इटावा. 1962 के युद्ध में चीन के दांत खट्टे करने वाले योद्धाओं को बल्देव समाज सेवा समिति ने श्रद्धांजलि देकर याद किया. समिति ने 13वीं अहीर कुमाऊं रेजिमेंट के शौर्य दिवस पर गोष्ठी का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस दौरान उन्होंने देश की सेवा व देश पर मर मिटने के लिए तत्पर रहने का भी आह्वान किया.
बल्देव समाज सेवा समिति के अध्यक्ष नरेश चंद्र यादव ने कहा कि 1962 में चीन से हुए युद्ध में 114 यादव सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. 18 नवम्बर 1962 को ये सभी सैनिक देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे. उन शहीदों के जज्बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि युद्ध समाप्ति के तीन महीने के बाद भी जब भारतीय सैनिकों के शवों को निकला गया तो कई सैनिकों की अंगुलियां बंदूकों के ट्रेगर पर ही थीं. उन्होंने बताया कि 120 लोगों के दल में 114 लोग शहीद हो गए, बाकी बुरी तरह जख्मी हो गए थे.
इस अवसर पर समाज के लोगों ने भारत सरकार से अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग की. इस कार्यक्रम में समिति के सदस्यों ने शहीदों के परिवारों के हर सुख-दुख का भी ध्यान रखने की बात कही. समिति सचिव विश्वास यादव ने अमर ज्योति प्रज्ज्वलित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान नेल्स फाउंडेशन के रंजीत यादव व समाज के अन्य लोग मौजूद रहे.