लखनऊ: हमारे आसपास भी कुछ ऐसे बच्चे देखने को मिल जाते हैं, जो शारीरिक या मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते या सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) नामक बीमारी से जूझ रहे होते हैं. सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव कहते हैं कि सेरेब्रल पाल्सी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जो बच्चों की शारीरिक गति, चलने और बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है.
दरअसल, सेरेब्रल शब्द का अर्थ मस्तिष्क के दोनों भाग होता है और पाल्सी शब्द का मतलब शारीरिक गति की कमजोरी या समस्या है. यह एक तरह की विकलांगता है, जिसमें बच्चों को सामान पकड़ने और चलने में समस्या होती है. यह रोग मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है. कुछ बच्चे जन्म के समय से ही मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं. इस रोग के बारे में जानने के बाद बच्चों के अभिवावक मायूस हो जाते हैं. सेरेब्रल बीमारी के शिकार हुए बच्चों को उठने-बैठने, चलने और बोलने में दिक्कत हो सकती है.
जन्मजात भी होती है समस्या
सिविल अस्पताल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. संजय जैन कहते हैं कि यह रोग कई बार जन्मजात होता है या फिर मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है. समय रहते अगर इसका इलाज कराया जाए, थेरेपी कराई जाए तो यह खतरनाक साबित नहीं होता है.
जागरूकता है जरूरी
डॉक्टर्स बताते हैं कि सिविल अस्पताल में रोजाना इस डिसऑर्डर से पीड़ित एक दो बच्चे आते हैं. वहीं पूरे महीने में लगभग 10 से 15 के बीच में ऐसे केस आते हैं. इनके माता-पिता को अच्छी तरह इस बीमारी के बारे में बताया जाता है और इलाज किया जाता है. डॉ. संजय जैन बताते हैं कि इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर को लेकर लोगों में जागरूकता करना बेहद जरूरी है. क्योंकि कई माता-पिता डिसऑर्डर के बारे में जानते नहीं हैं. इसीलिए जब उनके बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास नहीं होता है तो उन्हें समझ में नहीं आता कि बच्चे को कुछ हुआ है.
- मस्तिष्क में सही से रक्त प्रवाह न होने के कारण
- सिर में चोट लगने के कारण
- दिमाग की चोट के कारण
- कुछ इन्फेक्शन्स जैसे मैनिन्जाइटिस या एनसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार) के कारण
सेरेब्रल पाल्सी के कुछ सामान्य लक्षण
- वाणी में कठिनाई
- विलंबित मोटर कौशल विकास
- शरीर के एक तरफ मूवमेंट में समस्याएं
- इंकॉन्टीनेंस
- कठोर या फ्लॉपी मांसपेशियां
- अनैच्छिक मूवमेंट्स और झटके
- ड्रूलिंग
- सीज़र्स
- समन्वय और संतुलन का अभाव
फिजियोथेरेपी है मददगार
डॉ. जैन कहते हैं कि डॉक्टर अंतिम निदान करने के लिए विभिन्न इमेजिंग परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं. इसमें एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग), सीटी स्कैन (कम्प्यूटेड टोमोग्राफी), ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम), क्रेनियल अल्ट्रासाउंड शामिल हैं. डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव बताते हैं कि भारत में सेरेब्रल पाल्सी उपचार में अधिक विशिष्ट स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता के साथ काफी सुधार हुआ है और अच्छी तरह से प्रशिक्षित विशेषज्ञ फिजियोथेरेपी से सेरेब्रल पाल्सी के उपचार में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. सेरेब्रल पाल्सी थेरेपी को मांसपेशियों में अकड़न, दर्द से राहत और विभिन्न विशेष अभ्यासों के माध्यम से गतिशीलता में सुधार में मदद करने के लिए जाना जाता है. सेरेब्रल पाल्सी में फिजियोथेरेपी का मुख्य उद्देश्य सेरेब्रल पाल्सी वाले बच्चे को उनकी क्षमता के अनुसार पूर्ण फिटनेस और स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करता है.
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इन बातों का रखें ख्याल
- प्रसव प्रबंधन का उचित ध्यान रखना.
- बच्चे के जन्म के 1 मिनट बाद रोने की आवाज आना.
- जन्म के 1 मिनट बाद अगर बच्चा नहीं रोता है तो डॉक्टर को तुरंत कृत्रिम ऑक्सीजन देनी चाहिए.
- रूबेला जैसी बीमारियों के लिए टीकाकरण की तारीख का ध्यान रखें. माना जाता है कि यह भ्रूण के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है.
- गर्भवती अपनी उचित देखभाल करें और किसी भी जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए पौष्टिक आहार लें, जिससे भ्रूण का मस्तिष्क क्षतिग्रस्त न हो.
- स्वास्थ्य जोखिम को कम करने के लिए प्रसव पूर्व देखभाल लें. कम वजन और संक्रमण के मामलों को रोकने के लिए जल्दी और निरंतर देखभाल करें.
- अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए कार में सीट बेल्ट लगाएं, साइकिल की सवारी करते समय हेलमेट पहनाएं.