बरेली: जिले में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में सरकारी धन का जमकर बंदरबांट हुआ. इसके प्रमाण भी पूर्व में बिथरी चैनपुर सीएचसी में सामने आएं, लेकिन अफसरों ने सिर्फ जांच टीम का गठन करके मौन धारण कर लिया. इस बार मीरगंज सीएचसी पर भी अपात्रों के नाम पर योजना के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान किया गया. मामला जब सीएमओ के पास पहुंचा तो जांच टीम का गठन कर दी गयी. माना जा रहा है कि इस योजना में करोड़ों रुपये का हेरफेर किया गया.
मातृ वंदना योजना में करोड़ों के घोटाले की जांच अधर में? दरअसल बरेली में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पर काम शुरू हुआ तो इस योजना को सफल बनाने के नाम पर की गयी कई अनियमितताएं सामने आयीं. अपात्र लोगों को इस योजना का लाभ दिया गया और ऐसे लोगों के नाम पर सरकार को जमकर चूना लगाया गया. अधिकारियों ने स्वीकार किया करीब डेढ़ करोड़ का घोटाला बिथरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी हुआ. अधिकारियों ने जांच का आदेश भी दिया लेकिन कभी जांच रिपोर्ट नहीं आयी. इस मामले में कभी किसी के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की गयी. सरकारी धन की बंदरबांट में अधिकारी ये तक भूल गए कि 18 वर्ष की युवती और 3 साल की बच्ची में क्या अंतर होता है.
बीते दिनों बिथरी चैनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अधिकारियों ने करीब डेढ़ करोड़ रुपये की धनराशि को अपात्रों को रिलीज करने के मामले को लेकर जांच टीम बनाई थी, लेकिन जांच आज तक पूरी नहीं हुई. इस बारे में सीएमओ डॉक्टर बलवीर सिंज ने ईटीवी भारत से बताया कि उन्हें आए हुए अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है, लिहाजा वो कुछ अभी नहीं कह सकते. इस मामले में जांच की जा रही है. बरेली में पीएम मातृ वंदना योजना में वर्ष 2017 से 2020 की अवधि में कई सीएचसी पर घालमेल किया गया. इनके साक्ष्य भी मिले लेकिन जांच का नतीजा ढाक के तीन पात रहा.
बरेली में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में घोटाले का आरोप महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एक जनवरी 2017 को शुरू की थी. इसमें पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को लगभग 6 हजार रुपये (5000+1000) रुपये आर्थिक सहायता दी जाती है. योजना के तहत गर्भवतियों का ख्याल रखने और पौष्टिक आहार देने के लिए धन दिया जाता है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय बरेली जिले की मीरगंज सीएचसी में अधिकारियों ने पाया कि यहां बड़ी संख्या में ऐसे नाम रिकॉर्ड में दर्ज हैं, जो योजना के लिए योग्य नहीं हैं. वो मानते हैं कि वास्तविक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ भी की गई. लेकिन अब तक किसी पर कार्रवाई नहीं की गयी. पूर्व सीएमओ को रिपोर्ट सौंपी गई थी, लेकिन उनके स्थानान्तरण के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया. अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरएन गिरी ने बताया कि मीरगंज में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. इसकी जांच के लिए एसीएमओ डॉक्टर अशोक कुमार समेत सीएमओ दफ्तर के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम गठित की गयी है.