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हाईकोर्ट ने जिला कमांडेंट होमगार्ड की सेवा बर्खास्तगी की रद्द - जिला कमांडेंट होमगार्ड बर्खास्तगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला कमांडेंट होमगार्ड लखनऊ कृपा शंकर पाण्डेय की सेवा बर्खास्तगी रद्द कर दी है. हाईकोर्ट ने समस्त परिवारों सहित सेवा बहाली का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jul 24, 2021, 8:59 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला कमांडेंट होमगार्ड लखनऊ कृपा शंकर पाण्डेय की सेवा बर्खास्तगी रद्द कर दी है. हाईकोर्ट ने समस्त परिवारों सहित सेवा बहाली का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने याची कमांडेंट की बर्खास्तगी को दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए कहा है कि जिन अधिकारियों की जवाबदेही थी, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. अपर मुख्य सचिव ने याची के जांच में बरी होने पर कोर्ट के निर्देश के बावजूद निर्णय लेने के बजाय लटकाए रखा. उसे अवमानना केस दायर करने को मजबूर किया.

हाईकोर्ट ने कहा कि केस दायर करने पर सबक सिखाने के लिए मनमानी जांच कराकर बर्खास्त कर दिया गया. जिस अनियमितता के आरोप के लिए उसकी बर्खास्तगी की गई, उसमें उसकी जिम्मेदारी ही नहीं थी. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी मनमानी कार्यवाही का अनुमोदन नहीं किया जा सकता. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने कृपाशंकर पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.

याची पर आरोप लगाया गया कि उसने थाना विभूति खंड, गोमतीनगर में 9होमगार्ड तैनात किए. इसमें से 5 ने ड्यूटी नहीं की और 4 ने अधूरी ड्यूटी की. जांच रिपोर्ट में याची को बरी कर दिया गया और कहा गया कि होमगार्ड की ड्यूटी एनआईसी साफ्टवेयर के जरिए लगाई जाती है. प्लाटून कमांडर या कंपनी कमांडर थानाध्यक्ष की निगरानी में ड्यूटी लगाते हैं.

पढ़ें: हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति

अपर मुख्य सचिव द्वारा जांच रिपोर्ट पर निर्णय न लेने पर लखनऊ पीठ में याचिका दायर की गई. इस मामले में हाईकोर्ट ने एक माह में निर्णय लेने को कहा, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका दायर की गई. इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने नाराज होकर जांच सही नहीं मानी और फिर से जांच बैठाई. कमांडेंट के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई. इसके बाद उसको हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा किया गया. जांच में आरोप का जवाब न देने के कारण आरोप सही मान लिए गए और कमांडेंट को बर्खास्त कर दिया गया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला कमांडेंट होमगार्ड लखनऊ कृपा शंकर पाण्डेय की सेवा बर्खास्तगी रद्द कर दी है. हाईकोर्ट ने समस्त परिवारों सहित सेवा बहाली का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने याची कमांडेंट की बर्खास्तगी को दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए कहा है कि जिन अधिकारियों की जवाबदेही थी, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. अपर मुख्य सचिव ने याची के जांच में बरी होने पर कोर्ट के निर्देश के बावजूद निर्णय लेने के बजाय लटकाए रखा. उसे अवमानना केस दायर करने को मजबूर किया.

हाईकोर्ट ने कहा कि केस दायर करने पर सबक सिखाने के लिए मनमानी जांच कराकर बर्खास्त कर दिया गया. जिस अनियमितता के आरोप के लिए उसकी बर्खास्तगी की गई, उसमें उसकी जिम्मेदारी ही नहीं थी. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी मनमानी कार्यवाही का अनुमोदन नहीं किया जा सकता. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने कृपाशंकर पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया.

याची पर आरोप लगाया गया कि उसने थाना विभूति खंड, गोमतीनगर में 9होमगार्ड तैनात किए. इसमें से 5 ने ड्यूटी नहीं की और 4 ने अधूरी ड्यूटी की. जांच रिपोर्ट में याची को बरी कर दिया गया और कहा गया कि होमगार्ड की ड्यूटी एनआईसी साफ्टवेयर के जरिए लगाई जाती है. प्लाटून कमांडर या कंपनी कमांडर थानाध्यक्ष की निगरानी में ड्यूटी लगाते हैं.

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अपर मुख्य सचिव द्वारा जांच रिपोर्ट पर निर्णय न लेने पर लखनऊ पीठ में याचिका दायर की गई. इस मामले में हाईकोर्ट ने एक माह में निर्णय लेने को कहा, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका दायर की गई. इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने नाराज होकर जांच सही नहीं मानी और फिर से जांच बैठाई. कमांडेंट के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई. इसके बाद उसको हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा किया गया. जांच में आरोप का जवाब न देने के कारण आरोप सही मान लिए गए और कमांडेंट को बर्खास्त कर दिया गया.

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