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प्राइवेट स्कूलों की फीस न बढ़ाने के शासनादेश को चुनौती, इलाहाबाद हाईकोर्ट में 3 फरवरी को सुनवाई होगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में प्राइवेट स्कूलों के फीस न बढ़ाने के शासनादेश को चुनौती दी गई. सरकार की ओर से हाईकोर्ट में महाधिवक्ता जवाब देंगे. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ने ये याचिका दाखिल की.

allahabad highcourt lucknow bench
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Published : Jan 31, 2022, 9:18 PM IST

लखनऊ: प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की फीस इस साल भी न बढ़ाए जाने सम्बंधी शासनादेश को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई. न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तिथि तय की है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अतुल राय व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया.

याचिका में सरकार के 7 जनवरी 2022 के शासनादेश को खारिज करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ये शासनादेश शैक्षिक संस्थानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है. कहा गया कि सरकार ने इस शासनादेश के तहत प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों में पिछले दो साल की तरह इस साल भी फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है. दलील दी गई है कि इससे बड़े पैमाने पर स्कूल व स्टाफ के हित प्रभावित हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- बेटे से करायी चचेरे भाई की हत्या, अज्ञात के खिलाफ लिखायी एफआईआर, आरोपी पिता-बेटा गिरफ्तार

वहीं सरकार की ओर से पेश अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इस मामले में महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे. लिहाजा मामले की सुनवाई किसी और दिन के लिए टाल दी जाए. न्यायालय ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले को 3 फरवरी को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. साथ ही न्यायालय ने इसी विषय से सम्बंधित तीन अन्य याचिकाओं के रिकॉर्ड भी उसी दिन पेश करने के आदेश दिया.

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लखनऊ: प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों की फीस इस साल भी न बढ़ाए जाने सम्बंधी शासनादेश को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई. न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तिथि तय की है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अतुल राय व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया.

याचिका में सरकार के 7 जनवरी 2022 के शासनादेश को खारिज करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ये शासनादेश शैक्षिक संस्थानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहा है. कहा गया कि सरकार ने इस शासनादेश के तहत प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों में पिछले दो साल की तरह इस साल भी फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है. दलील दी गई है कि इससे बड़े पैमाने पर स्कूल व स्टाफ के हित प्रभावित हो रहे हैं.

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वहीं सरकार की ओर से पेश अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इस मामले में महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे. लिहाजा मामले की सुनवाई किसी और दिन के लिए टाल दी जाए. न्यायालय ने अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले को 3 फरवरी को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया. साथ ही न्यायालय ने इसी विषय से सम्बंधित तीन अन्य याचिकाओं के रिकॉर्ड भी उसी दिन पेश करने के आदेश दिया.

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