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लखीमपुर खीरी हिंसा: अंकित दास की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - अंकित दास की जमानत याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी अंकित दास की जमानत याचिका को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Mar 5, 2022, 9:05 PM IST

लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जेल में निरुद्ध अंकित दास की जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से हलफनामा तलब किया. न्यायालय ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए सरकार को 10 दिनों का समय दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने अंकित दास की जमानत याचिका पर दिया. अंकित दास के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की. इसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया.


अंकित दास की जमानत याचिका में कहा गया कि एसआईटी ने जो आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें एक भी ठोस साक्ष्य अंकित दास के विरुद्ध नहीं हैं. किसी भी गवाह ने अंकित दास के घटना में शामिल होने की पुष्टि नहीं की. यह भी दलील दी गई है कि मामले के नामजद अभियुक्त आशीष मिश्रा की जमानत मंजूर हो चुकी है, जबकि अंकित दास का नाम विवेचना में लाया गया. ऐसे में उनको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- सुहागरात में पत्नी संग अप्राकृतिक कृत्य का आरोप, पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर पति को किया गिरफ्तार

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले एक मात्र नामजद अभियुक्त गृह राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो चुकी है. हालांकि उसकी जमानत को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इस पर 11 मार्च को सुनवाई होनी है.
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लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जेल में निरुद्ध अंकित दास की जमानत याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से हलफनामा तलब किया. न्यायालय ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए सरकार को 10 दिनों का समय दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल पीठ ने अंकित दास की जमानत याचिका पर दिया. अंकित दास के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की. इसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया.


अंकित दास की जमानत याचिका में कहा गया कि एसआईटी ने जो आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें एक भी ठोस साक्ष्य अंकित दास के विरुद्ध नहीं हैं. किसी भी गवाह ने अंकित दास के घटना में शामिल होने की पुष्टि नहीं की. यह भी दलील दी गई है कि मामले के नामजद अभियुक्त आशीष मिश्रा की जमानत मंजूर हो चुकी है, जबकि अंकित दास का नाम विवेचना में लाया गया. ऐसे में उनको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले एक मात्र नामजद अभियुक्त गृह राज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हो चुकी है. हालांकि उसकी जमानत को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इस पर 11 मार्च को सुनवाई होनी है.
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