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वकालत और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए लाइसेंस दिया तो हर वकील शस्त्र लेकर आएगा: इलाहाबाद हाईकोर्ट

आदर्श वकालत के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े, तो ऐसी प्रैक्टिस खतरनाक है. यह बात इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कही. अदालत ने कहा कि अगर वकालत और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिया जाएगा, तो हर वकील शस्त्र लेकर अदालत आयेगा.

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Published : Oct 12, 2021, 9:46 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि वकालत एक आदर्श व्यवसाय है. यदि वकील को व्यक्तिगत व व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े, तो यह ऐसी प्रैक्टिस खतरनाक होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वकील वादकारी के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में निर्भय होकर बहस करता है. यदि उसके मस्तिष्क में भय है, तो आदर्श व्यवसाय का पतन हो जायेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज दीवानी अदालत के अधिवक्ता राम मिलन की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आयेगा जब हर वकील शस्त्र लेकर कोर्ट परिसर में आएगा.

कोर्ट ने कहा कि वकील हमेशा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है. यही उसकी व्यक्तिगत व व्यावसायिक तथा वादकारी की सुरक्षा के लिए काफी है. यही कोर्ट से न्याय पाने के लिए पर्याप्त है. कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत नहीं होती है. वकील के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन देने पर कोई रोक नहीं है. उसकी अर्जी पर कानूनी प्रावधानों के तहत विचार किया जाएगा.

बिना ठोस वजह के वकील का शस्त्र लाइसेंस रखने की सराहना नहीं की जा सकती है. यह आदर्श व्यवसाय के हित में नहीं है. यदि वास्तव में खतरा है तो गवाह संरक्षण योजना 2018 के अंतर्गत पुलिस के पास जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी के निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के याचिका जारी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी. याची के परिवार की महिलाओं से छेड़छाड़, मारपीट और गाली-गलौज किया गया. इसकी बारां थाने में दो एफआईआर दर्ज कराई. याची का कहना था कि वकालत के लिए यात्रा पर जाने पर उनकी जान को खतरा है. धमकी दी जा रही है.

शस्त्र लाइसेंस की अर्जी यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि याची अपराध का पीड़ित नहीं है. कानून के तहत उसे शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. एससीएसटी व अन्य धाराओं में दर्ज प्राथमिकी में से एक में चार्जशीट दाखिल की गई है. विचारण चल रहा है. दूसरे की विवेचना हो रही है. कोर्ट ने कहा कि हत्या के प्रयास का दस्तावेजी सबूत नहीं है. वह पीड़ित नहीं है. गवाह के रूप में सुरक्षा की मांग नहीं की है.

ये भी पढ़ें- तिलक समारोह से दो युवकों ने पार किए 12 लाख रुपये, CCTV खंगाल रही पुलिस

पुलिस रिपोर्ट व तथ्यों के आधार पर लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने अर्जी निरस्त की है. उसके निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. याची का कहना था कि वकालत के नाते व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिया जाए. कोर्ट ने कहा लाइसेंस के लिए वास्तविक व वैध कारण होना चाहिए. जीवन व संपत्ति को वास्तविक खतरा होना चाहिए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि वकालत एक आदर्श व्यवसाय है. यदि वकील को व्यक्तिगत व व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े, तो यह ऐसी प्रैक्टिस खतरनाक होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वकील वादकारी के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में निर्भय होकर बहस करता है. यदि उसके मस्तिष्क में भय है, तो आदर्श व्यवसाय का पतन हो जायेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज दीवानी अदालत के अधिवक्ता राम मिलन की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आयेगा जब हर वकील शस्त्र लेकर कोर्ट परिसर में आएगा.

कोर्ट ने कहा कि वकील हमेशा सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है. यही उसकी व्यक्तिगत व व्यावसायिक तथा वादकारी की सुरक्षा के लिए काफी है. यही कोर्ट से न्याय पाने के लिए पर्याप्त है. कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत नहीं होती है. वकील के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन देने पर कोई रोक नहीं है. उसकी अर्जी पर कानूनी प्रावधानों के तहत विचार किया जाएगा.

बिना ठोस वजह के वकील का शस्त्र लाइसेंस रखने की सराहना नहीं की जा सकती है. यह आदर्श व्यवसाय के हित में नहीं है. यदि वास्तव में खतरा है तो गवाह संरक्षण योजना 2018 के अंतर्गत पुलिस के पास जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी के निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के याचिका जारी नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी. याची के परिवार की महिलाओं से छेड़छाड़, मारपीट और गाली-गलौज किया गया. इसकी बारां थाने में दो एफआईआर दर्ज कराई. याची का कहना था कि वकालत के लिए यात्रा पर जाने पर उनकी जान को खतरा है. धमकी दी जा रही है.

शस्त्र लाइसेंस की अर्जी यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि याची अपराध का पीड़ित नहीं है. कानून के तहत उसे शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है. इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. एससीएसटी व अन्य धाराओं में दर्ज प्राथमिकी में से एक में चार्जशीट दाखिल की गई है. विचारण चल रहा है. दूसरे की विवेचना हो रही है. कोर्ट ने कहा कि हत्या के प्रयास का दस्तावेजी सबूत नहीं है. वह पीड़ित नहीं है. गवाह के रूप में सुरक्षा की मांग नहीं की है.

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पुलिस रिपोर्ट व तथ्यों के आधार पर लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने अर्जी निरस्त की है. उसके निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. याची का कहना था कि वकालत के नाते व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिया जाए. कोर्ट ने कहा लाइसेंस के लिए वास्तविक व वैध कारण होना चाहिए. जीवन व संपत्ति को वास्तविक खतरा होना चाहिए.

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