लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मोडिफाइड साइलेंसरों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव, गृह के जवाब पर असंतोष जताया है. न्यायालय ने इस सम्बंध में आए प्रमुख सचिव, गृह के जवाब पर कहा कि ऐसा लगता है कि वह इस मामले पर हमारे द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के उद्देश्य को समझ ही नहीं सके.
कोर्ट ने पूछा कि सिर्फ तीन दिन का अभियान चलाकर ही मॉडिफाइड साइलेंसर वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई क्यों की हो रही है. नियमित तौर पर ऐसे वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. कोर्ट ने तीन सप्ताह में गृह व परिवहन विभागों के अपर मुख्य सचिवों व पुलिस महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर, इस सम्बंध में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.
अदालत प्रमुख सचिव, गृह के शपथ पत्र से संतुष्ट नहीं दिखी. न्यायालय ने उनके शपथ पत्र में साइलेंसरों को उद्योग मंत्रालय का विषय बताने पर असंतुष्टि जाहिर की. साथ ही न्यायालय ने शपथ पत्र में 27 से 29 सितंबर तक विशेष अभियान चलाकर ऐसे वाहनों पर कार्रवाई सम्बंधी प्रमुख सचिव, गृह द्वारा जारी निर्देश पर कहा कि सिर्फ तीन दिन का ही अभियान क्यों, नियमित तौर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. ऐसा लगता है कि प्रमुख सचिव, गृह ने मामले में हमारे द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के उद्देश्य को समझा ही नहीं है.
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यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने मॉडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण’ टाइटिल से दर्ज स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर पारित किया है. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पिछले आदेश के अनुपालन में पुलिस महानिदेशक के ओर से दाखिल शपथ पत्र पर गौर करते हुए कहा कि उनके द्वारा मोटर वाहन अधिनियम व ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण विनियम का उल्लंघन करने के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई है, हालांकि इसमें अभी और सक्रियता की जरूरत है. न्यायालय ने अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता के अनुरोध पर तीन सप्ताह का समय देते हुए, इस सम्बंध में उठाए गए आगे के कदमों की जानकारी मांगी है.