लखनऊ : पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन ने जिस प्लांट को ऐशबाग में लगाना चाहिए था उसे गोमती नगर रेलवे स्टेशन पर लगाकर अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर दिया है. गोमती नगर रेलवे स्टेशन पर फिलहाल सिर्फ एक ट्रेन की वॉशिंग हो रही है, जबकि ऐशबाग कोचिंग डिपो (Aishbagh Coaching Depot) में रोजाना पुष्पक शताब्दी डबल डेकर सहित बीस ट्रेनों की धुलाई होती है. ऐसे में ये प्लांट ऐशबाग कोचिंग डिपो (Aishbagh Coaching Depot) में लगाए जाने से रेलवे और पर्यावरण दोनों को लाभ होना तय था.
लखनऊ के ऐशबाग कोचिंग डिपो (Aishbagh Coaching Depot) में शताब्दी, पुष्पक, डबलडेकर सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा ट्रेनों की धुलाई और मेंटेनेंस का कार्य होता है. प्रतिदिन डेढ़ सौ से अधिक बोगियों की वॉशिंग होती है. ऐसे में अगर पूर्वाेत्तर रेलवे प्रशासन ऐशबाग डिपो में आटोमेटिक वॉशिंग प्लांट (automatic washing plant) लगाए तो न केवल पानी की बचत होगी, बल्कि अनुरक्षण कार्य पर लगने वाला समय भी कम हो जाएगा, जिससे ट्रेनों की समयसारिणी बेहतर कर यात्रियों को राहत मिल सके. दरअसल, पूर्वाेत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की ओर से गोमतीनगर रेलवे स्टेशन पर आटोमेटिक वॉशिंग प्लांट लगाया गया है जो बोगियों की धुलाई कम पानी में कर रहा है. एक बोगी पर पहले जहां 300 लीटर पानी खर्च होता था, वहीं अब सिर्फ 60 लीटर पानी में बोगी साफ हो रही है. यही नहीं मैनपावर व संसाधनों की भी बचत हो रही है. गोमती नगर रेलवे स्टेशन कोचिंग डिपो में कामाख्या गोमतीनगर एक्सप्रेस की बोगियों की ही धुलाई हो रही है, लेकिन ऐशबाग कोचिंग डिपो (Aishbagh Coaching Depot) में सबसे ज्यादा ट्रेनों की मेंटनेंस व वॉशिंग होती है. अधिकारियों के अनुसार, यहां वीआईपी ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस, पुष्पक एक्सप्रेस, डबलडेकर एक्सप्रेस सहित करीब 20 ट्रेनों की धुलाई, साफ-सफाई व मरम्मत कार्य होता है. 150 से अधिक बोगियों की धुलाई होती है. रेलवे अधिकारियों की मानें तो ऐशबाग कोचिंग डिपो में आटोमेटिक वॉशिंग प्लांट लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कर्व व डिजाइन की वजह से यह मुमकिन नहीं था. गोमतीनगर स्टेशन भविष्य में लखनऊ का बड़ा स्टेशन बनकर उभरेगा, जिसमें इस नए आटोमेटिक वॉशिंग प्लांट की अहम भूमिका होगी.
रेलवे विशेषज्ञों की मानें तो वॉशिंग व मेंटेनेंस में अभी अमूमन छह से सात घंटे लग जाते हैं. आटोमेटिक प्लांट से यह काम तीन से चार घंटे में किया जा सकता है, जिससे समय बचेगा. मसलन, पुष्पक एक्सप्रेस मुम्बई से सुबह लखनऊ जंक्शन पहुंचती है. इसके बाद दिन में उसकी धुलाई सफाई होती है. यह काम जल्द निपट जाने से इसकी टाइमिंग सुधारी जा सकती है. ट्रेन को रात में रवाना करने की जगह शाम को चलाया जा सकता है. जिससे यात्रियों को राहत मिल सकती है. डबलडेकर, शताब्दी व अन्य ट्रेनों के साथ भी ऐसा किया जा सकता है.
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के चारबाग रेलवे स्टेशन पर तीन वॉशिंग लाइन हैं. यहां लखनऊ मेल, एसी एक्सप्रेस, गोमती एक्सप्रेस, एलटीटी एक्सप्रेस समेत आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों की वॉशिंग होती है. यहीं पर वंदे भारत एक्सप्रेस की वॉशिंग भी होगी. बोगियों की धुलाई पर कम पानी खर्च हो, इसके लिए अत्याधुनिक सिस्टम लगाने की तैयारी है.
इस बारे में दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल बताते हैं कि इन बोगियों की धुलाई पर रोजाना 45 हजार लीटर पानी खर्च होता है. यही नहीं छह से सात घंटे का वक्त भी लगता है. आटोमेटिक वॉशिंग प्लांट लग जाने से 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है. नौ हजार लीटर पानी में सफाई हो जाती है. इतना ही नहीं मेंटेनेंस में समय भी कम लगता है, जिससे ट्रेनों की समय सारिणी भी सुधारी जा सकती है.
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पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के जनसंपर्क अधिकारी महेश गुप्ता का कहना है कि ऐसा नहीं है कि ऐशबाग कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक वाॅशिंग प्लांट को लेकर योजना नहीं बनाई गई थी. बाकायदा यहां का सर्वे किया गया था, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था, इसलिए गोमती नगर स्टेशन पर ऑटोमेटिक वाॅशिंग प्लांट लगाया गया. भविष्य में यह पूर्वोत्तर रेलवे का बड़ा स्टेशन बनकर उभरेगा इसलिए पहले से ही प्लांट लगा दिया गया है. ट्रेनों की संख्या भी यहां से बढ़ेगी तो धुलाई का काम इसी ऑटोमेटिक वाॅशिंग प्लांट से होगा.
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