गोरखपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) भले ही मंडल के प्रभारी मंत्रियों मे लगातार फेर बदल कर रहे हैं, लेकिन इस फेरबदल का कोई खास सर इन जिलों में दिखाई नहीं देता. बात करें गोरखपुर की जो सीएम सिटी है. यहां योगी सरकार पार्ट टू में अब तक कहां तीन बार प्रभारी मंत्रियों की तैनाती हो चुकी है. लेकिन जब भी यह मंत्री दौरे पर आएं हैं, उन्हें न तो किसी प्रकार के लिए निर्माण कार्यों में कोई कमी नजर आती है और न ही जनता से जुड़ी कोई समस्या इनके पास होती है.
दरअसल, यह वहीं, निरीक्षण करने जाते हैं जो जिले के अधिकारी इन्हें बताते हैं. इनका इनका आकस्मिक निरिक्षण होता ही नहीं. यही वजह है कि जब यह मिडिया के सामने आते हैं, तो सरकार के काम-काज के बखान के सिवा कुछ होता ही नहीं. आने के सिवाय कुछ होता ही नहीं. जबकि आपको जानकर हैरानी होगी कि मुख्यमंत्री के जिले में जिला अस्पताल में ही डाक्टर नहीं हैं. इस ट्रांसफर सीजन में जिनका ट्रांसफर हुआ है, वह गोरखपुर पहुंचे ही नहीं है. सबसे दुखद यह है कि मासूम बच्चों को देखने वाले तीन डॉक्टर और तीनों अस्पताल में तैनात नहीं हैं.
इसे भी पढ़ेंः CM ऑफिस ने श्रीकांत त्यागी को सुरक्षा देने की पैरवी करने वाले अफसरों की मांगी रिपोर्ट
यह मंत्री जिस जिला अस्पताल का निरीक्षण कर रहे थे उस अस्पताल में ही डॉक्टर नहीं है. डॉक्टरों की टेबल पर नामी कंपनियों की महंगी दवाई एमआर के माध्यम से मौजूद दिखाई देती हैं लेकिन मंत्रियों को यह सब नहीं दिखता. इसके बाद जब वह अपने दौरे के बाद मीडिया से रुबरु होते हैं तो उनके पास बताने के लिए यही होता है कि इन 5 सालों में मुख्यमंत्रियों ने गोरखपुर की तस्वीर बदल दी है. लेकिन जब डॉक्टर न होने का सवाल etv bharat की तरफ से होता है तो प्रभारी मंत्री जो योगी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों में आते हैं, सुरेश खाना चुप लगा जाते हैं.
फिर कहते हैं कि उन्होंने नोट कर लिया है. देखता हूं कैसे डाक्टरों की तैनाती हो पाती है. इस दौरान खन्ना ने कहा कि जिले में 15 अगस्त तक करीब ढ़ाई 100 अमृतसर सरोवर और बना लिए जाएंगे. जबकि गोरखपुर में 12 सौ से अधिक सरोवर बनेंगे. उन्होने कन्या सुमंगला योजना की चर्चा करते हुए कहा कि आए हुए सभी आवेदनों के सापेक्ष लगभग सौ प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया गया है और छह करोड़ से अधिक धनराशि इसमें वितरित की गई है.
इसके साथ उन्होंने कहा कि गोवंशीय पशुओं के गोमूत्र और गोबर इकट्ठा करने का निर्देश नगर आयुक्त को दिया गया है, जिससे गोमूत्र से फिनायल बना जाएगा और गोबर से तो खाद बनाई ही जा रही है. इसके साथ उन्होने यह भी कहा कि गोरखपुर समेत प्रदेश के किसी भी जगह से किसी भी विभाग से जो भी योजना वित्तिय स्वीकृति के लिए उनके मंत्रालय में आती है. वह अनुमोदन देने में देर नहीं करते.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप