लखनऊ: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हथियार एकत्र करने व आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोपों में गिरफ्तार किए गए अल कायदा के सहयोगी संगठन अंसार गजवातुल हिन्द के मोहम्मद मुस्तकीम और मोहम्मद शकील की जमानत अर्जियों को एनआईए के प्रभारी विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा ने खारिज कर दिया है.
दोनों अभियुक्तों की जमानत का विरोध करते हुए एनआईए के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि इस मामले की रिपोर्ट 11 जुलाई को एटीएस ने गोमती नगर थाने में दर्ज कराई थी. बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया. एनआईए ने इस मामले में 29 जुलाई 2021 को दूसरी रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना शुरू की. विवेचना में पता चला कि जम्मू कश्मीर स्थित अल कायदा के आतंकियों ने आरोपी मिनहाज को ऑनलाइन संपर्क किया और अभियुक्त मिनहाज ने आतंकियों के साथ साजिश में शामिल होकर अंसार गजवातुल हिन्द के लिए सदस्यों की भर्ती की.
कहा गया कि मिनहाज ने मुशीरुद्दीन को यूपी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भर्ती किया. बताया गया कि मिनहाज और मुशीर ने धमाके करके भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हथियार और बम एकत्र किए. धमाकों के स्थान को चिन्हित किया. वहीं, शकील, मोहम्मद मुस्तकीम और मोहम्मद मोईद भी इस साजिश में शामिल थे. मोईद ने घटना करने के लिए मुस्तकीम को पिस्टल मुहैया कराई थी. जिसे एनआईए ने मिनहाज के घर से बरामद किया था.
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कहा गया कि आरोपी की अपराध में सक्रिय भूमिका थी. आरोपी मुस्तकीम व शकील अन्य आरोपी मिनहाज का पूर्व परिचित था. आरोपी मुस्तकीम ने मिनहाज और मुशीरुद्दीन के साथ 2021 के फरवरी में गाजियाबाद का दौरा किया. अपने साथियों की मदद के लिए अपने दामाद सद्दाम से सम्पर्क किया. वहीं आरोपी शकील ने मिनहाज के साथ घटना को अंजाम देने के लिए कानपुर का दौरा किया और यूपी में आतंकी घटना करने के लिए भारी मात्रा में असलहों और विस्फोटक को एकत्र करने का षड्यंत्र रचा.
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