लखनऊ: यूपी में चुनावी माहौल तेजी से तैयार हो रहा है. यहां सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर ब्राह्मण वोट बैंक पर है. बीते दिनों प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं को चुनाव अभियान में जुटने के लिए कहा गया था. आज गुरु पूर्णिमा के मौके पर पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी और कार्यकर्ता मंदिर और मठों में जाएंगे और वहां साधु-संतों का सम्मान किया जाएगा.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आज लाटूश रोड स्थित बौद्ध मंदिर, लाजपत नगर स्थित गुरुद्वारा चौक व बड़ी काली जी मंदिर चौक पहुंचकर साधु संतों का आशीर्वाद लेंगे और उनको सम्मानित करेंगे. इसके साथ ही पूरे प्रदेश में पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ता मंदिर मठों में पहुंचकर साधु संतों का सम्मान करेंगे.
स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि सेवा और सम्मान हमारा मूल आधार है. गुरु पूर्णिमा के दिन हम समाज व राष्ट्र को दिशा दिखाने वाले गुरु, श्रेष्ठजन सबसे संपर्क कर उनके योगदान के लिए आभार जताएंगे. उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में मंदिर, मठ, पूजा स्थलों व अन्य संस्थानों के प्रमुखों से भी भाजपा कार्यकर्ता संपर्क करेंगे. हर राष्ट्र निर्माण व सांस्कृतिक चेतना के संरक्षण के लिए मोदी-योगी सरकार के किए गए प्रयासों से अवगत कराएंगे.
उन्होंने कहा कि संतों व गुरुजनों के प्रति आदर भाव भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा रही है. भाजपा ने राजनीति में आदर्शवादी और मानवतावादी दृष्टिकोण को सदैव बढ़ाने कार्य किया है. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद व अंत्योदय भाजपा के मूल उद्देश्यों में शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक परंपराओं को उत्कृष्ट आयाम प्रदान किए हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का माध्यम नहीं है. अन्य विपक्षी दलों ने केवल सत्ता हथियाने के लिए देश में राजनीति की है. वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं ने सेवा कार्यों के जरिए राजनीति में सुचिता को प्रोत्साहित किया है. उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता साधु-संतों और गुरु जनों को सम्मानित करने उनके द्वार जाएंगे.
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के वर्चस्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में 56 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार जीते थे. इसमें बीजेपी के 44 विधायक थे. इसीलिए यूपी में सभी पार्टियों की नजर ब्राह्मणों के वोट बैंक पर है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब महज कुछ ही महीने और बाकी बचे हैं. राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूत करने के लिए नए समीकरण और रणनीति तैयार कर रही हैं. बसपा अध्यक्ष मायावती भी ब्राह्मण वोटों के जरिए सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठी हैं. बसपा ने ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूत करने के लिए ब्राह्मण सम्मेलन शुरू किया. 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को ब्राह्मणों का समर्थन मिला था और वो 403 में से 206 सीटें जीतकर उत्तर प्रदेश में सरकार बना पाई थी. राजनीतिक विश्लेषकों को मानना है कि सूबे की 10 से 13 फीसदी ब्राह्मण वोट अगर बीएसपी के पाले में चला गया तो यूपी में सत्ता परिवर्तन हो सकता है.
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इस समय सभी राजनीति पार्टियां ब्राह्मणों को यह समझाने में लगी हुई हैं कि यूपी सरकार ने उनकी उपेक्षा की है. कांग्रेस हो या आम आदमी पार्टी हो या समाजवादी पार्टी के नेता हों, सभी प्रदेश के ब्राह्मणों को अपने पाले में करने की जुगत में लगे हैं.