लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और वरिष्ठ सपा नेता मोहम्मद आजम खान द्वारा लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद रिक्त हुई आजमगढ़ और रामपुर की सीटों पर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमा लिया है. यह दोनों ही सीटें सपा के लिए प्रतिष्ठा पूर्ण थीं, लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा. इनमें आजमगढ़ सीट पर भाजपा की जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं था, तो रामपुर में सीधा मुकाबला होने के कारण पार्टी बड़े अंतर से जीती. इन दोनों ही सीटों पर मतदान प्रतिशत में भारी कमी देखी गई. आजमगढ़ में महज 48.58 फीसद मतदान हुआ. यह 2019 के लोकसभा चुनावों से 11.55 फीसद कम था, तो वहीं रामपुर में 41.01 प्रतिशत वोट पड़े, जो 2019 के मत प्रतिशत से 26.16 फीसद कम है.
समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली आजमगढ़ सीट से भाजपा ने एक बार फिर भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल 'निरहुआ' को चुनाव मैदान में उतारा. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया, जबकि बसपा ने शाह आलम 'गुड्डू जमाली' को अपना प्रत्याशी बनाया. यादव और मुस्लिम बहुल्य इस सीट पर दो यादवों और एक मुस्लिम प्रत्याशी के बीच मुकाबला था. सपा मुखिया अखिलेश यादव मुसलमानों को अपना स्वाभाविक मतदाता मानते हैं, क्योंकि हालिया विधान सभा चुनावों में उन्हें मुसलमानों का खूब समर्थन मिला था. हालांकि यह मानना अखिलेश यादव की भूल ही साबित हुआ. धर्मेंद्र यादव बाहरी प्रत्याशी थे, इसलिए मुस्लिम वोटरों ने स्थानीय और सजातीय प्रत्याशी गुड्डू जमाली पर दांव लगाया. मुस्लिम वोटों के इस बंटवारे का लाभ भाजपा को मिला और यहां से दिनेश लाल निरहुआ को जीत हासिल हुई. हालांकि आजमगढ़ से निरहुआ की जीत महज 8679 वोट से हुई. इसलिए भाजपा के लिए यह फौरी तौर पर खुशी की बात हो सकती है, क्योंकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उसे नए सिरे से तैयारी करनी होगी. यह बात और है कि भाजपा का चुनाव प्रबंधन सबसे बढ़िया माना जाता है और उनकी तैयारी अनवरत जारी रहती है. गौरतलब है कि इस उपचुनाव में दोनों सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे.
वहीं यदि रामपुर सीट की बात करें तो इस सीट पर सपा और भाजपा में सीधा मुकाबला माना जा रहा था. यह सीट परंपरागत रूप से सपा की रही है. 2014 में भाजपा की लहर के समय भी यह सीट बीजेपी के ओबीसी नेता नेपाल सिंह ने जीती थी. हालांकि यहां लगभग 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. इस उपचुनाव में भाजपा ने घनश्याम लोधी को टिकट दिया तो सपा ने आजम खान के करीबी आसिम राजा को मैदान में उतारा. दोनों प्रत्याशियों में इस सीट पर सीधा मुकाबला था. हालांकि जो परिणाम सामने आए वह सबको हैरान करने वाले थे. यहां से भाजपा के घनश्याम लोधी बयालीस हजार से अधिक वोटों से जीतने में कामयाब हुए. यह भाजपा की बड़ी जीत मानी जा रही है. इस सीट से मुस्लिम वोट का भाजपा की ओर जाना या फिर मतदान के लिए नहीं निकलना सपा के लिए चिंता का विषय हो सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि आगामी लोकसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाता अपने लिए नया ठौर तलाश सकता है. अधिक विकल्प न होने के कारण ही इस चुनाव में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने ही नहीं निकले.
इस विषय में राजनीतिक विश्लेषक डॉ मनीष हिंदवी कहते हैं 'उपचुनाव हमेशा सरकार का माना जाता है. जिन दो सीटों पर उप चुनाव था, वह सपा के पास थीं. इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आजमगढ़ में जीत का अंतर ज्यादा नहीं है. 2014 के चुनाव में इस सीट पर बसपा को 27% वोट मिले थे, इस चुनाव में बसपा को 29% वोट मिले हैं. साफ है कि बसपा अपना वोट प्रतिशत बढ़ा ले गई. इससे साफ है कि मुस्लिम वोटर बसपा की ओर शिफ्ट हुआ. विधानसभा चुनाव के बाद मायावती लगातार दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर काम कर रही हैं. वह मुसलमानों को एक मैसेज देने का काम कर रही हैं. मुसलमानों में कहीं न कहीं बेचैनी जरूर है कि सब कुछ देने के बाद भी हाथ में कुछ नहीं है. यदि रामपुर में पचास फीसद से ज्यादा मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद सपा हार रही है, मतलब सपा से मुस्लिमों का मोहभंग हो रहा है. इसलिए यह विचार करने वाला बिंदु है कि कहीं आगामी चुनाव में मुस्लिम वोटर कांग्रेस की ओर तो नहीं जा रहा है.'
आजमगढ़ में किसे कितने वोट मिले
1- भाजपा-दिनेश लाल यादव 'निरहुआ'-312768
2- सपा-धर्मेंद्र यादव-304089
3- बसपा-शाह आलम 'गुड्डू जमाली'-266210
ये भी पढ़ें : आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में बनाए 8 जोन, देखिए किस-किस को सौंपी जिम्मेदारी
रामपुर में किसे कितने वोट मिले
1- भाजपा-घनश्याम सिंह लोधी-367397
2- सपा-आसिम राजा-325205
(यहां बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था)
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप