लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार के 2 साल पूरे हो रहे हैं. योगी सरकार इन 2 वर्षों में अवैध शराब के गोरखधंधे पर शिकंजा कसने में विफल नजर आई.सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि अवैध शराब को उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा. हालांकि इन दावों की पोल खुलती रही है. यूपी में अवैध और जहरीली शराब के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई तो आनन-फानन में ऐसी घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने कुछ कार्रवाईकी. लेकिन फिर अवैध शराब का कारोबार फलने फूलने लगता है.
अवैध शराब से उत्तर प्रदेश के कानपुर, कानपुर देहात कुशीनगर अयोध्या संभल कासगंज सहित कई जिलों में काफी संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले साल कानपुर देहात में हुए शराब कांड में करीब 17 लोग की मौत हुई थी. इसके अलावा कौशांबी जिले की कोखराज थाना क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 4 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि अयोध्या में पिछले 2 वर्षों में करीब 10 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार अपने कार्यकाल के 2 साल में अवैध शराब के खिलाफ शिकंजा कसने में फेल साबित हुई है.
उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि अवैध शराब या कच्ची शराब का मुकाबला करने के लिए विभाग के पास बहुत पुराने नियम थे. ऐसी धाराएं थी जिनमें कम दंड या सजा का प्रावधान भी था. हमारी सरकार बनने के बाद हमने आबकारी नियमों को मजबूत करने का काम किया है. पहले जो आबकारी के नियम थे उसके अनुसार, अवैध शराब या कच्ची शराब के धंधे करने पर 24 घंटे में ही जमानत हो जाती थी. हमने इन धाराओं को मजबूत किया और जिसे 60 क नाम दिया गया. हमने आबकारी अधिनियम में भी संशोधन किया और उसके अंतर्गत अवैध शराब के कारोबार में मृत्युदंड आजीवन कारावास और ₹500000 के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
अवैध शराब या कच्ची शराब के कारोबारियों पर शिकंजा कसने के बाद दोबारा से फिर उनके सक्रिय हो जाने के सवाल पर आबकारी मंत्री कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी के स्तर पर सख्त हिदायत दी गई है. किसी भी जिले के किसी भी थाने में अगर आप इस प्रकार की घटना होती है तो संबंधित अधिकारी या थाना क्षेत्र के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.