लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में अपना दल (एस) ने भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल की ओर से गुरुवार को एक बयान जारी किया गया है. जिसमें मांग की गई है कि एनडीए की ओर से इस बार उपाध्यक्ष पद के लिए दलित या ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. उपाध्यक्ष पद के लिए भाजपा का टिकट घोषित होने से पहले अपना दल की इस मांग को दबाव माना जा रहा है. भाजपा ने इस संबंध में कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है.
18 अक्टूबर को होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष पद के निर्वाचन के संबंध में आशीष पटेल ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव 2017 और 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की एनडीए सरकार और उत्तर प्रदेश की भाजपा गठबंधन की सरकार बनाने में पिछड़ा वर्ग एवं दलित वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ऐसे में विधानसभा का उपाध्यक्ष किसी दलित अथवा ओबीसी वर्ग के विधायक को बनाना चाहिए. ताकि पिछड़ा एवं दलित वर्ग में एक अच्छा संदेश जाए.
अपना दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष की इस पहल से प्रदेश के ओबीसी एवं दलित वर्ग में एक अच्छा संदेश जाएगा. बीजेपी प्रदेश नेतृत्व को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. इस मुद्दे पर भाजपा ने कोई पक्ष नहीं रखा है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समीर सिंह इस बयान को लेकर कोई टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है.
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बता दें कि विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी करते हुए विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए 18 अक्टूबर को चुनाव कराए जाने का फैसला किया है. इससे पहले 17 अक्टूबर को नामांकन सुबह 11 बजे से एक बजे तक होगा. 18 अक्टूबर को 11 बजे से एक बजे तक चुनाव कराया जाएगा. वहीं, भारतीय जनता पार्टी एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर चुकी है. जबकि समाजवादी पार्टी भी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी कर रही है. सपा ने कहा है कि विधानसभा नियमों के अनुसार विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष का होता है. ऐसे में यह पद सत्ता पक्ष को समाजवादी पार्टी को देना चाहिए, लेकिन वह नियमों और परंपराओं की हत्या करते हुए इस पर कब्जा करना चाहती है.