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कानपुर: लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए सर्वधर्म सभा का किया गया आयोजन - kanpur news

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में समाज कल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. यह आयोजन धनीराम पैंथर की अध्यक्षता में शिक्षक पार्क में किया गया.

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सर्वधर्म सभा का आयोजन.
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Published : Mar 19, 2020, 3:59 AM IST

कानपुर: समाज कल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में धनीराम पैंथर की अध्यक्षता में शिक्षक पार्क में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. धनीराम पैंथर ने बताया कि साल 2009 से कानपुर नगर और वर्ष 2010 कानपुर देहात में लावारिस शवों का ससम्मान उनके धर्म अनुसार अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

जानकारी देते धनीराम पैंथर.

धनीराम पैंथर ने बताया कि लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने का विचार मन में तब आया जब लखनऊ आते-जाते समय उन्होंने देखा कि गंगा नदी के पुल पर एक ठेले में तीन-चार शव नदी के अंदर पुल से फेंक दिए जाते थे. पानी में तैरते ही उन शवों पर आवारा कुत्ते और कौए मंडराने लगते और शव को खींचकर नदी घाट के किनारे ले जाकर नोच-नोच कर खाते थे.

इसे भी पढ़ें- कोरोना का असर: अस्सी घाट पर होने वाला 'सुबह ए बनारस कार्यक्रम' स्थगित

इसके बाद हमारी संस्था ने निर्णय लिया कोई लावारिस नहीं पैदा होता है और न ही कोई लावारिस मरेगा. लावारिस शवों की वारिस हमारी संस्था बनेगी और उन लावारिस शवों का ससम्मान उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा.

कानपुर: समाज कल्याण सेवा समिति के तत्वाधान में धनीराम पैंथर की अध्यक्षता में शिक्षक पार्क में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. धनीराम पैंथर ने बताया कि साल 2009 से कानपुर नगर और वर्ष 2010 कानपुर देहात में लावारिस शवों का ससम्मान उनके धर्म अनुसार अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

जानकारी देते धनीराम पैंथर.

धनीराम पैंथर ने बताया कि लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराने का विचार मन में तब आया जब लखनऊ आते-जाते समय उन्होंने देखा कि गंगा नदी के पुल पर एक ठेले में तीन-चार शव नदी के अंदर पुल से फेंक दिए जाते थे. पानी में तैरते ही उन शवों पर आवारा कुत्ते और कौए मंडराने लगते और शव को खींचकर नदी घाट के किनारे ले जाकर नोच-नोच कर खाते थे.

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इसके बाद हमारी संस्था ने निर्णय लिया कोई लावारिस नहीं पैदा होता है और न ही कोई लावारिस मरेगा. लावारिस शवों की वारिस हमारी संस्था बनेगी और उन लावारिस शवों का ससम्मान उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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