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धर्मांतरण कानून के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाओं पर 22 अक्टूबर को सुनवाई

यूपी सरकार (UP Government) द्वारा बनाए गए धर्मांतरण कानून (Conversion Law) के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) में दाखिल सभी जनहित याचिकाओं पर 22 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

Allahabad high court
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Published : Oct 5, 2021, 9:11 PM IST

प्रयागराज: लव जिहाद (Love Jihad) के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए यूपी सरकार (UP Government) द्वारा बनाए गए धर्मांतरण कानून (Conversion Law) के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) में दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार सुनवाई नहीं हो सकी. याचिका पर अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी. सुनवाई नहीं होने पर कोर्ट ने निबंधक कार्यालय की अकर्मण्यता पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि अन्य याचिकाओं को भी साथ में लिस्ट करना था, जो नहीं किया गया. अगली तारीख 22 अक्टूबर पर सभी याचिकाओं को पेश किया जाए.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है. सौरभ कुमार की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से याचिकाकर्ता को जवाब की कॉपी देने को कहा है.

इसे भी पढ़ें-16448 सहायक अध्यापक भर्ती: कम मेरिट के बाद भी नियुक्ति देने पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद तलब

बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार को 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. जनहित याचिका में धर्मांतरण कानून को संविधान विरोधी और गैरजरूरी बताया गया है, और कहा गया है कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. इसका सियासी दुरुपयोग किए जाने की भी आशंका जताई गई है.

प्रयागराज: लव जिहाद (Love Jihad) के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए यूपी सरकार (UP Government) द्वारा बनाए गए धर्मांतरण कानून (Conversion Law) के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad) में दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार सुनवाई नहीं हो सकी. याचिका पर अगली सुनवाई अब 22 अक्टूबर को होगी. सुनवाई नहीं होने पर कोर्ट ने निबंधक कार्यालय की अकर्मण्यता पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि अन्य याचिकाओं को भी साथ में लिस्ट करना था, जो नहीं किया गया. अगली तारीख 22 अक्टूबर पर सभी याचिकाओं को पेश किया जाए.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है. सौरभ कुमार की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से याचिकाकर्ता को जवाब की कॉपी देने को कहा है.

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बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यूपी सरकार को 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. जनहित याचिका में धर्मांतरण कानून को संविधान विरोधी और गैरजरूरी बताया गया है, और कहा गया है कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. इसका सियासी दुरुपयोग किए जाने की भी आशंका जताई गई है.

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