लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती ( 69000 Teacher Recruitment ) एक विशेष वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है. इन्होंने भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आवेदन किया. परीक्षा देकर इसमें सफलता भी हासिल की, लेकिन अब नौकरी के लिए इन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है. 6800 चयनित अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर लखनऊ में धरने पर बैठे हैं. बीते 64 दिन से उनका संघर्ष जारी है और आगामी 30 मई को विधानसभा घेरने की भी तैयारी है.
यह है मामला : उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018-19 में प्रदेश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. प्रदेश सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया लेकिन आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई. अभ्यर्थियों का आरोप है कि आरक्षण लागू करने में धांधली की गई है. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी. इसको लेकर चयनित अभ्यर्थी धरने पर बैठे हैं.
18 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई : अभ्यर्थियों ने कहा कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा. सरकार ने आरक्षण लागू करने में गड़बड़ी को माना और आचार संहिता लागू होने से पहले 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया. राज्य सरकार ने बीती 5 जनवरी को 6800 अभ्यर्थियों की एक अतिरिक्त सूची जारी की थी. इसे लेकर मामला फिर कोर्ट पहुंच गया है.
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प्रदर्शनकारियों का पक्ष : ओबीसी, एससी संगठित मोर्चा के अध्यक्ष /प्रवक्ता अमरेन्द्र सिंह का कहना है कि 6800 चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति के सम्बन्ध में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ स्पष्ट कर दिया कि यह स्थिति सरकार ने उत्पन्न की है. आप चाहें तो कोर्ट के बाहर इस मामले का हल निकाल सकते हैं. कोर्ट के आदेश के बावजूद भी सरकार इस पूरे प्रकरण को लेकर खामोश बैठी है.
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