वाराणसी: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने विश्वविद्यालय परिसर को हरा-भरा रखने के अपने उद्देश्य और मुहिम के अन्तर्गत विभिन्न तरह के 11 वृक्ष रोपित किए.
कुलपति प्रो. शुक्ल ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान है. प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है. प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन जीव जगत के लिए बेहद ही अनिवार्य है. प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है. गर्मी, सर्दी, वर्षा आदि सब प्रकृति के सन्तुलन पर निर्भर करते हैं. यदि प्रकृति समृद्ध एवं सन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा होगा और सभी मौसम भी समयानुकूल सन्तुलित रहेंगे. यदि प्रकृति असन्तुलित होगी तो पर्यावरण भी असन्तुलित होगा और अकाल, बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प आदि अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं कहर ढाने लगेंगी. प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए पेड़ों का होना बहुत जरूरी है.
कुलपति प्रो. राजाराम ने कहा कि पेड़ प्रकृति का आधार हैं. पेड़ों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. इसीलिए हमारे पूर्वजों ने पेड़ों को पूरा महत्व दिया. वेदों-पुराणों और शास्त्रों में भी पेड़ों के महत्व को समझाने के लिए विशेष जोर दिया गया है. पुराणों में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक पेड़ लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना कि दस गुणवान पुत्रों से यश की प्राप्ति होती है. इसलिए, जिस प्रकार हम अपने बच्चों को पैदा करने के बाद उनकी परवरिश बड़ी तन्मयता से करते हैं, उसी तन्मयता से हमें जीवन में एक पेड़ तो जरूर लगाना चाहिए और पेड़ लगाने के बाद उसकी सेवा व सुरक्षा करनी चाहिए, तभी हमें पेड़ लगाने का परम पुण्य हासिल होता है.
प्रो. शुक्ल ने कहा कि भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि जिसकी संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान है. वृक्ष एक तरह से संतान की तरह ही मानव की उम्रभर सेवा करते हैं. इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए. वर्तमान मे कोरोना महामारी ने समूचे विश्व को ग्रसित किया है. ऐसे मे शुद्ध पर्यावरण की अतिआवश्यकता है. इस मुहिम के द्वारा विश्वविद्यालय के सम्पूर्ण परिसर में वृक्षारोपण किया जाएगा.