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आगरा में रावण दहन नहीं लोग करते हैं पूजा, पिछले 12 सालों से चली आ रही परंपरा

आगरा में एक ऐसी जगह है जहां लोग रावण दहन नहीं, बल्कि उसकी पूजा (People worship of Ravana since 12 years in Agra) करते हैं. यह लोग रावण के ज्ञान से प्रभावित होकर करीब 12 सालों से रावण को पूजते आ रहे हैं.

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Published : Oct 4, 2022, 9:34 AM IST

आगरा: दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन किया जाएगा. लेकिन, आगरा में एक ऐसी जगह है जहां रावण को पूज्यनीय माना जाता है. तीन दिन तक समिति द्वारा कार्यक्रम भी किया जाता है. समिति के संयोजक का कहना है कि लंका नरेश महाज्ञानी थे. चारों वेद के ज्ञानी थे, इसलिए रावण को पूजनीय मानते हुए उनका पूजन (People worship of Ravana since 12 years in Agra) करते हैं.

समिति पिछले 12 साल से लगातार समाज में यह संदेश देती आ रही है कि लंकापति रावण जैसा कोई भी महान विद्वान नहीं था, इसलिए हमें बुराइयों से नफरत करनी चाहिए, लेकिन किसी की अच्छाइयों से अपने अंदर की कुरीतियों का भी अंत करना चाहिए. लंकापित रावण का बार-बार दाह संस्कार नहीं करना चाहिए.

डॉ. मदन मोहन शर्मा संयोजक लंकापति दशानन महाराज रावण पूजा आयोजन समिति (Ravana Puja Organizing Committee) ने बताया कि रावण का दहन हर साल दशहरे के दिन किया जाता है, जबकि रावण जैसा कोई ज्ञानी पंडित नहीं था. यहां तक राम जी ने खुद रामेश्वर महादेव जी की पूजा (Worship of Ravana in Agra) करने के लिए लंकापति रावण को बुलाया था.

मदन मोहन शर्मा ने बताया कि उन्होंने रावण के ज्ञान से प्रभावित होकर अपने दोस्तों के साथ लंकापति दशानन महाराज रावण पूजा आयोजन समिति का गठन किया. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह अपने अंदर के रावण को मारें, लेकिन रावण का दहन न करें. समिति अध्यक्ष एडवोकेट उमाकांत सारस्वत ने लोगों को समझाया कि हिंदू रीति रिवाज में एक व्यक्ति का दाह संस्कार एक बार ही किया जाता है तो रावण का दहन बार-बार क्यों किया जाता है.

पढ़ें- आगरा यूनीवर्सिटी में BAMS की कॉपी बदलवाने का मुख्य आरोपी कोर्ट में सरेंडर

सोमवार शाम संरक्षक विनोद सारस्वत, महेश सारस्वत, लंकेश दीपक सारस्वत ने लंकापति दशानन महाराज पूजा समिति (Ravana Puja Organizing Committee) द्वारा शिवशंकर भोलेनाथ का अभिषेक किया गया. भोलेनाथ के सामने दशानन लंकापति रावण द्वारा रचित शिवतांडव स्त्रोत का (Worship of Ravana in Agra) पाठ किया गया. बदले दौर में लंकापति के आदर्शों को अपनी जिंदगी में शामिल करने का संकल्प लिया गया. शाम को दशानन की आरती की गई. दशानन महाराज स्वरूप आनंद जोशी, भोले शंकर का स्वरूप राजी खिरवार, शिव तांडव स्त्रोत का पाठ राजा खिरवार ने किया. 4 अक्टूबर को लंकापति रावण की अच्छाइयों का मंचन किया जाएगा और 5 अक्टूबर को रामलाल वृद्ध आश्रम सिकंदरा पर हवन एवं कन्या पूजन कार्यक्रम होगा.
पढ़ें- आगरा बुर्का विवाद में आया ट्विस्ट, छात्राओं और शिक्षिकाओं ने प्रधानाचार्य पर लगाए गंभीर आरोप

आगरा: दशहरे के दिन रावण का पुतला दहन किया जाएगा. लेकिन, आगरा में एक ऐसी जगह है जहां रावण को पूज्यनीय माना जाता है. तीन दिन तक समिति द्वारा कार्यक्रम भी किया जाता है. समिति के संयोजक का कहना है कि लंका नरेश महाज्ञानी थे. चारों वेद के ज्ञानी थे, इसलिए रावण को पूजनीय मानते हुए उनका पूजन (People worship of Ravana since 12 years in Agra) करते हैं.

समिति पिछले 12 साल से लगातार समाज में यह संदेश देती आ रही है कि लंकापति रावण जैसा कोई भी महान विद्वान नहीं था, इसलिए हमें बुराइयों से नफरत करनी चाहिए, लेकिन किसी की अच्छाइयों से अपने अंदर की कुरीतियों का भी अंत करना चाहिए. लंकापित रावण का बार-बार दाह संस्कार नहीं करना चाहिए.

डॉ. मदन मोहन शर्मा संयोजक लंकापति दशानन महाराज रावण पूजा आयोजन समिति (Ravana Puja Organizing Committee) ने बताया कि रावण का दहन हर साल दशहरे के दिन किया जाता है, जबकि रावण जैसा कोई ज्ञानी पंडित नहीं था. यहां तक राम जी ने खुद रामेश्वर महादेव जी की पूजा (Worship of Ravana in Agra) करने के लिए लंकापति रावण को बुलाया था.

मदन मोहन शर्मा ने बताया कि उन्होंने रावण के ज्ञान से प्रभावित होकर अपने दोस्तों के साथ लंकापति दशानन महाराज रावण पूजा आयोजन समिति का गठन किया. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह अपने अंदर के रावण को मारें, लेकिन रावण का दहन न करें. समिति अध्यक्ष एडवोकेट उमाकांत सारस्वत ने लोगों को समझाया कि हिंदू रीति रिवाज में एक व्यक्ति का दाह संस्कार एक बार ही किया जाता है तो रावण का दहन बार-बार क्यों किया जाता है.

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सोमवार शाम संरक्षक विनोद सारस्वत, महेश सारस्वत, लंकेश दीपक सारस्वत ने लंकापति दशानन महाराज पूजा समिति (Ravana Puja Organizing Committee) द्वारा शिवशंकर भोलेनाथ का अभिषेक किया गया. भोलेनाथ के सामने दशानन लंकापति रावण द्वारा रचित शिवतांडव स्त्रोत का (Worship of Ravana in Agra) पाठ किया गया. बदले दौर में लंकापति के आदर्शों को अपनी जिंदगी में शामिल करने का संकल्प लिया गया. शाम को दशानन की आरती की गई. दशानन महाराज स्वरूप आनंद जोशी, भोले शंकर का स्वरूप राजी खिरवार, शिव तांडव स्त्रोत का पाठ राजा खिरवार ने किया. 4 अक्टूबर को लंकापति रावण की अच्छाइयों का मंचन किया जाएगा और 5 अक्टूबर को रामलाल वृद्ध आश्रम सिकंदरा पर हवन एवं कन्या पूजन कार्यक्रम होगा.
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