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आधार कार्ड नहीं होने से गयी बच्ची की जान, मौत के बाद हरकत में प्रशासन

उत्तर प्रदेश के आगरा में चिकित्सा विभाग की लापरवाही से 9 साल के मासूम की जान चली गई. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एन्टी रैबीज वैक्सीन का स्टॉक होने के बावजूद फार्मासिस्ट ने आधार कार्ड ना होने का बहाना करके मासूम को वैक्सीन नहीं लगाई. वैक्सीन के अभाव में बच्ची की मौत हो गई.

चिकित्सा विभाग की लापरवाही से गई मासूम की जान
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Published : Aug 27, 2019, 9:14 PM IST

आगरा: चिकित्सा विभाग की लापरवाही ने 9 साल की अंजू की जान ले ली. अंजू को एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) लगाया जाना था. अंजू के पिता उसे बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर गए, जहां अंजू का आधार कार्ड नहीं होने पर उसे एआरवी नहीं लगाई गई. 23 अगस्त को अंजू की हालत बिगड़ी तो उसे गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां अंजू ने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया है. घटना में लापरवाही बरतने वाले फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है.

इसे भी पढे़:- डॉक्टरों ने नहीं किया भर्ती, आठ साल की मासूम की अस्पताल के सामने मौत

स्टॉक होने के बाद भी नहीं लगाई वैक्सी-

  • बाह के खजुआपुरा निवासी 9 वर्षीय अंजू को कुत्ते ने काट लिया था.
  • अंजू के पिता वैक्सीन लगवाने के लिए बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए.
  • फार्मासिस्ट ने यह कह कर एआरवी नहीं लगायी कि अंजू का आधार कार्ड नहीं है.
  • सख्त निर्देश है कि यदि एआरवी लगवाने वाले मरीज के पास आधार कार्ड नहीं है तो भी पहली डोज लगा दी जाए.
  • दूसरी डोज लगाने से पहले मरीज या उसके किसी अभिभावक का आधार कार्ड लिया जाए.
  • घटना में लापरवाही बरतने वाले फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है.

इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि स्टॉक में एआरवी था, लेकिन अंजू को नहीं लगाया गया था. इसको लेकर के फार्मासिस्ट को निलंबित किया गया है.

डॉ. मुकेश कुमार वत्स, सीएमओ आगरा

आगरा: चिकित्सा विभाग की लापरवाही ने 9 साल की अंजू की जान ले ली. अंजू को एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) लगाया जाना था. अंजू के पिता उसे बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर गए, जहां अंजू का आधार कार्ड नहीं होने पर उसे एआरवी नहीं लगाई गई. 23 अगस्त को अंजू की हालत बिगड़ी तो उसे गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, जहां अंजू ने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया है. घटना में लापरवाही बरतने वाले फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है.

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स्टॉक होने के बाद भी नहीं लगाई वैक्सी-

  • बाह के खजुआपुरा निवासी 9 वर्षीय अंजू को कुत्ते ने काट लिया था.
  • अंजू के पिता वैक्सीन लगवाने के लिए बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए.
  • फार्मासिस्ट ने यह कह कर एआरवी नहीं लगायी कि अंजू का आधार कार्ड नहीं है.
  • सख्त निर्देश है कि यदि एआरवी लगवाने वाले मरीज के पास आधार कार्ड नहीं है तो भी पहली डोज लगा दी जाए.
  • दूसरी डोज लगाने से पहले मरीज या उसके किसी अभिभावक का आधार कार्ड लिया जाए.
  • घटना में लापरवाही बरतने वाले फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है.

इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि स्टॉक में एआरवी था, लेकिन अंजू को नहीं लगाया गया था. इसको लेकर के फार्मासिस्ट को निलंबित किया गया है.

डॉ. मुकेश कुमार वत्स, सीएमओ आगरा

Intro:आगरा.
चिकित्सा विभाग की सरकारी सिस्टम ने 9 साल की अंजू की जान ले ली. अंजू को एंटी रेबीज वैक्सीन ( एआरवी) लगाया जाना था. पिता उसे बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर गए लेकिन आधार कार्ड नहीं होने पर उसे एआरवी नहीं लगाई गई. 23 अगस्त को अंजू की हालत बिगड़ी तो उसे गंभीर हालत में एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया. जहां अंजू ने दम तोड़ दिया. अंजू की मौत के बाद शासन ने सख्त रवैया अपनाया है और इसकी जांच डीएम से तलब की है. इस पर चिकित्सा विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. आनन-फानन में चिकित्सा विभाग में स्टाक होने के बाद भी अंजू के नहीं लगाए. इसमें लापरवाही बरतने वाले फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया है.


Body:बता दें बाह के खजुआपुरा निवासी 9 वर्षीय अंजू को कुत्ते ने काट लिया था. इस पर उसके पिता उसे याद भी लगवाने के लिए बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आए. फार्मासिस्ट ने यह कह कर के एआरवी नहीं लगाया की अंजू का आधार कार्ड नहीं है. जबकि सरकार के सख्त निर्देश है कि यदि एआरवी लगवाने वाले मरीज के पास आधार कार्ड नहीं है तो भी उसे पहली दोज लगा दी जाए. और दूसरी दोज लगाने से पहले मरीज या उसके किसी अभिभावक का आधार कार्ड लिया जाए.
सीएमओ डॉ मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की थी. कमेटी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि इस स्टाक में एआरवी था, लेकिन अंजू के नहीं लगाया गया था. इसको लेकर के फार्मासिस्ट को निलंबित किया गया है.





Conclusion:सरकारी अस्पताल में एआरवी लगवाने के लिए मरीज या उसके किसी एक अभिभावक का आधार कार्ड बहुत जरूरी है. चिकित्सा विभाग ने यह व्यवस्था एआरवी का रिकॉर्ड रखने के लिए की थी.लेकिन अब यह व्यवस्था मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है.
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डॉ मुकेश कुमार वत्स, सीएमओ आगरा की।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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