लखनऊ: कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड के सभी छह पुलिसकर्मियों को शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से कोर्ट के समक्ष पेश किया गया. अभियुक्तों की न्यायिक हिरासत अवधि विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रदूषण यशा शर्मा ने आगामी 14 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी है. अदालत के पूर्व के आदेश के अनुपालन में सभी आरोपी पुलिसकर्मी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जेल से पेश हुए. सीबीआई द्वारा गत 7 जनवरी को गोरखपुर के रामगढ़ ताल के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक जगत नारायन सिंह, तीन उप-निरीक्षक अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, हेड-कांस्टेबल कमलेश सिंह यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था.
अदालत में दाखिल आरोप पत्र के अनुसार घटना 27 सितम्बर 2021 की है. इस मामले की रिपोर्ट मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने में 29 सितम्बर को दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मनीष गुप्ता रामगढ़ ताल थाना के तहत एक होटल में ठहरे हुए थे, जहां पर 27/28 सितम्बर की आधी रात को अभियुक्तगण उनके कमरे में गए और उनके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. जब मनीष गुप्ता ने उनका विरोध किया तो सभी पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी, जिससे उन्हें गम्भीर चोटें आ गईं.
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आरोप पत्र में सीबीआई द्वारा कहा गया है कि मौके पर ही मनीष गुप्ता की पिटाई एवं चोट से मौत हो गई. प्रदेश सरकार के आदेश पर शुरूआत में मामले की विवेचना कानपुर एसआईटी द्वारा की गई. लेकिन बाद में मामले के काफी तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी.
वहीं, मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की है. जिसमें मुकदमे का विचारण दिल्ली में किए जाने का अनुरोध किया था. लिहाजा मनीष गुप्ता हत्याकांड से संबंधित पत्रावली विचारण के लिए दिल्ली भेजा जाना भी विचाराधीन है, जहां पर मामले का विचारण विशेष अदालत करेगी.
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