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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, सात साल तक की सजा के अपराध में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत - सजा के अपराध में अग्रिम जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सात साल तक की सजा के अपराध में अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया. अदालत ने कहा कि कानून के खिलाफ पुलिस रामगढ़ फिरोजाबाद के वसीम उस्मानी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है.

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रामगढ़ फिरोजाबाद के वसीम उस्मानी इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 28, 2022, 9:37 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सात साल तक की सजा वाले अपराधों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किए बगैर पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. ऐसे में आरोपी को अग्रिम जमानत देने का कोई औचित्य नहीं है. याची के खिलाफ दर्ज एफआईआर में लगे आरोपों से अधिकतम सात साल की ही सजा हो सकती है. पुलिस याची की गिरफ्तारी नहीं कर सकती है.

कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर रिहा करने की मांग को अस्वीकार करते हुए अर्जी निस्तारित कर दी. यह आदेश (Allahabad High Court Order) न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने रामगढ़ फिरोजाबाद के वसीम उस्मानी की अग्रिम जमानत अर्जी पर दिया. याची का कहना था कि बीएनएस कंपनी से शिकायतकर्ता का लेन-देन हुआ था. याची का इससे कोई सरोकार नहीं है.

ये भी पढ़ें- दुकान को लेकर बड़े भाई ने छोटे भाई पर चाकू से किया वार

केवल मुख्य अभियुक्त का भतीजा होने के नाते उसे फंसाया गया. लगाये गये आरोपों से सात साल तक ही सजा हो सकती है. इसमें पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है. फिर भी पुलिस उसे परेशान कर रही है. आशंका है कि उसको कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ पुलिस याची की गिरफ्तारी न करें.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सात साल तक की सजा वाले अपराधों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किए बगैर पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. ऐसे में आरोपी को अग्रिम जमानत देने का कोई औचित्य नहीं है. याची के खिलाफ दर्ज एफआईआर में लगे आरोपों से अधिकतम सात साल की ही सजा हो सकती है. पुलिस याची की गिरफ्तारी नहीं कर सकती है.

कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर रिहा करने की मांग को अस्वीकार करते हुए अर्जी निस्तारित कर दी. यह आदेश (Allahabad High Court Order) न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने रामगढ़ फिरोजाबाद के वसीम उस्मानी की अग्रिम जमानत अर्जी पर दिया. याची का कहना था कि बीएनएस कंपनी से शिकायतकर्ता का लेन-देन हुआ था. याची का इससे कोई सरोकार नहीं है.

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केवल मुख्य अभियुक्त का भतीजा होने के नाते उसे फंसाया गया. लगाये गये आरोपों से सात साल तक ही सजा हो सकती है. इसमें पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती है. फिर भी पुलिस उसे परेशान कर रही है. आशंका है कि उसको कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि कानून के खिलाफ पुलिस याची की गिरफ्तारी न करें.

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