लखनऊ: भाजपा और उत्तर प्रदेश सरकार को लगातार तीन दिन में कई बार अपनों के ही बयानों और कुछ कार्रवाइयों की वजह से असमंजस का सामना करना पड़ा है. सबसे पहले तो राज ठाकरे के अयोध्या आगमन को लेकर बृजभूषण शरण सिंह के बयानों ने पार्टी को दोराहे पर खड़ा कर दिया. इसके बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यकर्ताओं को दलाली रोकने और अफसरों को हम खुद संभाल लेंगे संबधित बयान दे दिया. अभी एक रोज पहले सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान के मामले में सरकार को यह कहकर घेरा कि आखिर एक मामले में जमानत होने के बाद दूसरा मामला क्यों दर्ज किया जा रहा है.
इसके बाद अचानक अकर्मण्यता का आरोप लगाकर डीजीपी को हटा दिया गया. इन सारे मामलों में भाजपा और सरकार दोनों ही घिरे नजर आ रहे हैं. इसका जवाब देने में भाजपा के प्रवक्ताओं और नेताओं को पसीना छूट रहा है. इन बातों का जवाब भाजपा की ओर से पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. राज ठाकरे ने अयोध्या आना तय किया. उसके बाद में अयोध्या के भाजपा सांसद लल्लू सिंह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे के दौरे को लेकर उनके समर्थन में उतर आए हैं.
वहीं, कैसरगंज के भाजपा सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह राज ठाकरे के अयोध्या दौरे के विरोध में हैं. उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. उन्होंने कहा है कि वह राज ठाकरे को 5 जून को अयोध्या में प्रवेश नहीं करने देंगे. भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में अयोध्या के संत भी हैं. यही नहीं, बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी भी बृजभूषण सिंह के शरण के समर्थन में हैं. बृजभूषण शरण सिंह के विरोध को भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने उनका व्यक्तिगत विचार बताया है. लल्लू सिंह ने कहा कि जो भी अयोध्या आएगा, उसका स्वागत है. जो भी भगवान राम के शरण में आएगा उसका स्वागत है. उन्होंने कहा कि हनुमान जी की कृपा से अगर कोई अयोध्या में प्रभु श्री राम के चरणों में आता है तो उसका स्वागत है. भारतीय जनता पार्टी के ही दोनों नेता इस मुद्दे पर आमने-सामने आ गए हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 2 दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों की शिकायत की थी. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि कार्यकर्ता अपनी दलाली रोक दें, अफसरों को तो हम ठीक कर लेंगे. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता जबरदस्त तरीके से बैकफुट पर हैं. विपक्ष को मौका मिल गया है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके भाजपा को घेरा है. इसके बाद में आजम खान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिरकार आजम खान की जमानत होते ही नया मामला क्यों दर्ज किया जाता है. इसके बाद भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा. यही नहीं, अचानक उत्तर प्रदेश के डीजीपी को उनके पद से हटा दिया गया. उनको अकर्मण्य कहा गया.
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इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है आजम खान को जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि वो आरोप मुक्त हो गए हैं. उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह के राज ठाकरे के बयान को लेकर कहा कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है. कोई भी अयोध्या आ सकता है.
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