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UPPCL पीएफ घोटाला: पूर्व एमडी के खिलाफ नहीं मिला सुबूत, 20 आरोपियों को राहत

उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड में 22 अरब के पीएफ घोटाले में 20 आरोपियों को राहत मिल गई. पहले UPPCL घोटाले की जांच कर रहे, EOW के निशाने पर 37 अफसर और कर्मचारी थे. सीबीआई जांच में इनमें से 20 आरोपियों को राहत मिल गयी.

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Published : Jul 20, 2021, 10:44 AM IST

लखनऊ: जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने UPPCL घोटाले की विवेचना की रफ्तार धीमी कर दी है. पहले UPPCL घोटाले की जांच कर रहे EOW के निशाने पर 37 अफसर और कर्मचारी था. इसमें पूर्व एमडी समेत 17 आरोपी जेल भेजे गए. इस दौरान जांच CBI को मिली, सीबीआई 40 से अधिक लोगों से इस मामले में पूछताछ भी की. फिर विवेचना की रफ्तार धीमी हो गई. इसमें 20 अन्य आरोपियों को राहत मिल गई है.

सूत्रों की मानें तो CBI पूर्व एमडी एपी मिश्र के खिलाफ भी कोई ठोस सुबूत नहीं जुटा सकी. बता दें कि इस बड़े आर्थिक घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है. UPPCL का 22 अरब का घोटाला वर्ष 2017 मई में हुआ था. तब नेता और अफसरों के गठजोड़ ने कर्मचारियों की भविष्य निधि का करोड़ों रुपये बैंक से निकालकर डीएफएचएल में निवेश कर दिया था.

उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्र
यूपी पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्र

शासन के आदेश पर हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 2019 में दो नवम्बर को एफआईआर दर्ज हुई. दो दिन बाद जांच EOW को दे दी गई. EOW ने पूर्व एमडी एपी मिश्र, निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी, सचिव पीके गुप्ता समेत 11 लोगों को तब गिरफ्तार किया था. इस दौरान पता चला था कि कई ब्रोकर एजेंट के जरिये अलग-अलग खातों से इस रकम का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया और ऊंचा कमीशन बांटा गया. फिर जांच के लिये SIT गठित हुई लेकिन बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

इस घोटाले की जांच मार्च 2020 में सीबीआई को दी गई थी. 5 मार्च 2020 को सीबीआई ने केस दर्ज कर ईडी के साथ सम्पत्तियों की जांच शुरू की. लॉकडाउन के समय सीबीआई ने कई ब्रोकर फर्म एजेंट्स व आईएएस अफसरों समेत करीब 40 लोगों से पूछताछ की. जब पूर्व वरिष्ठ आईएएस अफसरों से पूछताछ होने लगी तो हड़कम्प मच गया. कुछ समय बाद ही विवेचना थम सी गई. जांच के दायरे में कई सीए भी आये थे.

ये भी पढ़ें- कल्याण सिंह की हालत नाजुक, सांस लेने में हो रही दिक्कत


UPPCL फंड घोटाले में एक साल से जेल में बंद पूर्व एमडी एपी मिश्रा को दो दिन पूर्व हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी. हालांकि, एपी मिश्रा को सीबीआई कोर्ट में अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ा. इससे पहले एपी मिश्रा ने पिछले साल मई में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए कहा था. पूर्व एमडी एपी मिश्रा की गिरफ्तारी यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नवंबर 2019 में की थी. बताया जा रहा कि सीबीआई के साक्ष्य पेश न कर पाने के कारण पूर्व एमडी एपी मिश्रा को जमानत दी गयी. पूर्व एमडी एपी मिश्रा ने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी. वह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बहुत करीबी माने जाते हैं.

लखनऊ: जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने UPPCL घोटाले की विवेचना की रफ्तार धीमी कर दी है. पहले UPPCL घोटाले की जांच कर रहे EOW के निशाने पर 37 अफसर और कर्मचारी था. इसमें पूर्व एमडी समेत 17 आरोपी जेल भेजे गए. इस दौरान जांच CBI को मिली, सीबीआई 40 से अधिक लोगों से इस मामले में पूछताछ भी की. फिर विवेचना की रफ्तार धीमी हो गई. इसमें 20 अन्य आरोपियों को राहत मिल गई है.

सूत्रों की मानें तो CBI पूर्व एमडी एपी मिश्र के खिलाफ भी कोई ठोस सुबूत नहीं जुटा सकी. बता दें कि इस बड़े आर्थिक घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है. UPPCL का 22 अरब का घोटाला वर्ष 2017 मई में हुआ था. तब नेता और अफसरों के गठजोड़ ने कर्मचारियों की भविष्य निधि का करोड़ों रुपये बैंक से निकालकर डीएफएचएल में निवेश कर दिया था.

उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्र
यूपी पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्र

शासन के आदेश पर हजरतगंज कोतवाली में वर्ष 2019 में दो नवम्बर को एफआईआर दर्ज हुई. दो दिन बाद जांच EOW को दे दी गई. EOW ने पूर्व एमडी एपी मिश्र, निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी, सचिव पीके गुप्ता समेत 11 लोगों को तब गिरफ्तार किया था. इस दौरान पता चला था कि कई ब्रोकर एजेंट के जरिये अलग-अलग खातों से इस रकम का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया और ऊंचा कमीशन बांटा गया. फिर जांच के लिये SIT गठित हुई लेकिन बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

इस घोटाले की जांच मार्च 2020 में सीबीआई को दी गई थी. 5 मार्च 2020 को सीबीआई ने केस दर्ज कर ईडी के साथ सम्पत्तियों की जांच शुरू की. लॉकडाउन के समय सीबीआई ने कई ब्रोकर फर्म एजेंट्स व आईएएस अफसरों समेत करीब 40 लोगों से पूछताछ की. जब पूर्व वरिष्ठ आईएएस अफसरों से पूछताछ होने लगी तो हड़कम्प मच गया. कुछ समय बाद ही विवेचना थम सी गई. जांच के दायरे में कई सीए भी आये थे.

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UPPCL फंड घोटाले में एक साल से जेल में बंद पूर्व एमडी एपी मिश्रा को दो दिन पूर्व हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी. हालांकि, एपी मिश्रा को सीबीआई कोर्ट में अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ा. इससे पहले एपी मिश्रा ने पिछले साल मई में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने के लिए कहा था. पूर्व एमडी एपी मिश्रा की गिरफ्तारी यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने नवंबर 2019 में की थी. बताया जा रहा कि सीबीआई के साक्ष्य पेश न कर पाने के कारण पूर्व एमडी एपी मिश्रा को जमानत दी गयी. पूर्व एमडी एपी मिश्रा ने अखिलेश यादव पर किताब भी लिखी थी. वह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बहुत करीबी माने जाते हैं.

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