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रायबरेली: ओडीएफ के सरकारी दावे की क्या है हकीकत ?

योगी सरकार सूबे को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) का तमगा पहले ही दे चुकी है. ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि ओडीएफ मिशन का जमीनी स्तर पर सूरत-ए-हाल क्या है. रायबरेली में इस योजना की पोल खुलती नजर आ रही है.

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Published : Mar 2, 2019, 4:13 PM IST

ओडीएफ - रियलिटी चेक.

रायबरेली: सूबे के मुखिया पूरे प्रदेश के लिये खुले में शौच से मुक्त होने का दावा करते हैं. इस दावे का रियलिटी चेक करने के लिये ईटीवी भारत ने टीम जिले के झकरासी गांव का रुख किया. इस दौरान ओडीएफ वाली पड़ताल में खुले में शौच से मुक्त होने का दावे की पोल खोलने वाली कई तस्वीरें निकलकर सामने आई हैं.

ओडीएफ - रियलिटी चेक.
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को पूर्णतः ODF बनाने के लिए अक्टूबर, 2018 की डेडलाइन तय की थी.
  • ODF के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य में रोजाना 15,000 शौचालय बनाए जाने निर्देश भी तय किए गए थे.
  • Open Defecation Free या ODF.
  • स्वच्छ भारत अभियान के चारसाल बीत जाने के बावजूद ODF का सपना अधूरा.
  • नेहरू परिवार की पुश्तैनी संसदीय क्षेत्र है रायबरेली, वर्तमान में सोनिया गांधी हैं सांसद.
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झकरासी गांव के ग्रामीणों को इज्जत घर की कमी अखर रही है. सरकार के इसयोजना के बाबत में पूछे जाने पर ज्यादातर लोगों का यही कहना था कि पैसा न मिलने के कारण उनका इज्जत घर का सपना अधूरा रह गया. इस योजना के तहत सरकार 12 हजार की धनराशि मुहैया कराती है, जबकि गांव के लोगों की यही शिकायत रही कि 6 हजार की पहली किश्त मिलने के बाद दूसरी व अंतिम किश्त उन्हें नहीं मिली है. नतीजतन शौचालय अधूरे पड़े हैं. गांव की महिलाओं से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि अपने पैसे से इज्जत घर बनवा पाने में समर्थ नहीं हैं और सरकारी धन भी न मिल पाने के कारण इस योजना का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है.

इस विषय पर जब रायबरेली की जिलाधिकारी नेहा शर्मा से बातचीत की गई तो उनका दावा था कि जिले की सभी ग्राम सभा को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. इसके साथ ही डीएम ने इस बात को भी स्वीकार किया कि यह एक सतत प्रक्रिया है. करीब 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी जो किन्हीं कारणों से इस योजना से वंचित रह गए हैं उन्हें भी इसके तहत जोड़कर ओडीएफ के साथ ही ओडीएफ प्लस की ओर ले जाने का प्रयास जारी है.

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रायबरेली: सूबे के मुखिया पूरे प्रदेश के लिये खुले में शौच से मुक्त होने का दावा करते हैं. इस दावे का रियलिटी चेक करने के लिये ईटीवी भारत ने टीम जिले के झकरासी गांव का रुख किया. इस दौरान ओडीएफ वाली पड़ताल में खुले में शौच से मुक्त होने का दावे की पोल खोलने वाली कई तस्वीरें निकलकर सामने आई हैं.

ओडीएफ - रियलिटी चेक.
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को पूर्णतः ODF बनाने के लिए अक्टूबर, 2018 की डेडलाइन तय की थी.
  • ODF के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य में रोजाना 15,000 शौचालय बनाए जाने निर्देश भी तय किए गए थे.
  • Open Defecation Free या ODF.
  • स्वच्छ भारत अभियान के चारसाल बीत जाने के बावजूद ODF का सपना अधूरा.
  • नेहरू परिवार की पुश्तैनी संसदीय क्षेत्र है रायबरेली, वर्तमान में सोनिया गांधी हैं सांसद.
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झकरासी गांव के ग्रामीणों को इज्जत घर की कमी अखर रही है. सरकार के इसयोजना के बाबत में पूछे जाने पर ज्यादातर लोगों का यही कहना था कि पैसा न मिलने के कारण उनका इज्जत घर का सपना अधूरा रह गया. इस योजना के तहत सरकार 12 हजार की धनराशि मुहैया कराती है, जबकि गांव के लोगों की यही शिकायत रही कि 6 हजार की पहली किश्त मिलने के बाद दूसरी व अंतिम किश्त उन्हें नहीं मिली है. नतीजतन शौचालय अधूरे पड़े हैं. गांव की महिलाओं से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि अपने पैसे से इज्जत घर बनवा पाने में समर्थ नहीं हैं और सरकारी धन भी न मिल पाने के कारण इस योजना का सही लाभ नहीं मिल पा रहा है.

इस विषय पर जब रायबरेली की जिलाधिकारी नेहा शर्मा से बातचीत की गई तो उनका दावा था कि जिले की सभी ग्राम सभा को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. इसके साथ ही डीएम ने इस बात को भी स्वीकार किया कि यह एक सतत प्रक्रिया है. करीब 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी जो किन्हीं कारणों से इस योजना से वंचित रह गए हैं उन्हें भी इसके तहत जोड़कर ओडीएफ के साथ ही ओडीएफ प्लस की ओर ले जाने का प्रयास जारी है.

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Intro:योगी सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जनपदों को ओडीएफ घोषित होने के दावे की पोल खोलती रायबरेली से रिपोर्ट

01 मार्च 2019 - रायबरेली

सूबे के मुखिया विभिन्न आयोजनों में पूरे प्रदेश में खुले में शौच से मुक्त होने का दावा करते नही थकते साथ ही कई समाचार चैनलों में भी शत प्रतिशत ओडीएफ से संबंधित विज्ञापन देखने को मिलते है।इसी का रियलिटी चेक करने ईटीवी भारत रायबरेली जिले के झकरासी गांव पहुंचा और ग्रामीणों इस मिलकर इस बारें में पड़ताल की।








Body:वर्षों से कांग्रेस का गढ़ रहे रायबरेली जनपद में विकास के दावे पूर्ववर्ती शासन काल मे भी होते रहे पर जमीनी हकीकत उन दावों को विफल करती रही। केंद्र व राज्य सरकारों में जब फेरबदल हुआ तब जनता को पिछड़े क्षेत्रों में भी विकास की बयार चलने की उम्मीद बंधी। प्रधानमंत्री मोदी सामाजिक सरोकार से जुड़े लगभग सभी सार्वजनिक मंचों से पूरे देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के बात करते रहे,कुछ उसी का अनुशरण करते हुए योगी सरकार ने भी रायबरेली समेत प्रदेश के सभी जनपदों को ओपन डिफेकेशन फ्री करने का दावा किया,पर रायबरेली ज़िले में वो सभी वास्तिवकता से परे ही नज़र आएं।

ETV ग्राउंड कवरेज रिपोर्ट में जब रियलिटी टेस्ट के लिए पहुंचा शहर के मुंशीगंज के नज़दीक झकरासी गांव तो ग्रामीणों के अपने खुद के घरों में इज्जत घर होने के कमी अखरती नज़र आई।सरकार की योजना के बाबत पूछे जाने में ज़्यादातर का यही कहना था कि पूरा पैसा न मिलने के कारण इज्जत घर का निर्माण कार्य पूरा नही हो पाया है।दरअसल योजना के तहत सरकार द्वारा 12 हज़ार की धनराशि दिए जाने का निर्णय लिया गया था जब इस गांव के ज़्यादातर लोगों की यही शिकायत रही कि 6 हज़ार की पहली किश्त मिलने के बाद दूसरी व अंतिम किश्त उन्हें नही मिल पाई है,इसी का नतीजा है कि पूरी तरह से इनका निर्माण पूरा नही हो सका है।इसी गांव की महिलाओं से जब इस बारें में सवाल किया गया तब ज्यादातर का यही कहना था कि खुद से इज्जतघर बनवा पाने की उनके अंदर सामर्थ नही है और सरकारी धन उन्हें न मिल पाने के कारण योजना का सही लाभ नही मिल पा रहा है।

वही,जब रायबरेली के जिलाअधिकारी नेहा शर्मा से ओडीएफ की प्रगति के बारें में बातचीत की गई तो उनका दावा था कि ज़िले की सभी ग्राम सभा को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है,साथ ही डीएम ने इस बात को भी स्वीकार किया कि यह एक सतत प्रक्रिया है करीब 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी जो किन्ही कारणों से योजना से वंचित रह गए थे उन्हें भी इसके तहत जोड़कर ओडीएफ के साथ ही ओडीएफ प्लस की ओर ले जाने का प्रयास किया जाएगा।


Conclusion:विज़ुअल:संबंधित विज़ुअल व झकरासी गांव के ग्रामीण,

बाइट : नेहा शर्मा - डीएम - रायबरेली

प्रणव कुमार - 7000024034

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