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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तबादला नीति के खिलाफ किए गए स्थानांतरण पर लगायी रोक

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Published : Aug 18, 2021, 10:28 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी के स्थानांतरण पर रोक लगा दी है. अदालत का कहना है कि तबादला नीति का उल्लंघन करके इस कर्मचारी का स्थानांतरण किया गया था.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी तबादला नीति के उल्लंघन को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी के स्थानांतरण में सरकारी तबादला नीति का उल्लंघन करने के मामले में यह आदेश दिया. अदालत ने कहा कि इस कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल का समय बचा हुआ है. ट्रांसफर पॉलिसी के विपरीत इस कर्मचारी का सिद्धार्थनगर से गोरखपुर तबादला कर दिया गया. इस पर अदालत ने रोक लगा दी और राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने कहा है कि क्या तबादला नीति के अनुसार यथासंभव स्थिति पर विचार करने के बाद तबादला किया गया है. जिस अधिकारी ने तबादला किया है, उसी से हलफनामा दाखिल कराएं. याची का कहना है कि उसका तबादला, नीति के खिलाफ स्थितियों पर विचार किए बगैर किया गया है. उसके दो बच्चे दिव्यांग हैं और वह 30 अप्रैल 2022 को सेवानिवृत्त होने जा रहा है. नीति के तहत सेवा दो साल बची हो तो प्रोन्नति भी गृह जनपद में की जानी चाहिए और याची का गृह जनपद सिद्धार्थनगर है.

ये भी पढ़ें- जल जीवन मिशन घोटाले में मुख्यमंत्री भी शामिल: संजय सिंह

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने राधेश्याम की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि तबादला नीति बनी है तो नीति के खिलाफ तबादला कैसे किया जा सकता है. ऐसे में तबादला नीति की क्या उपयोगिता है। आदेश देखने से लग रहा कि विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. नीति में यथासंभव स्थिति पर भी विचार नहीं किया गया. इस पर कोर्ट विचार करेगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी तबादला नीति के उल्लंघन को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारी के स्थानांतरण में सरकारी तबादला नीति का उल्लंघन करने के मामले में यह आदेश दिया. अदालत ने कहा कि इस कर्मचारी के रिटायरमेंट में एक साल का समय बचा हुआ है. ट्रांसफर पॉलिसी के विपरीत इस कर्मचारी का सिद्धार्थनगर से गोरखपुर तबादला कर दिया गया. इस पर अदालत ने रोक लगा दी और राज्य सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने कहा है कि क्या तबादला नीति के अनुसार यथासंभव स्थिति पर विचार करने के बाद तबादला किया गया है. जिस अधिकारी ने तबादला किया है, उसी से हलफनामा दाखिल कराएं. याची का कहना है कि उसका तबादला, नीति के खिलाफ स्थितियों पर विचार किए बगैर किया गया है. उसके दो बच्चे दिव्यांग हैं और वह 30 अप्रैल 2022 को सेवानिवृत्त होने जा रहा है. नीति के तहत सेवा दो साल बची हो तो प्रोन्नति भी गृह जनपद में की जानी चाहिए और याची का गृह जनपद सिद्धार्थनगर है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने राधेश्याम की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि तबादला नीति बनी है तो नीति के खिलाफ तबादला कैसे किया जा सकता है. ऐसे में तबादला नीति की क्या उपयोगिता है। आदेश देखने से लग रहा कि विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. नीति में यथासंभव स्थिति पर भी विचार नहीं किया गया. इस पर कोर्ट विचार करेगी.

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