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कर्मचारियों समेत चिकित्सकों के स्थानांतरण में मनमानी का आरोप, मुख्यमंत्री से की शिकायत

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की. जिसमें बताया कि निदेशक प्रशासन एवं निदेशक पैरामेडिकल ने मनमाने ढंग से पिक एंड चूज के आधार पर ट्रांसफर किया है.

स्वास्थ्य विभाग
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Published : Jul 9, 2022, 6:46 PM IST

लखनऊ : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की. जिसमें बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में अनियमित स्थानांतरण का खेल रुक नहीं रहा है. 2018-19 में व्यापक स्तर पर हुई गड़बड़ियों की जांच में कई अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने के बावजूद भी 2022 के स्थानांतरण में वही खेल दोहराया गया है.

उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के स्थानांतरण में गड़बड़ी के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. सरकार ने 10 फीसदी स्थानांतरण करने की सीमा निर्धारित की थी. निदेशक प्रशासन एवं निदेशक पैरामेडिकल ने मनमाने ढंग से पिक एंड चूज के आधार पर चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को इधर से उधर किया है. बताया जा रहा है कि लेबल 1 के 450 डॉक्टरों का निजी अनुरोध पर स्थानांतरण किया गया है. सैकड़ों ऐसे डॉक्टर हैं जिनके अनुरोध को ठुकराकर स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि जुगाड़ फिट करने वाले डॉक्टर आसानी से मनचाही जगह पर फिट हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय में संक्रामक रोग शाखा है. वहां पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियन 25 से 30 वर्ष से काम कर रहे हैं, लेकिन किसी भी टेक्नीशियन का ट्रांसफर नहीं किया गया है. जनपदों में मनमाने ढंग से लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, डार्क रूम असिस्टेंट, ईसीजी टेक्नीशियन हटाए गए हैं.

जनपद वाराणसी में 25 से 30 साल से एक ही स्थान पर पड़े हुए चीफ फार्मासिस्ट, फार्मासिस्ट नहीं हटाए गए हैं, जबकि 6 साल से काम कर रहे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ईसीजी टेक्नीशियन राजेश श्रीवास्तव को वाराणसी मंडल से विंध्याचल मंडल स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि इसी तरह की अनियमिततायें जनपद लखीमपुर खीरी, प्रयागराज, महाराजगंज, कुशीनगर एवं अन्य कई जनपदों में हुई हैं. जहां पर स्थानांतरण नीति को दरकिनार करते हुए पिक एंड चूज के आधार पर पैरामेडिकल कर्मचारियों के स्थानांतरण किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि महानिदेशक ने स्थानांतरण में गड़बड़ियों की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई है. जिसका कोई अर्थ नहीं है. वह जांच कमेटी महानिदेशक के अधीन काम करने वाले अधिकारियों की बनी है. जांच कमेटी महानिदेशक के सभागार में बैठकर उनकी उपस्थिति में ही महानिदेशक के निर्देशानुसार काम कर रही है. स्थानांतरण में गड़बड़ियों पर मैंने स्वयं महानिदेशक डॉ. लिली सिंह से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके कार्यालय से यही अवगत कराया गया कि वह बहुत व्यस्त हैं बात नहीं कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें : 1.85 लाख गृह स्वामियों ने की हाउस टैक्स में हेरा-फेरी, अब भरना पड़ेगा यह जुर्माना
जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री से स्वास्थ विभाग के स्थानांतरण का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है. साथ ही अवगत कराया है कि स्थानांतरण की गड़बड़ियों से संबंधित सारे सबूत उनके पास उपलब्ध हैं. कोई भी विभागीय अधिकारी और मंत्री उन सबूतों को देखना नहीं चाहता है. ऐसे में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के साथ काम करने वाली योगी सरकार की छवि को धूमिल करने में स्वास्थ विभाग सबसे आगे है. जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री से शासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने की अपील की है.

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लखनऊ : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की. जिसमें बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में अनियमित स्थानांतरण का खेल रुक नहीं रहा है. 2018-19 में व्यापक स्तर पर हुई गड़बड़ियों की जांच में कई अधिकारियों पर कार्रवाई किए जाने के बावजूद भी 2022 के स्थानांतरण में वही खेल दोहराया गया है.

उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के स्थानांतरण में गड़बड़ी के सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं. सरकार ने 10 फीसदी स्थानांतरण करने की सीमा निर्धारित की थी. निदेशक प्रशासन एवं निदेशक पैरामेडिकल ने मनमाने ढंग से पिक एंड चूज के आधार पर चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को इधर से उधर किया है. बताया जा रहा है कि लेबल 1 के 450 डॉक्टरों का निजी अनुरोध पर स्थानांतरण किया गया है. सैकड़ों ऐसे डॉक्टर हैं जिनके अनुरोध को ठुकराकर स्थानांतरण नहीं किया गया, जबकि जुगाड़ फिट करने वाले डॉक्टर आसानी से मनचाही जगह पर फिट हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय में संक्रामक रोग शाखा है. वहां पर काम करने वाले लैब टेक्नीशियन 25 से 30 वर्ष से काम कर रहे हैं, लेकिन किसी भी टेक्नीशियन का ट्रांसफर नहीं किया गया है. जनपदों में मनमाने ढंग से लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, डार्क रूम असिस्टेंट, ईसीजी टेक्नीशियन हटाए गए हैं.

जनपद वाराणसी में 25 से 30 साल से एक ही स्थान पर पड़े हुए चीफ फार्मासिस्ट, फार्मासिस्ट नहीं हटाए गए हैं, जबकि 6 साल से काम कर रहे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ईसीजी टेक्नीशियन राजेश श्रीवास्तव को वाराणसी मंडल से विंध्याचल मंडल स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि इसी तरह की अनियमिततायें जनपद लखीमपुर खीरी, प्रयागराज, महाराजगंज, कुशीनगर एवं अन्य कई जनपदों में हुई हैं. जहां पर स्थानांतरण नीति को दरकिनार करते हुए पिक एंड चूज के आधार पर पैरामेडिकल कर्मचारियों के स्थानांतरण किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि महानिदेशक ने स्थानांतरण में गड़बड़ियों की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई है. जिसका कोई अर्थ नहीं है. वह जांच कमेटी महानिदेशक के अधीन काम करने वाले अधिकारियों की बनी है. जांच कमेटी महानिदेशक के सभागार में बैठकर उनकी उपस्थिति में ही महानिदेशक के निर्देशानुसार काम कर रही है. स्थानांतरण में गड़बड़ियों पर मैंने स्वयं महानिदेशक डॉ. लिली सिंह से कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके कार्यालय से यही अवगत कराया गया कि वह बहुत व्यस्त हैं बात नहीं कर सकती हैं.

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जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री से स्वास्थ विभाग के स्थानांतरण का संज्ञान लेने का अनुरोध किया है. साथ ही अवगत कराया है कि स्थानांतरण की गड़बड़ियों से संबंधित सारे सबूत उनके पास उपलब्ध हैं. कोई भी विभागीय अधिकारी और मंत्री उन सबूतों को देखना नहीं चाहता है. ऐसे में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के साथ काम करने वाली योगी सरकार की छवि को धूमिल करने में स्वास्थ विभाग सबसे आगे है. जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री से शासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने की अपील की है.

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