प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad High Court Bar Association) के महासचिव ने सर्वोच्च न्यायालय (Apex court) में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं को उच्च न्यायालयों का जज बनाने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) के प्रस्ताव (Proposal) को विवेकहीन और औचित्यहीन बताया है. हाईकोर्ट बार के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट बार (Supreme Court Bar) का यह प्रस्ताव हाईकोर्ट की बार व बेंच का अपमान है, असंवैधानिक है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही उन्होंने देश के मुख्य न्यायाधीश से सुप्रीम कोर्ट बार के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने का आग्रह किया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का कहना है कि हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की जो प्रक्रिया अनवरत चली आ रही है, वह विधिसम्मत है. सुप्रीम कोर्ट बार ने ऐसा प्रस्ताव प्रस्तुत कर उच्च न्यायालयों में वकालत कर सर्वोच्च न्यायालय की न्याय पीठ तक पहुंचे सम्मानित न्यायविदों को नजरअंदाज किया है. सुप्रीम कोर्ट बार यह भूल गया कि देश की न्याय व्यवस्था को गति प्रदान करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश उच्च न्यायालयों में वकालत और न्याय पीठ के सफल दायित्व निर्वहन के बाद ही पहुंचे हैं. ऐसे में यह कहना सर्वथा गलत है कि सुप्रीम कोर्ट में विधि व्यवसाय करने वाले ही हाईकोर्ट में न्यायाधीश पद की अहर्ता रखते हैं. असलियत यह है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश उच्च न्यायालयों की वकालत की ही धरोहर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे माननीयों को नजरअंदाज कर जो प्रस्ताव पारित किया है, वह अतिनिन्दनीय है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार यह भी भूल रहा है कि उसने जो कमेटी बनाई है, उसमें शामिल सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी इसी इलाहाबाद हाईकोर्ट की देन हैं.
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