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कानपुर देहात: इस गांव में 15 अगस्त के दिन ही 13 क्रांतिकारियों ने दिया था बलिदान

आज पूरा देश आजादी की जश्न में डूबा हुआ है. इस दिन के लिए तमाम क्रांतिकारियों ने हसते हसते अपने प्राण न्योक्षावर कर दिए थे. कानपुर देहात के सबलपुर गांव में अंग्रेजों ने 13 क्रांतिकारियों को नीम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. इन क्रांतिकारियों के वशजों से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की.

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Published : Aug 15, 2019, 1:42 AM IST

हसते हसते अपने प्राण कर दिए थे न्योक्षावर.

कानपुर देहात: पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाने में जोर शोर से जुटा है, लेकिन दूसरी तरफ देश पर कुर्बान होने वाले क्रातिकारियों के परिजनों का कोई हाल लेने वाला नहीं है. 1857 की क्रांति में कानपुर देहात के सबलपुर गांव में अंग्रेजों ने 13 क्रांतिकारियों को नीम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. इन क्रांतिकारियों के बलिदान के नाम पर एक चबूतरा बनाकर इतिश्री कर ली गई.

इन बलिदानियों के वंशजों का आरोप है कि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी में अहम भूमिका अदा कर अपने प्राणों की बलिदानी तो दी, लेकिन देश की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने इनकी कोई सुध नहीं ली.

हसते हसते अपने प्राण कर दिए थे न्योक्षावर.
1857 की क्रांति में शहीद हुये 13 क्रांतिकारियों के वशजों का आरोप है कि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए प्राण हसते-हसते न्योक्षावर कर दिए थे. बड़ी मशक्कत के बाद 22 नवम्बर 2003 को क्षेत्रीय विधायक की ओर से क्रांतिकारियों के पत्थर में नाम लिखवाकर खानापूर्ती कर ली गई थी.

शहीदों के वंशजों की माने तो आज तक सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन तक इस शहीद स्थल की तरफ देखना मुनासिब नहीं समझा. इस गांव में न पीने की स्वच्छ पानी, न ही गांव में कोई विकास कार्य किया गया है. यहां के लोग सुविधा शून्य जीवन जीने के लिए मजबूर हैं, जबकि ये गांव क्रांतिकारियों का का गांव कहलाता है.

1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाये क्रांतिकारियों के नाम उमराव चन्द्र लोधी, देव चन्द्र लोधी, रत्ना लोधी, भानू लोधी, परमू लोधी, केशवचन्द्र लोधी, धर्मा लोधी, बाबू, रमन तेली, खुमान सिंह , करन सिंह लोधी, चन्दन लोधी, बलदेव लोधी है.

कानपुर देहात: पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाने में जोर शोर से जुटा है, लेकिन दूसरी तरफ देश पर कुर्बान होने वाले क्रातिकारियों के परिजनों का कोई हाल लेने वाला नहीं है. 1857 की क्रांति में कानपुर देहात के सबलपुर गांव में अंग्रेजों ने 13 क्रांतिकारियों को नीम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. इन क्रांतिकारियों के बलिदान के नाम पर एक चबूतरा बनाकर इतिश्री कर ली गई.

इन बलिदानियों के वंशजों का आरोप है कि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी में अहम भूमिका अदा कर अपने प्राणों की बलिदानी तो दी, लेकिन देश की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने इनकी कोई सुध नहीं ली.

हसते हसते अपने प्राण कर दिए थे न्योक्षावर.
1857 की क्रांति में शहीद हुये 13 क्रांतिकारियों के वशजों का आरोप है कि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए प्राण हसते-हसते न्योक्षावर कर दिए थे. बड़ी मशक्कत के बाद 22 नवम्बर 2003 को क्षेत्रीय विधायक की ओर से क्रांतिकारियों के पत्थर में नाम लिखवाकर खानापूर्ती कर ली गई थी.

शहीदों के वंशजों की माने तो आज तक सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन तक इस शहीद स्थल की तरफ देखना मुनासिब नहीं समझा. इस गांव में न पीने की स्वच्छ पानी, न ही गांव में कोई विकास कार्य किया गया है. यहां के लोग सुविधा शून्य जीवन जीने के लिए मजबूर हैं, जबकि ये गांव क्रांतिकारियों का का गांव कहलाता है.

1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाये क्रांतिकारियों के नाम उमराव चन्द्र लोधी, देव चन्द्र लोधी, रत्ना लोधी, भानू लोधी, परमू लोधी, केशवचन्द्र लोधी, धर्मा लोधी, बाबू, रमन तेली, खुमान सिंह , करन सिंह लोधी, चन्दन लोधी, बलदेव लोधी है.

Intro:नोट- E tv bharat एब व L U - smart से up-kan_shahido ka gav_visual+bite+wt_7205968 नाम की 1फाइल भेजी जा चुकी है ।


एंकर- जहां पूरा देश गणतंत्र दिवस की तैयारी में जोर शोर से जुटा है....लेकिन दूसरी तरफ देश पर कुर्बान होने वाले शहीदो का कोई पुर्सानेहाल नही है....1857 की क्रान्ती में जनपद कानपुर देहात के सबलपुर गांव में अंग्रेजो ने 13 क्रान्तकारियों को नीम के पेड पर फांसी पर लटका दिया था.....इन शहीदो के देश के लिये, बलिदान को मात्र एक चबूतरा बना कर इतिश्री कर ली गयी है ...इन बलिदानियों के वंशजो का आरोप है कि हमारे पूर्वजो ने देश की आजादी में अहम भूमिका अदा कर अपने प्राणो की बलिदानी तो दी थी.... लेकिन देश की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने इन शहीदो के वंशजों की कोई सुध नही ली....




Body:वी0ओ0- कानपुर देहात का सबलपुर गांव में 1857 की क्रान्ती में शहीद हुये 13 लोगो की समाधी के पास खडे उनके इन वंशजो में सरकारो के प्रति जबरजस्त आक्रोश है...इनका आरोप है... की हमारे पूर्वजो ने देश की आजादी के लिये अपने प्राण हसते हसते न्योक्षावर कर दिये थे... बडी मशक्कत के बाद 22 नबम्बर 2003 को क्षेत्रीय विधायक द्वारा शहीद स्थल में शहीदो के पत्थर में नाम लिखवाकर खानपूरी कर ली गयी थी....शहीदो के वंशजो की माने तो आज तक सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन तक ने इस शहीद स्थल की तरफ देखना तक मुनासिब समझा ना ही इस गांव में स्वच्छ पानी की व्यवस्था है... ना ही साफ सफाई की जाती है... ना ही इस गांव में कोई विकास कार्य किया गया है.. यहा के लोग सुबिधा शून्य जीवन जीने के लिए मजबूर है....जबकि ये गांव क्रान्तिकारियो का का गांव कहलाता है.....।.....1857 की क्रान्ती में अंग्रेजो द्वारा फासी पर लटकाये शहीदो के नाम उमराव चन्द्र लोधी, देव चन्द्र लोधी, रत्ना लोधी, भानू लोधी, परमू लोधी, केशवचन्द्र लोधी, धर्मा लोधी, बाबू, रमन तेली, खुमान सिंह , करन सिंह लोधी, चन्दन लोधी, बलदेव लोधी है....।





Conclusion:वी0ओ0_तो वही जब etv भारत की टीम ने शहीद क्रन्तिकारी परिवारों के वंशक से बात की तो उनका कहना है की आजादी के बाद अब उन्हें बिजली मोहइया हो पाई है वो गांव में आती नही और गांव में किसी प्रकार की कोई सुभधा नही है जिसको लेकर ना तो जिले का प्रशासन गौर करता है ना ही सरकार....

वाईट_राम पाल (क्रन्तिकारी शहीदों के परिजन)

वाईट_हरि प्रसाद ( (क्रन्तिकारी शहीदों के परिजन)

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Date- 14-8-2019

Center - Kanpur dehat

Reporter - Himanshu sharma
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