कानपुर: हर इंसान की दैनिक जरूरतों में शामिल साबुन, डिटर्जेन्ट और कॉस्मेटिक उत्पाद आमतौर पर दिनोंदिन महंगे होते जा रहे हैं. हालांकि अगर यह उत्पाद बाजार दामों से 10 फीसद तक सस्ते मिल जाएं और स्कीन फ्रेंडली हों तो हर कोई इन्हें लेना भी चाहेगा. अब ऐसे उत्पादों को आसानी से तैयार भी किया जा सकेगा, क्योंकि शहर के कल्याणपुर में स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के विशेषज्ञ द्वारा ऐसा सरफेकटेंट बनाया गया है, जिससे उक्त कवायद हो सकेगी.
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) के निदेशक डॉ. नरेन्द्र मोहन ने बताया कि इस सरफेक्टेंट को गन्ने की खोई से बनाया गया है. खोई में मौजूद तीन घटकों सेल्यूलोज, हेमीसेल्यूलोज और लिग्निन में से केवल हेमीसेल्यूलोज को लिया गया और फैटी एसिड से रासायनिक क्रिया करा कर सरफेक्टेंट को बना लिया गया है. यह पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है. इसकी मदद से जो उत्पाद तैयार होंगे, वह पूरी तरह से स्कीन फ्रेंडली होंगे, जबकि बाजार में अधिकतर उत्पादों में केमिकल, पेट्रोल जैसे अन्य पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है.
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60 से 80 रुपये प्रति किलो में मिल सकेगा यह सरफेक्टेंट: डॉ. नरेन्द्र मोहन ने बताया की गन्ने की खोई से बना सरफेक्टेंट बाजार में 60 से 80 रुपए प्रति किलो के भाव में मिल सकेगा. जबकि अभी बाजार में सरफेक्टेंट 180 से 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलता है. जब सरफेक्टेंट सस्ता होगा तो निश्चित तौर पर साबुन, डिटर्जेन्ट व कॉस्मेटिक उत्पाद सस्ते मिलेंगे. उन्होंने एक अनुमान के तौर पर बताया की उक्त उत्पादों के दामों में 10 फीसद तक दाम, मौजूदा समय में बाजार भाव से कम हो सकेंगे. इस शोध को पेटेंट भी करा लिया गया है.
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