हैं कि मैदा का समान (नूडल्स, माइक्रोनी, मोमोज) कितना ज्यादा नुकसानदायक होता है. इसकी जो चटनी होती है वह कितनी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. बावजूद इसके लोग जंक फूड खाते हैं और बच्चे को भी खिलाते हैं.
इसे भी पढ़ेंः सीएम योगी से मिले इजराइल के राजदूत, दोनों देशों की बीच संबंध मजबूत करने पर हुई चर्चा
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह (CMS Dr. RP Singh) ने बताया कि जंक फूड में ऐसे क्रिस्टल होते हैं जो हमारे शरीर में एकत्रित होकर स्टोन का रूप ले लेते हैं और फिर वही स्टोन हमें तकलीफ देता है. कुछ सब्जियां भी ऐसी हैं जिसमें अधिक क्रिस्टल होते हैं जैसा कि पालक, बैंगन, टमाटर, अरबी इत्यादि.
ऐसे में बच्चों को जितना हो सके देसी चीजें खिलाएं ऐसा नहीं है कि यह सारी चीजें बिल्कुल भी नहीं खानी है. लेकिन एक लिमिट तक देनी है. पांच-छह साल के बच्चे को खाने में दाल का पानी या पतली दाल, दूध, हल्दी दूध, मौसमीय फल और ड्राई फ्रूट्स को पीसकर दूध में मिलाकर दिया जा सकता है. जितना हो सके उतना बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाएं मूंगफली, सोयाबीन, हरे मूंग और चना इत्यादि का सेवन करें.
हेल्दी डाइट की जरूरत
उन्होंने बताया कि स्टोन किस वजह से हुआ पहले यह पता किया जाता है. शरीर में जिस तत्व की मात्रा ज्यादा या कम होती है फिर उस चीज को बढ़ाया घटाकर डाइट उस हिसाब से भी जाती है. लेकिन बचाव के लिए पहले से ही हमें सावधानी बरतनी चाहिए. बच्चों को पौष्टिक आहार देना चाहिए. जंक फूड नहीं देना चाहिए. कोल्ड ड्रिंक बहुत नुकसानदायक होता है. ऐसे में रोज कोल्ड ड्रिंक नहीं पीना चाहिए.
ऐसे रखें बच्चे का ख्याल
- बच्चे को घर का पौष्टिक आहार खाना (home nutritious food) दें.
- कोल्ड ड्रिंक बच्चों को कम से कम दें या बिल्कुल भी न दें.
- बच्चों को खाने में दलिया, पतली दाल, ड्राई फ्रूट्स, मौसमीय फल और जूस इत्यादि दें.
- बच्चे को समय-समय पर एक गिलास पानी पिलाते रहे. ताकि बच्चे डिहाइड्रेशन के शिकार होने से बचें.
- अगर बच्चे के पेट में जरा भी दर्द हो रहा है तो किसी अच्छे पीडियाट्रिशियन को दिखाएं. इसमें लापरवाही बिल्कुल भी न करें.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप