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काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई शुरू

इलाहाबाद हाईकोर्ट में काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई गुरुवार को शुरू हुई. ये सुनवाई 29 मार्च तक जारी रहेगी.

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काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद
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Published : Mar 24, 2022, 8:57 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई शुरू हुई, जो 29 मार्च तक जारी रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर परिसर के सर्वे कराने के वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका और अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने अतिरिक्त लिखित बहस दाखिल की. उन्होंने कहा कि याची ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11डी के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति अर्जी दाखिल की थी. उस पर बल न देकर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर वाद के बिंदु तय किए हैं. इनका कहना है कि संपत्ति लार्ड विश्वेश्वर मंदिर की है.

ये भी पढ़ें- खरमास में सीएम योगी का शपथ ग्रहण, जानिए क्या होगा इसका प्रभाव?

ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा है. पूजा अर्चना जारी है. स्वयं भू लार्ड विश्वेश्वर स्वयं विराजमान हैं, जो कि 15वीं सदी के मंदिर का हिस्सा है. जमीन की प्रकृति धार्मिक है. 15 अगस्त 47 को पूजा होती थी, अब भी जारी है. इसलिए प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 इस पर लागू नहीं होगा. समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी. 29 मार्च को भी बहस जारी रहेगी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई शुरू हुई, जो 29 मार्च तक जारी रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर परिसर के सर्वे कराने के वाराणसी अदालत के आदेश पर रोक लगा रखी है. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका और अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वकील विजय शंकर रस्तोगी ने अतिरिक्त लिखित बहस दाखिल की. उन्होंने कहा कि याची ने सीपीसी के आदेश 7 नियम 11डी के तहत वाद की पोषणीयता पर आपत्ति अर्जी दाखिल की थी. उस पर बल न देकर जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर वाद के बिंदु तय किए हैं. इनका कहना है कि संपत्ति लार्ड विश्वेश्वर मंदिर की है.

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ग्राउंड फ्लोर पर मंदिर का कब्जा है. पूजा अर्चना जारी है. स्वयं भू लार्ड विश्वेश्वर स्वयं विराजमान हैं, जो कि 15वीं सदी के मंदिर का हिस्सा है. जमीन की प्रकृति धार्मिक है. 15 अगस्त 47 को पूजा होती थी, अब भी जारी है. इसलिए प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 इस पर लागू नहीं होगा. समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी. 29 मार्च को भी बहस जारी रहेगी.

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