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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- रुपयों की सुरक्षा करना बैंक की जिम्मेदारी, जमाकर्ता देश के प्रति ईमानदार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बैंक में पैसा जमा करने वाले लोग देश के प्रति ज्यादा ईमानदार हैं. उनका पैसा हर हाल में सुरक्षित रहना चाहिए. साइबर ठगी से रुपयों की सुरक्षा बैंक की जिम्मेदारी है.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश
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Published : Jan 12, 2022, 10:57 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायमूर्ति पूनम श्रीवास्तव के बैंक खाते से पांच लाख रुपए की ठगी के सभी आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि साइबर ठगी के मामले में पैसे की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होनी चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश, तपन मंडल, शूबो शाह उर्फ शुभाजीत व तौसीफ जमा की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बैंक में रुपये जमा करने वाले लोग देश के प्रति ईमानदार हैं. उनके रुपये हर हाल में सुरक्षित रहने चाहिए. गरीब ईमानदार आदमी अपना पैसा बैंक में रखता है. इससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. कालाबाजारी करने वाले सफेदपोश लोग रुपये तहखाने में रखते हैं, जो देश के विकास में काम नहीं आता.

वो विकास में रोड़ा उत्पन्न करते हैं. बैंक यह कहकर नहीं बच सकते कि उनकी जिम्मेदारी नहीं हैं. पुलिस यह कहकर नहीं बच सकती कि साइबर अपराधी उनकी पहुंच से दूर नक्सली क्षेत्रों में रहते हैं. साइबर अपराध की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- कंसल्टेंसी पंजीकरण के लिए बिजली बिल मांगना मनमानी: हाईकोर्ट

पूर्व न्यायमूर्ति श्रीवास्तव को चार दिसंबर 2020 को रांची से मोबाइल नंबर पर फोन आया था. उनसे पासबुक, आधार कार्ड और पैन नंबर मांगा गया था. इसके बाद उनके खाते से पांच लाख रुपए निकल लिए गए. उन्होंने 8 दिसंबर को प्रयागराज के कैंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति झारखंड हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट से उनका तबादला किया गया था. इस केस में पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और चार्जशीट दाखिल की थी. आरोपियों ने पुलिस पर बिना साक्ष्य के फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत पर रिहा करने की अर्जी दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायमूर्ति पूनम श्रीवास्तव के बैंक खाते से पांच लाख रुपए की ठगी के सभी आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि साइबर ठगी के मामले में पैसे की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होनी चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश, तपन मंडल, शूबो शाह उर्फ शुभाजीत व तौसीफ जमा की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बैंक में रुपये जमा करने वाले लोग देश के प्रति ईमानदार हैं. उनके रुपये हर हाल में सुरक्षित रहने चाहिए. गरीब ईमानदार आदमी अपना पैसा बैंक में रखता है. इससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. कालाबाजारी करने वाले सफेदपोश लोग रुपये तहखाने में रखते हैं, जो देश के विकास में काम नहीं आता.

वो विकास में रोड़ा उत्पन्न करते हैं. बैंक यह कहकर नहीं बच सकते कि उनकी जिम्मेदारी नहीं हैं. पुलिस यह कहकर नहीं बच सकती कि साइबर अपराधी उनकी पहुंच से दूर नक्सली क्षेत्रों में रहते हैं. साइबर अपराध की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

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पूर्व न्यायमूर्ति श्रीवास्तव को चार दिसंबर 2020 को रांची से मोबाइल नंबर पर फोन आया था. उनसे पासबुक, आधार कार्ड और पैन नंबर मांगा गया था. इसके बाद उनके खाते से पांच लाख रुपए निकल लिए गए. उन्होंने 8 दिसंबर को प्रयागराज के कैंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति झारखंड हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं.

इलाहाबाद हाई कोर्ट से उनका तबादला किया गया था. इस केस में पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और चार्जशीट दाखिल की थी. आरोपियों ने पुलिस पर बिना साक्ष्य के फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत पर रिहा करने की अर्जी दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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