प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 311 का उद्देश्य न्याय दिलाना है. इस धारा के तहत सत्र न्यायालय को किसी भी गवाह को दोबारा कोर्ट में बुलाने के लिए विवेकाधिकार दिया गया है. आरोपी को न्याय देने में विफलता से बचने के लिए यह उपबंध किया गया है. ऐसे मे कोर्ट मनमाने तरीके से गवाह को दोबारा बुलाने की अर्जी निरस्त नहीं कर सकता.
हाईकोर्ट ने अपर सत्र न्यायाधीश हापुड़ को नाबालिग बच्ची के दुराचार और हत्या मामले में घायल चश्मदीद गवाह और मृतका के भाई को उसके वीडियो क्लिप के आधार पर सवाल पूछने के लिए दोबारा कोर्ट में बुलाने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने आरोपी अमरजीत उर्फ कलुआ की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने अपर सत्र न्यायाधीश के गवाह को दोबारा बुलाने से इनकार करने के 14 फरवरी 2020 के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है.
आपको बता दें कि, 5 सितम्बर 2018 को हापुड़ में 12 साल की लड़की और उसका 10 वर्षीय भाई घर में थे. उनके पिता खेत में चारा काटने गये थे. जबकि, मां और एक बेटा दिल्ली गये थे. आरोप है कि, इस दौरान दोपहर डेढ़ बजे के करीब याची अंकुर तेली ने सोनू उर्फ पौवा के साथ घर मे घुसकर नाबालिग लड़की से सामूहिक दुराचार किया और इसके बाद उसकी हत्या कर दी. साथ ही मृतका के भाई को भी चाकू मार कर घायल कर दिया. फिलहाल आरोपी जेल में हैं. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है. कोर्ट ट्रायल में गवाही और प्रति परीक्षा होने के बाद याची आरोपी के वकील ने चश्मदीद गवाह और मृतका के भाई के एक वायरल वीडियो के बारे में सवाल पूछने के लिए उसे दोबारा कोर्ट में बुलाने की अर्जी थी. कोर्ट ने इस अर्जी को ट्रायल मे देरी की कोशिश करार देते हुए खारिज कर दिया था. सत्र न्यायालय के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
बताया जा रहा है कि, ये वायरल वीडियो उस वक्त का है जब मृतका का भाई घटना के बाद अस्पताल में भर्ती था. याची का दावा है कि वीडियो क्लिप में मृतका के भाई ने वास्तविक अपराधियों के नाम लिए हैं. न्याय के लिए चश्मदीद गवाह को सवालों के जवाब के लिए दोबारा कोर्ट में बुलाना जरूरी है. जिसके बाद हाईकोर्ट ने आरोपी पक्ष की ये याचिका मंजूर कर ली.
ग्रामसभा की जमीन के बदले प्राइवेट जमीन देने के मामले में हस्तक्षेप से हाईकोर्ट का इनकार
इसके अलावा एक दूसरे मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामसभा की जमीन पर अवैध कब्जा कर बने स्कूल की जमीन के बदले दूसरी जमीन देने के प्रस्ताव पर विचार करने का आदेश जारी करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.
अतिक्रमण करने वाला न करे नरमी की उम्मीद- हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा है कि याची ने खुद ग्रामसभा की जमीन का अतिक्रमण किया है. इसलिए उसे साम्या न्याय (इक्विटी) नहीं दिया जा सकता. वह नरमी की उम्मीद न करे. इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने श्यामदेव की याचिका पर दिया है.
याची का कहना था कि उसने आजमगढ़ की सदर तहसील के देवरिया खालसा गांव में ग्रामसभा की जमीन पर स्कूल भवन निर्माण करा लिया है. इस जमीन के बदले में वह अपनी जमीन देने को तैयार है. इस आशय की अर्जी 15 नवम्बर 18 को उपजिलाधिकारी को दी है. इसके बावजूद प्रशासन स्कूल भवन के ध्वस्तीकरण पर आमादा है. याची ने उसकी अर्जी तय होने तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट ने अतिक्रमणकारी को राहत देने से इनकार कर दिया है.