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नियमों के दुहाई देने वाले ही उड़ा रहे मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां

वाहनों में लगे प्रोटेक्शन गार्ड लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इसके बावजूद भी लोग इसका प्रयोग करने से नहीं रुक रहे हैं. बाराबंकी जिले में बहुत सारी गाड़ियों में प्रोटेक्शन गार्ड लगाए गए हैं. अधिकारियों की वाहनों पर भी इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगे हुए हैं.

मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाते लोग
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Published : Mar 17, 2019, 12:26 PM IST

बाराबंकी : चार पहिया वाहनों में बंफर लगाना एक फैशन बन गया है. जबकि यह लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इसके बावजूद भी लोग इसका प्रयोग करने से नहीं रुक रहे हैं. बाराबंकी में हालात यह है कि बहुत सारी वाहनों में इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगाए गए है. अधिकारियों की गाड़ियों पर भी इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगे हुए हैं. अब इसे दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि खुद एसडीएम की गाड़ियों में भी इसी प्रकार के गार्ड लगे हुए हैं. जिले के आलाधिकारी भी इस बात से अनजान है कि या प्रोटक्शन गार्ड नहीं है. बल्कि जानलेवा गार्ड है.

आरटीओ के अनुसार मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के अनुसार, किसी भी प्रकार का एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन वाहनों में नहीं किया जा सकता है. जिले के अपर पुलिस अधीक्षक महोदय का मानना है कि वह परिवहन विभाग के साथ मिलकर, इस प्रकार के किसी भी गलत मॉडिफिकेशन के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे, लेकिन सबसे पहले तो इन उच्च अधिकारियों के गाड़ियों से इस प्रकार के बंफर हटाने पड़ेंगे. क्या एआरटीओ और पुलिस के अधिकारी इस पर अमल कर पाएंगे यह देखने वाली बात है.

मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाते लोग

वहीं एक एजेंसी में तैनात इंजीनियर की मानें तो, वाहनों में लगे बंफर से सबसे बड़ा नुकसान खुद वाहन चलाने वाले और उसमें बैठने वालों को है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब गाड़ियों में बंफर लग जाते हैं तो एक्सीडेंट होने की स्थिति में सूचना सेंसर तक नहीं पहुंच पाती है. जिससे एयर बैग नहीं खुलते. एयर बैग नहीं खुलने के कारण लोगों को गंभीर चोट आ जाती है. कभी-कभी मौत भी हो जाती है. सबसे जरूरी बात जो एक्सपर्ट ने बताई वह यह कि एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन के कारण वाहनों की चपेट में साइकिल इत्यादि भी आ जाती है. जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है.

बाराबंकी : चार पहिया वाहनों में बंफर लगाना एक फैशन बन गया है. जबकि यह लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. इसके बावजूद भी लोग इसका प्रयोग करने से नहीं रुक रहे हैं. बाराबंकी में हालात यह है कि बहुत सारी वाहनों में इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगाए गए है. अधिकारियों की गाड़ियों पर भी इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगे हुए हैं. अब इसे दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि खुद एसडीएम की गाड़ियों में भी इसी प्रकार के गार्ड लगे हुए हैं. जिले के आलाधिकारी भी इस बात से अनजान है कि या प्रोटक्शन गार्ड नहीं है. बल्कि जानलेवा गार्ड है.

आरटीओ के अनुसार मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के अनुसार, किसी भी प्रकार का एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन वाहनों में नहीं किया जा सकता है. जिले के अपर पुलिस अधीक्षक महोदय का मानना है कि वह परिवहन विभाग के साथ मिलकर, इस प्रकार के किसी भी गलत मॉडिफिकेशन के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे, लेकिन सबसे पहले तो इन उच्च अधिकारियों के गाड़ियों से इस प्रकार के बंफर हटाने पड़ेंगे. क्या एआरटीओ और पुलिस के अधिकारी इस पर अमल कर पाएंगे यह देखने वाली बात है.

मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाते लोग

वहीं एक एजेंसी में तैनात इंजीनियर की मानें तो, वाहनों में लगे बंफर से सबसे बड़ा नुकसान खुद वाहन चलाने वाले और उसमें बैठने वालों को है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब गाड़ियों में बंफर लग जाते हैं तो एक्सीडेंट होने की स्थिति में सूचना सेंसर तक नहीं पहुंच पाती है. जिससे एयर बैग नहीं खुलते. एयर बैग नहीं खुलने के कारण लोगों को गंभीर चोट आ जाती है. कभी-कभी मौत भी हो जाती है. सबसे जरूरी बात जो एक्सपर्ट ने बताई वह यह कि एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन के कारण वाहनों की चपेट में साइकिल इत्यादि भी आ जाती है. जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है.

Intro: बाराबंकी ,16 मार्च । आजकल चार पहिया वाहनों में बंफर लगाना एक फैशन बन गया है. यह लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं इसके बावजूद भी इसका प्रयोग करने से नहीं रुक रहे हैं. बाराबंकी में हालात यह है कि बहुत सारी गाड़ियों में इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगाए गए है. इस व्यवस्था में हम किससे उम्मीद रखें कि वह मोटर व्हीकल एक्ट को बचाएंगे ,जब अधिकारियों की गाड़ियों पर ही इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड लगे हुए हैं. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के अनुसार किसी भी गाड़ी में एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन नहीं किया जा सकता है. अब इसे दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि खुद एसडीएम साहिबान की गाड़ियों में भी इसी प्रकार के गार्ड लगे हुए हैं. जिले के आला अधिकारी भी इस बात से अनजान है कि या प्रोटक्शन गार्ड नहीं है बल्कि जानलेवा गार्ड है .


Body:कई बार कुछ चीजें लोगों को पता नहीं होती हैं लेकिन यहां ऐसी स्थिति नहीं है, लोगों को इस बात की जानकारी तो है कि यह जानलेवा है, फिर भी फैशन के तौर पर लोग बंपर लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं. प्रशासनिक व्यवस्था इसको ठीक करने की बात तो कह रही है ,लेकिन वह अपने आप को पहले ठीक कर ले तब तो पब्लिक को समझा पाएगी . जिले के आरटीओ की माने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के अनुसार, किसी भी प्रकार का एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन वाहनों में नहीं किया जा सकता है. जिले के अपर पुलिस अधीक्षक महोदय का मानना है कि वह परिवहन विभाग के साथ मिलकर , इस प्रकार के किसी भी गलत मॉडिफिकेशन के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे. लेकिन सबसे पहले तो इन उच्च अधिकारियों के गाड़ियों से इस प्रकार के बंफर हटाने पड़ेंगे. क्या एआरटीओ और पुलिस के अधिकारी इस पर अमल कर पाएंगे यह देखने वाली बात है . वहीं एक एजेंसी में तैनात इंजीनियर की मानें तो , वाहनों में लगे बंफर से सबसे बड़ा नुकसान खुद वाहन चलाने वाले और उसमें बैठने वालों को है. एक्सपर्ट का कहना है कि जब गाड़ियों में बंफर लग जाते हैं तो एक्सीडेंट होने की स्थिति में सूचना सेंसर तक नहीं पहुंच पाती है जिससे एयर बैग नहीं खुलते. एयर बैग नहीं खुलने के कारण लोगों को गंभीर चोट आ जाती है और कभी-कभी मौत भी हो जाती है. सबसे जरूरी बात जो एक्सपर्ट ने बताई वह यह कि एक्स्ट्रा मॉडिफिकेशन के कारण वाहनों की चपेट में साइकिल इत्यादि भी आ जाती है जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाव के लिए नियमों का पालन कब शुरू होगा ? इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता . जब अधिकारी ही इसके प्रति जागरूक नहीं है तो आम जनता कितनी जागरूक होगी यह सोचने वाली बात है.


Conclusion:हमें यदि वेलफेयर स्टेट के वास्तविक कांसेप्ट को समझना है तो इस बात पर विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है.जानकारी के अभाव या अनभिज्ञता के कारण लोग इस प्रकार के प्रोटेक्शन गार्ड का उपयोग सुरक्षा के लिहाज से करते हैं, जो सुरक्षा तो नहीं हां दुर्घटना का कारण जरूर बन जाता है. प्रशासनिक व्यवस्था को स्वयं पर अमल करते हुए लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए. जिन लोगों को इसकी जानकारी है वह ऐसी जानकारी को दूसरे तक भेजें , जिससे सड़कों पर हो रही दुर्घटनाओं को कम किया जा सके. निश्चित तौर पर हम इस बात के लिए सजग और तैयार रहें की दुर्घटना कभी भी किसी के साथ भी हो सकती है . इसलिए हमें हमारे बचाव के सभी संसाधनों का सदुपयोग करने की जरूरत है.




बाइट -
1 - अंजुल राज शर्मा , ( वाहनों के टेक्निकल एक्सपर्ट एवं एक निजी कार बनाने वाली कंपनी में बतौर इंजीनियर काम करते हैं )

2-पंकज सिंह , एआरटीओ , बाराबंकी .

3- अशोक शर्मा , अपर पुलिस अधीक्षक बाराबंकी.

रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , reporter Barabanki 9628 476 907
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