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BHU मामले पर प्रोफेसर असहाब अली का बयान, 'शिक्षक का आंकलन जाति-धर्म पर करना गलत' - deendayal upadhyay university gorakhpur

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर असहाब अली ने बीएचयू में हो रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को गलत बताया है. उन्होंने कहा है कि किसी भी शिक्षक के शैक्षिक गुणवत्ता का आंकलन जाति धर्म के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए.

प्रोफेसर असहाब अली.
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Published : Nov 22, 2019, 4:37 PM IST

गोरखपुर: बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध को प्रोफेसर असहाब अली ने गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यापक को उसकी शैक्षिक गुणवत्ता के आधार पर आंका जाना चाहिए.

जानकारी देते प्रोफेसर असहाब अली.
  • प्रोफेसर असहाब अली इंटरमीडिएट की परीक्षा में संस्कृत में टॉप किया था.
  • इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन संस्कृत में किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन में उनका स्पेशलाइजेशन वेदों पर रहा है.
  • पीएचडी उन्होंने वैदिक और इस्लामिक मिथकों के तुलनात्मक अध्यन पर किया है.
  • प्रोफेसर असहाब अली मूल रूप से महराजगंज के जमुनिया गांव के रहने वाले हैं.
  • असाहब अली दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में करीब 32 वर्षों तक संस्कृत विषय के प्रोफेसर रहे हैं.
  • उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यापक की शैक्षिक गुणवत्ता का आंकलन जाति, धर्म और मजहब के हिसाब से करना गलत है.
  • गोरखपुर विश्वविद्यालय में वो 1973 से ही रिसर्च के दौरान छात्रों को पढ़ाने लगे थे.
  • 1977 में नियुक्त हुए प्रोफेसर तब से लेकर 2011 तक वह विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देते रहे.
  • रिटायरमेंट के समय प्रोफेसर असहाब संस्कृत विभाग के एचओडी थे.


इसे भी पढ़ें- बीएचयू में विरोध झेल रहे संस्कृत के प्रो. फिरोज के सहपाठी विचलित. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

BHU प्रकरण पर बोलते हुए प्रोफेसर असहाब अली ने संस्कृत को वैश्विक भाषा बताया हैं. वह बीएचयू में हुए बवाल पर कहते हैं कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं वो लोग अपने भविष्य के लिए भी, संस्कृत के लिए भी और देश के लिए भी कुठाराघात कर रहे हैं. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए.
-प्रो. असहाब अली, पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत, डीडीयू

गोरखपुर: बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विरोध को प्रोफेसर असहाब अली ने गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यापक को उसकी शैक्षिक गुणवत्ता के आधार पर आंका जाना चाहिए.

जानकारी देते प्रोफेसर असहाब अली.
  • प्रोफेसर असहाब अली इंटरमीडिएट की परीक्षा में संस्कृत में टॉप किया था.
  • इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन संस्कृत में किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन में उनका स्पेशलाइजेशन वेदों पर रहा है.
  • पीएचडी उन्होंने वैदिक और इस्लामिक मिथकों के तुलनात्मक अध्यन पर किया है.
  • प्रोफेसर असहाब अली मूल रूप से महराजगंज के जमुनिया गांव के रहने वाले हैं.
  • असाहब अली दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में करीब 32 वर्षों तक संस्कृत विषय के प्रोफेसर रहे हैं.
  • उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यापक की शैक्षिक गुणवत्ता का आंकलन जाति, धर्म और मजहब के हिसाब से करना गलत है.
  • गोरखपुर विश्वविद्यालय में वो 1973 से ही रिसर्च के दौरान छात्रों को पढ़ाने लगे थे.
  • 1977 में नियुक्त हुए प्रोफेसर तब से लेकर 2011 तक वह विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देते रहे.
  • रिटायरमेंट के समय प्रोफेसर असहाब संस्कृत विभाग के एचओडी थे.


इसे भी पढ़ें- बीएचयू में विरोध झेल रहे संस्कृत के प्रो. फिरोज के सहपाठी विचलित. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

BHU प्रकरण पर बोलते हुए प्रोफेसर असहाब अली ने संस्कृत को वैश्विक भाषा बताया हैं. वह बीएचयू में हुए बवाल पर कहते हैं कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं वो लोग अपने भविष्य के लिए भी, संस्कृत के लिए भी और देश के लिए भी कुठाराघात कर रहे हैं. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए.
-प्रो. असहाब अली, पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत, डीडीयू

Intro:गोरखपुर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में करीब 32 वर्षों तक संस्कृत विषय के प्रोफेसर रहे असाहब अली ने कहा है कि बीएचयू (BHU) में जो छात्र विरोध कर रहे हैं, वो गलत कर रहे हैं. किसी भी अध्यापक को इसके शैक्षिक गुणवत्ता के आधार पर आकाश जाना चाहिए ना कि उसे धर्म जात से जोड़कर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म और मजहब के हिसाब से जज करना तो बिल्कुल गलत है.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्रों का जो विरोध प्रदर्शन चल रहा है उसे प्रोफेसर असहाब ने नाजायज ठहराया है। प्रोफेसर असहाब अली इंटरमीडिएट की परीक्षा में संस्कृत में टॉप किया था, इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन संस्कृत में किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन में उनका स्पेशलाइजेशन वेदों पर रहा है. पीएचडी उन्होने वैदिक और इस्लामिक मिथकों के तुलनात्मक अध्यन पर किया है. प्रोफेसर असहाब अली मूल रूप से महराजगंज के जमुनिया गांव के रहने वाले हैं.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में वो 1973 से ही रिसर्च के दौरान छात्रों को पढ़ाने लगे थे. 1977 में उनको नियुक्ति मिल गई. तब से लेकर 2011 तक वह विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देते रहे. रिटायरमेंट के समय प्रोफेसर असहाब संस्कृत विभाग के एचओडी थे. उन्होंने एक वाकया याद करते हुए कहा कि एक बार वो सिबली कॉलेज में सलेक्शन के लिए गये थे. तब वहां पर किसी ने कहा कि संस्कृत के लिए सलेक्शन करना है न कि फारसी के लिए. तब असहाब अली ने हाजिर जवाबी में कहा कि 'मैं दाढ़ी के साथ संस्कृत वाला भी हूं.

Body:BHU प्रकरण पर बोलते हुए प्रोफेसर असहाब अली ने संस्कृत को वैश्विक भाषा बताया हैं. वह बीएचयू में हुए बवाल पर कहते हैं कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं वो लोग अपने भविष्य के लिए भी, संस्कृत के लिए भी और देश के लिए भी कुठाराघात कर रहे हैं. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्होंने अपील की कि अपने, संस्कृत और देश के हित में विरोध को वापस ले लें और क्लास में जाकर देखें कि जिसको आप भगाना चाहते हैं वो किस कैलिबर का आदमी है?साथ ही उन्होंने कहा कि उनके विद्यार्थी जीवन में और उनके टीचर रहते हुए कभी भी ऐसी बात नहीं आई कि मुसलमान संस्कृत से जुड़ा हुआ है तो एक बुरी बात हो गयी. बल्कि इसमें मुझको प्रोत्साहित ही किया जाता रहा है.

बाइट--प्रो0 असहाब अली, पूर्व विभागाध्यक्ष, संस्कृत, डीडीयू


Conclusion:वेद पर स्पेशलाइजेन के मुद्दे पर प्रोफेसर असहाब ने कहा कि वेद पढ़ते वक्त उन्हें कभी झिझक नहीं थी. जितने ब्रांच विभाग में पढ़ाये जाते हैं वो मैं सब में पढ़ाता था. लेकिन मैं स्पेशलाइज था वेद का, इसलिए वेद को मैं और अधिक गंभीरता से पढ़ाता था. जब जरूरत पड़ी तो किताब भी लिखी उपनिषद पर. मैं ही पढ़ाता था उसको. उन्होंने कहा कि कोई भी विद्यार्थी ऐसा नहीं था, जिसको कभी भी ऐसा लगा हो कि मुसलमान से पढ़ रहा हूं बल्कि उसको लगता था कि मुसलमान बेहतर पढ़ा रहा है. मैं धर्म और दर्शन को ज्यादा भाव से पढ़ाता था. कभी-कभी मैं संस्कृत पढ़ाते हुए इस्लाम का भी उदाहरण देता राह। उन्होंने कहा कि BHU में जो चल रहा है वो बहुत गलत हो रहा है. वो एक बड़ा अपराध है संस्कृत के खिलाफ, देश के खिलाफ, शिक्षण के खिलाफ।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724


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