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गोरखपुर: विश्व अस्थमा दिवस पर डॉक्टर्स ने दी कई महत्वपूर्ण जानकारी - Inhalation therapy

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी एवं चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा, डॉक्टर सूरज जयसवाल, डॉक्टर रत्नेश तिवारी ने अस्थमा को लेकर कई तरह की भ्रांतियों और भय को दूर करने के लिए आज विश्व अस्थमा दिवस पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.

इनहेलेशन थेरेपी से अस्थमा खत्म होगा.
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Published : May 7, 2019, 7:37 PM IST

गोरखपुर: अस्थमा को लेकर कई तरह की भ्रांतियों और भय को दूर करने के लक्ष्य और अस्थमा से पीड़ित लोगों को आजाद जीवन के लिए प्रेरित करने का संकल्प आज विश्व अस्थमा दिवस पर गोरखपुर के युवा डॉक्टरों ने लिया है. उन्होंने कहा कि इनहेलर थेरेपी से जुड़ी भ्रांतियों को खत्म कर, इसे सामाजिक रूप से ज्यादा स्वीकार बनाएं और मरीजों और उनके डॉक्टर्स के बीच संवाद को बढ़ावा देने में मदद करें.

इनहेलेशन थेरेपी से अस्थमा खत्म होगा.


युवा डॉक्टरों ने दी अहम जानकारी...

  • युवा डॉक्टरों ने बताया कि अस्थमा एक क्रोनिक "दीर्घा विधि" बीमारी है, जिसमें श्वास मार्ग में सूजन और श्वास मार्ग की सक्रियता की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो समय के साथ साथ कम ज्यादा होती रहती है.
  • हर साल बच्चों में अस्थमा 'पीडीएट्रिक अस्थमा' के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. पिछले 1 वर्ष में अस्थमा के पीड़ित मरीजों की संख्या में औसतन 5 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है.
  • पिछले कुछ वर्षों में इनहेलेशन थेरेपी लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. करीब 20 फीसदी अस्थमा पीड़ित किशोरावस्था से पहले ही या किशोरावस्था के दौरान इनहेलर का उपयोग बंद कर देते हैं और सामान्य जीवन यापन करते हैं.
  • बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इनहेलर थेरेपी दमा का प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इसके लिए इसका अनुपालन महत्वपूर्ण है.
  • सांस के माध्यम से दवाइयां लेने से वह सीधे फेफड़े में पहुंचती हैं लेकिन मरीजों को पूरा लाभ पाने के लिए चिकित्सक द्वारा लिखे गए उपचार को अपनाने की जरूरत है.
  • युवा डॉक्टर ने कहा अस्थमा के प्रबंधन व संवाद को प्रोत्साहित कर हम विश्व अस्थमा दिवस को इस तरह मनाए कि हमारे प्रयास से अस्थमा से प्रभावित लोग अपने दैनिक जीवन में ज्यादा बेहतर काम कर सकें.
  • मरीजों को इनहेलर देना बंद करने के पीछे कई कारण हैं, इसमें इलाज का खर्च, साइड इफेक्ट, इन्हेलर उपकरण को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक लांछन जैसी अनावश्यक चिंताएं शामिल हैं.
  • अस्थमा पर जीत हासिल करने के लिए एक प्रभावी उपचार यानी इनहेलेशन थेरेपी जरूरी है, भारत में अस्थमा का उपचार मात्र 4 से 6 रुपए प्रतिदिन जैसी सस्ती दर पर उपलब्ध है.

गोरखपुर: अस्थमा को लेकर कई तरह की भ्रांतियों और भय को दूर करने के लक्ष्य और अस्थमा से पीड़ित लोगों को आजाद जीवन के लिए प्रेरित करने का संकल्प आज विश्व अस्थमा दिवस पर गोरखपुर के युवा डॉक्टरों ने लिया है. उन्होंने कहा कि इनहेलर थेरेपी से जुड़ी भ्रांतियों को खत्म कर, इसे सामाजिक रूप से ज्यादा स्वीकार बनाएं और मरीजों और उनके डॉक्टर्स के बीच संवाद को बढ़ावा देने में मदद करें.

इनहेलेशन थेरेपी से अस्थमा खत्म होगा.


युवा डॉक्टरों ने दी अहम जानकारी...

  • युवा डॉक्टरों ने बताया कि अस्थमा एक क्रोनिक "दीर्घा विधि" बीमारी है, जिसमें श्वास मार्ग में सूजन और श्वास मार्ग की सक्रियता की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो समय के साथ साथ कम ज्यादा होती रहती है.
  • हर साल बच्चों में अस्थमा 'पीडीएट्रिक अस्थमा' के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. पिछले 1 वर्ष में अस्थमा के पीड़ित मरीजों की संख्या में औसतन 5 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है.
  • पिछले कुछ वर्षों में इनहेलेशन थेरेपी लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है. करीब 20 फीसदी अस्थमा पीड़ित किशोरावस्था से पहले ही या किशोरावस्था के दौरान इनहेलर का उपयोग बंद कर देते हैं और सामान्य जीवन यापन करते हैं.
  • बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि इनहेलर थेरेपी दमा का प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इसके लिए इसका अनुपालन महत्वपूर्ण है.
  • सांस के माध्यम से दवाइयां लेने से वह सीधे फेफड़े में पहुंचती हैं लेकिन मरीजों को पूरा लाभ पाने के लिए चिकित्सक द्वारा लिखे गए उपचार को अपनाने की जरूरत है.
  • युवा डॉक्टर ने कहा अस्थमा के प्रबंधन व संवाद को प्रोत्साहित कर हम विश्व अस्थमा दिवस को इस तरह मनाए कि हमारे प्रयास से अस्थमा से प्रभावित लोग अपने दैनिक जीवन में ज्यादा बेहतर काम कर सकें.
  • मरीजों को इनहेलर देना बंद करने के पीछे कई कारण हैं, इसमें इलाज का खर्च, साइड इफेक्ट, इन्हेलर उपकरण को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक लांछन जैसी अनावश्यक चिंताएं शामिल हैं.
  • अस्थमा पर जीत हासिल करने के लिए एक प्रभावी उपचार यानी इनहेलेशन थेरेपी जरूरी है, भारत में अस्थमा का उपचार मात्र 4 से 6 रुपए प्रतिदिन जैसी सस्ती दर पर उपलब्ध है.
Intro:गोरखपुर। अस्थमा को लेकर कई तरह की भ्रांतियों और भय को दूर करने के लक्ष्य और अस्थमा से पीड़ित लोगों को किसी भी तरह की सीमाओं के बंधन से आजाद जीवन के लिए प्रेरित करने का संकल्प आज विश्व अस्थमा दिवस पर गोरखपुर के युवा डॉक्टरों ने लिया है। उन्होंने कहा कि इनहेलर थेरेपी से जुड़ी भ्रांतियों को खत्म कर, इसे सामाजिक रूप से ज्यादा स्वीकार बनाएं और मरीजों और उनके डॉक्टर्स के बीच संवाद को बढ़ावा देने में मदद करें।


Body:युवा डॉक्टरों ने बताया कि अस्थमा एक क्रोनिक "दीर्घा विधि" बीमारी है, जिसमें शवास मार्ग में सूजन और शवास मार्ग की सक्रियता की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जो समय के साथ साथ कम ज्यादा होती रहती है, हर साल बच्चों में अस्थमा 'पीडीएट्रिक अस्थमा' के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। पिछले 1 वर्ष में अस्थमा के पीड़ित मरीजों की संख्या में औसतन 5 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इनहेलेशन थेरेपी लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। करीब 20 फीसदी अस्थमा पीड़ित किशोरावस्था से पहले ही या किशोरावस्था के दौरान इनहेलर का उपयोग बंद कर देते हैं और सामान्य जीवन यापन करते हैं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीवी व चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ अश्वनी मिश्रा, डॉक्टर सूरज जयसवाल, डॉ रत्नेश तिवारी व डॉक्टर अजय श्रीवास्तव ने वार्ता के दौरान बताया कि इनहेलर थेरेपी दमा का प्रभाव कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए इसका अनुपालन महत्वपूर्ण है, सांस के माध्यम से दवाइयां लेने से वे सीधे फेफड़े में पहुंचती है लेकिन मरीजों को पूरा लाभ पाने के लिए चिकित्सक द्वारा लिखे गए उपचार को अपनाने की जरूरत है। यह थेरेपी लक्षणों से राहत देकर दमा को नियंत्रित करती है, उसका असर तभी होगा। जब मरीज चिकित्सक द्वारा बताई गई विधि से उपचार करेगा।

अस्थमा के प्रबंधन व संवाद को प्रोत्साहित कर हम विश्व अस्थमा दिवस को इस तरह मनाए कि हमारे प्रयास से अस्थमा से प्रभावित लोग अपने दैनिक जीवन में ज्यादा बेहतर काम कर सके। मरीजों को इनहेलर देना बंद करने के पीछे कई कारण है, इसमें इलाज का खर्च, साइड इफेक्ट, इन्हेलर उपकरण को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक लांछन जैसी अनावश्यक चिंताएं शामिल है। कई तरह की मनोवैज्ञानिक बाधाएं भी हैं, जो अवरोध उत्पन्न करती हैं। जैसे हेल्थ केयर प्रोफेशनल से असंतुष्टि, अनुचित अपेक्षाएं, किसी की स्थिति को लेकर गुस्सा, इस बीमारी की गंभीरता को हल्के में लेना और स्वास्थ्य के प्रति उदासीन रवैया प्रमुख कारण है। इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है कि मरीज इन बाधाओं और भ्रांतियों से बाहर आकर इन्हेलेशन थेरेपी के महत्व को समझें और उसका पालन करें। अस्थमा पर जीत हासिल करने के लिए एक प्रभावी उपचार यानी इनहेलेशन थेरेपी जरूरी है, भारत में अस्थमा का उपचार मात्र 4 से 6 रुपए प्रतिदिन जैसी सस्ती दर पर उपलब्ध है। इसका महत्व है, इसके के पूरे साल की दवाइयों की लागत अस्पताल में एक रात भर्ती होने से भी कम होती है।

बाइट - डॉ. अजय श्रीवास्तव, चेस्ट स्पेशलिस्ट
बाइट - डॉ. अश्वनी मिश्रा, टीवी व चेस्ट विभागाध्यक्ष - बीआरडी
बाइट - डॉ. सूरज जायसवाल, चेस्ट व टीबी स्पेशलिस्ट



निखिलेश प्रताप
9453623738
गोरखपुर


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