प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जिला विद्यालय निरीक्षक प्रयागराज के उन आदेशों पर रोक लगा दी है. जिसके तहत निरीक्षक ने सच्चा आध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय नैनी की प्रबंध समिति को विपक्षी कृपा शंकर मिश्र का निलंबन समाप्त कर कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्रीकांत त्रिपाठी की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर ने बहस की.
अधिवक्ता तनीषा जहांगीर मुनीर कोर्ट में दलील दी कि डीआईओएस को प्रबंध समिति द्वारा अध्यापक के निलंबन आदेश को समाप्त करने का अधिकार नहीं है. प्रबंध समिति ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के स्टैच्यूट 17.4 व 17.5 के अंतर्गत विपक्षी कृपाशंकर मिश्र को अनियमितता बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया. इसके बाद याची को कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त कर दिया. जिसके खिलाफ विपक्षी की शिकायत पर डीआईओएस ने प्रबंध समिति से निलंबन के पत्राजात मंगाए और निलंबन वापस ले लिया. विपक्षी को वरिष्ठ अध्यापक होने के नाते कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त करने का निर्देश दिया. अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि यह आदेश मनमाना पूर्ण व अवैध है, याची को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया. इससे पहले याची को कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया था और उसके हस्ताक्षर को डीआईओएस ने अनुमोदित भी कर दिया था.
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याची के अधिवक्ता का कहना था कि विश्वविद्यालय परिनियमावली में प्रबंध समिति द्वारा निलंबित अध्यापक को बहाल करने का डीआईओएस को कोई अधिकार नहीं दिया गया है. वहीं, सरकार की तरफ से कहा गया कि 21 अप्रैल 1998 के शासनादेश से निरीक्षक को यह अधिकार प्राप्त है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब-तलब किया है.