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वायु प्रदूषण से अस्पतालों में बढ़े अस्थमा के मरीज, ऐसे रखें ख्याल

प्रदेश के कई जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (air quality index) काफी ज्यादा खराब है, जिसमें गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ समेत कई जिले शामिल हैं. इस महीने में गन्ने की कटाई होती है. गन्ने की पत्तियां (पराली) जलाई जाती हैं जो पर्यावरण को दूषित करती हैं.

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Published : Oct 12, 2022, 4:56 PM IST

Updated : Oct 12, 2022, 9:10 PM IST

लखनऊ : प्रदेश के कई जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (air quality index) काफी ज्यादा खराब है, जिसमें गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ समेत कई जिले शामिल हैं. इस महीने में गन्ने की कटाई होती है. गन्ने की पत्तियां (पराली) जलाई जाती हैं जो पर्यावरण को दूषित करती हैं. इन्हीं सब कारणों से इस मौसम में अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ते हैं और उनकी समस्याएं भी बढ़ जाती है.

सी कार्बन संस्था के अध्यक्ष वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि आधुनिक जीवन में जैसे-जैसे उपकरण बढ़ रहे हैं, यातायात बढ़ रहा है. फैक्ट्री बढ़ रही हैं. मानव पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ पौधों को काटकर विकास करने का प्रयास कर रहा है. इसी के चलते देश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. तमाम तरीके की फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसें या ग्रीन गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें निकल रही हैं. इनका उत्सर्जन हो रहा है. इन गैसों से वायु प्रदूषण हो रहा है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

प्रदूषण से लंग्स प्रभावित : बलरामपुर अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन आनंद कुमार गुप्ता बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो डाटा है और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का जो डाटा है उसके अनुसार 16 लाख लोगों की मौत भारत में वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 2.5 माइक्रोन पार्टिकल दूसरा 10 माइक्रोन पार्टिकल के दुष्परिणामों से होती है और आप देखेंगे कि पूरे शरीर में कोई ऐसा अंग अछूता नहीं है, जिसमें कोई भी नुकसान वायु प्रदूषण से न होता हो. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से लंग्स ही प्रभावित होता है. लंग्स में देखें तो अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर है. इसके साथ-साथ बहुत सी ऐसी बीमारी हैं. अगर हम हार्ट की बात करें तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर है. अगर हम ब्रेन की बात करें तो ब्रेन स्ट्रोक यानी फालिज मार जाना है, माइग्रेन, नींद न आना है और अगर हम दूसरे अंगों की बात करें तो एसिडिटी से लेकर और छोटी-छोटी समस्या जैसे बालों का जल्दी सफेद हो जाना यह सब वायु प्रदूषण से लिंक है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में इस मौसम में मरीजों को समस्या हो जाती है जब ऋतु परिवर्तन होता है. उस समय पर मरीजों की संख्या अधिक होती है. आमतौर पर जो मरीज पहले से ही सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं उन्हें दिक्कत बढ़ जाती है. ऐसे में सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान का नियम तो बना दिया है, लेकिन इस अभियान में हम सभी को अपना सहयोग देना है.

होती है कैंसर जैसी बीमारियां : उन्होंने बताया कि सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाय तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था, जिसे आप एसपीएम कहते हैं. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.

शहर में दौड़ रहे लाखों वाहन : वनों के विनाश, उद्योग, कल कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु और ध्वनि प्रदूषण का कारक माना जा रहा है. शहर में दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न से उत्पन्न होने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 21,23, 813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. इस प्रकार से राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

यह भी पढ़ें : पिता का साया उठने के बाद अकेले पड़े अखिलेश, बोले- पहली बार लगा, बिना सूरज सवेरा उगा

बचाव

-घर का कूड़ा बिल्कुल भी न जलाएं.
-साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें.
-बाहर निकलें तो मास्क का इस्तेमाल करें. कोविड समय में लोग मास्क लगाते थे अब कोई नहीं लगाता. मास्क आपको न सिर्फ वायरस से बल्कि धूल से भी बचाता है.
- सांस संबंधित बीमारी से पीड़ित मरीज इनहेलर का इस्तेमाल जरूर करें.
- बाहर निकलें तो आंखों में चश्मा पहनें और सूती कपड़े से मुंह जरूर बांधें.
- दिनचर्या में योग व्यायाम शामिल करें.

यह भी पढ़ें : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दिए निर्देश, डेंगू मरीज मिलने पर घरों में कराएं स्क्रीनिंग

लखनऊ : प्रदेश के कई जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (air quality index) काफी ज्यादा खराब है, जिसमें गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ समेत कई जिले शामिल हैं. इस महीने में गन्ने की कटाई होती है. गन्ने की पत्तियां (पराली) जलाई जाती हैं जो पर्यावरण को दूषित करती हैं. इन्हीं सब कारणों से इस मौसम में अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ते हैं और उनकी समस्याएं भी बढ़ जाती है.

सी कार्बन संस्था के अध्यक्ष वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि आधुनिक जीवन में जैसे-जैसे उपकरण बढ़ रहे हैं, यातायात बढ़ रहा है. फैक्ट्री बढ़ रही हैं. मानव पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ पौधों को काटकर विकास करने का प्रयास कर रहा है. इसी के चलते देश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. तमाम तरीके की फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसें या ग्रीन गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें निकल रही हैं. इनका उत्सर्जन हो रहा है. इन गैसों से वायु प्रदूषण हो रहा है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

प्रदूषण से लंग्स प्रभावित : बलरामपुर अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन आनंद कुमार गुप्ता बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो डाटा है और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का जो डाटा है उसके अनुसार 16 लाख लोगों की मौत भारत में वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 2.5 माइक्रोन पार्टिकल दूसरा 10 माइक्रोन पार्टिकल के दुष्परिणामों से होती है और आप देखेंगे कि पूरे शरीर में कोई ऐसा अंग अछूता नहीं है, जिसमें कोई भी नुकसान वायु प्रदूषण से न होता हो. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से लंग्स ही प्रभावित होता है. लंग्स में देखें तो अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर है. इसके साथ-साथ बहुत सी ऐसी बीमारी हैं. अगर हम हार्ट की बात करें तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर है. अगर हम ब्रेन की बात करें तो ब्रेन स्ट्रोक यानी फालिज मार जाना है, माइग्रेन, नींद न आना है और अगर हम दूसरे अंगों की बात करें तो एसिडिटी से लेकर और छोटी-छोटी समस्या जैसे बालों का जल्दी सफेद हो जाना यह सब वायु प्रदूषण से लिंक है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में इस मौसम में मरीजों को समस्या हो जाती है जब ऋतु परिवर्तन होता है. उस समय पर मरीजों की संख्या अधिक होती है. आमतौर पर जो मरीज पहले से ही सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं उन्हें दिक्कत बढ़ जाती है. ऐसे में सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान का नियम तो बना दिया है, लेकिन इस अभियान में हम सभी को अपना सहयोग देना है.

होती है कैंसर जैसी बीमारियां : उन्होंने बताया कि सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाय तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था, जिसे आप एसपीएम कहते हैं. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.

शहर में दौड़ रहे लाखों वाहन : वनों के विनाश, उद्योग, कल कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु और ध्वनि प्रदूषण का कारक माना जा रहा है. शहर में दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न से उत्पन्न होने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 21,23, 813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. इस प्रकार से राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

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बचाव

-घर का कूड़ा बिल्कुल भी न जलाएं.
-साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें.
-बाहर निकलें तो मास्क का इस्तेमाल करें. कोविड समय में लोग मास्क लगाते थे अब कोई नहीं लगाता. मास्क आपको न सिर्फ वायरस से बल्कि धूल से भी बचाता है.
- सांस संबंधित बीमारी से पीड़ित मरीज इनहेलर का इस्तेमाल जरूर करें.
- बाहर निकलें तो आंखों में चश्मा पहनें और सूती कपड़े से मुंह जरूर बांधें.
- दिनचर्या में योग व्यायाम शामिल करें.

यह भी पढ़ें : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने दिए निर्देश, डेंगू मरीज मिलने पर घरों में कराएं स्क्रीनिंग

Last Updated : Oct 12, 2022, 9:10 PM IST
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