कानपुर देहात: पूरा देश गणतंत्र दिवस मनाने में जोर शोर से जुटा है, लेकिन दूसरी तरफ देश पर कुर्बान होने वाले क्रातिकारियों के परिजनों का कोई हाल लेने वाला नहीं है. 1857 की क्रांति में कानपुर देहात के सबलपुर गांव में अंग्रेजों ने 13 क्रांतिकारियों को नीम के पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. इन क्रांतिकारियों के बलिदान के नाम पर एक चबूतरा बनाकर इतिश्री कर ली गई.
इन बलिदानियों के वंशजों का आरोप है कि उनके पूर्वजों ने देश की आजादी में अहम भूमिका अदा कर अपने प्राणों की बलिदानी तो दी, लेकिन देश की आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने इनकी कोई सुध नहीं ली.
शहीदों के वंशजों की माने तो आज तक सरकार से लेकर स्थानीय प्रशासन तक इस शहीद स्थल की तरफ देखना मुनासिब नहीं समझा. इस गांव में न पीने की स्वच्छ पानी, न ही गांव में कोई विकास कार्य किया गया है. यहां के लोग सुविधा शून्य जीवन जीने के लिए मजबूर हैं, जबकि ये गांव क्रांतिकारियों का का गांव कहलाता है.
1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाये क्रांतिकारियों के नाम उमराव चन्द्र लोधी, देव चन्द्र लोधी, रत्ना लोधी, भानू लोधी, परमू लोधी, केशवचन्द्र लोधी, धर्मा लोधी, बाबू, रमन तेली, खुमान सिंह , करन सिंह लोधी, चन्दन लोधी, बलदेव लोधी है.