लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में मृतक आश्रितों के 699 पद रिक्त हैं. इन पदों को भरे जाने की लगातार मांग उठ रही है. इसके लिए परिवहन निगम प्रबंधन की तरफ से प्रयास भी किए गए. परिवहन मंत्री ने भी कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री के सामने सारे प्रयास विफल हो गए. फिलहाल, मृतक आश्रितों की भर्ती पर ब्रेक लग गया है. कैबिनेट ने मृतक आश्रितों की भर्ती वाली फाइल वापस कर दी है.
उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने स्वीकार किया है कि मृतक आश्रितों को नियुक्ति के लिए मैंने और प्रमुख सचिव ने कैबिनेट के समक्ष काफी प्रयास किए. मुख्यमंत्री से भी आग्रह किया, लेकिन हम उस वक्त निरुत्तर हो गए जब तर्क दिया गया कि परिवहन निगम घाटे में चल रहा है. 12 जुलाई 2003 को सरकार की तरफ से एक नियम बनाया गया था. जिसके तहत जब तक कोई निगम घाटे में रहता है तब तक नियुक्ति नहीं की जा सकती है. इसी की वजह से मृतक आश्रितों की नियुक्ति पर रोक लगी है.
परिवहन मंत्री ने कहा है कि निगम के प्रबंध निदेशक ने अवगत कराया है कि 150 करोड़ रुपए के घाटे की भरपाई करके अब परिवहन निगम ₹14 करोड़ के फायदे में है. ऐसे में एक बार फिर मृतक आश्रितों की भर्ती का प्रस्ताव कैबिनेट में ले जाएंगे, जिससे उन्हें नौकरी मिल सके.
बता दें कि मृतक आश्रितों के जो पद परिवहन निगम में रिक्त हैं, उनमें से 518 कंडक्टर और 171 पद ड्राइवर के हैं. इन सभी की भर्ती होनी है यह मृतक आश्रित के दायरे में आते हैं. अंतिम बार 588 मृतक आश्रितों की भर्ती साल 2018 में हुई थी. उस समय परिवहन निगम फायदे में चल रहा था. इसके बाद कोरोना के कारण निगम का संचालन प्रभावित हुआ, जिससे काफी घाटा हो गया.
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अधिकारियों ने परिवहन मंत्री को विभिन्न विभागों पर निगम का करोड़ों रुपये बकाया होने की जानकारी दी. उन्होंने तर्क दिया कि अगर विभागों पर जो बकाया है वह परिवहन निगम को मिल जाए तो यूपीएसआरटीसी काफी लाभ में पहुंच जाएगा. कैबिनेट में मृतक आश्रित का प्रस्ताव जाएगा तो मुहर लग जाएगी. सभी 699 मृतक आश्रितों को आसानी से नौकरी भी मिल सकेगी.
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