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गैंगरेप के दोषी को 20 साल बाद हाईकोर्ट से मिली जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को पीलीभीत के बिलसंडा थानांतर्गत हुए नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी को 20 साल बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. सत्र अदालत ने उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई है.

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allahabad high court order
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Published : Jun 22, 2022, 6:27 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को पीलीभीत के बिलसंडा थानांतर्गत हुए नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी को 20 साल बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. सत्र अदालत ने उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कलेक्टर और अन्य की सजा के खिलाफ अपील पर दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया. कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के सौदान सिंह के मामले में दिए गए फैसले के आधार पर दिया.

इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि केस की निकट भविष्य में सुनवाई की उम्मीद न हो तो आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रख सकते. जमानत पर रिहा किया जाए. याची की ओर से तर्क दिया गया कि वह 20 साल और आठ महीने से अधिक कारावास की सजा काट चुका है. उसे मामले में गलत रूप से फंसाया गया है. सह अभियुक्त को जमानत पर पहले ही रिहा कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- लोकसभा उपचुनाव: चुनाव प्रचार करने रामपुर पहुंचे आजम खान, कहा- सरकार हमें कभी भी गोली मार सकती है

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. याची के खिलाफ बिलसंडा थाने में धारा 363, 366, 376(2) और एससीएसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. निचली अदालत ने याची को दोषी करार दिया था. याची तब से बरेली जेल में बंद है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को पीलीभीत के बिलसंडा थानांतर्गत हुए नाबालिग से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी को 20 साल बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. सत्र अदालत ने उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कलेक्टर और अन्य की सजा के खिलाफ अपील पर दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया. कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के सौदान सिंह के मामले में दिए गए फैसले के आधार पर दिया.

इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि केस की निकट भविष्य में सुनवाई की उम्मीद न हो तो आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रख सकते. जमानत पर रिहा किया जाए. याची की ओर से तर्क दिया गया कि वह 20 साल और आठ महीने से अधिक कारावास की सजा काट चुका है. उसे मामले में गलत रूप से फंसाया गया है. सह अभियुक्त को जमानत पर पहले ही रिहा कर दिया गया है.

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कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. याची के खिलाफ बिलसंडा थाने में धारा 363, 366, 376(2) और एससीएसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. निचली अदालत ने याची को दोषी करार दिया था. याची तब से बरेली जेल में बंद है.

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