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बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का खर्चा उठाएगी सरकार...जानें कैसे - सहारनपुर

सहारनपुर में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सत्र 2019-2020 के लिए एक मार्च से 31 मार्च तक आवेदन मंगवाए गए हैं. इस अधिनियम के चलते गरीब अभिभावक भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा सकते हैं, जिसका खर्च सरकार देती है.

आवेदनों के बारे में बताते प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी.
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Published : Mar 12, 2019, 4:31 PM IST

सहारनपुर : सरकार ने 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया था. इसके तहत गरीब परिवार के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं और उनका पूरा खर्च सरकार वहन करेगी. वहीं जहां अभी लोगों में जगरूकता की कमी के चलते आवेदन काफी कम आते थे, वहीं अब दिन-प्रतिदिन आवेदनों की संख्या बढ़ रही है.

आवेदनों के बारे में बताते प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी.


प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय भारती ने बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत एक मार्च से 31 मार्च तक आवेदन मंगवाए हैं. एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू होने पर शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लॉटरी से बच्चों का चयन किया जाता है. इसके लिए शहरी इलाकों में ऑनलाइन और ग्रामीण इलाकों में ऑफलाइन आवेदन किये जा रहे हैं. बाकायदा शासनादेश अनुसार वेबसाइट पर स्कूलों के नामों की लिस्ट भी डाली गई है, ताकि अभिभावक सुविधानुसार अपने बच्चे का दाखिला घर के निकटम स्कूल में करा सके.

जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के 450 से ज्यादा स्कूलों की मैपिंग का ब्योरा वेबसाइट पर डाला गया है. पिछले साल करीब 1567 बच्चों ने उस योजना का लाभ उठाया था और सत्र 2019-2020 के लिए यह संख्या बढ़ने की संभावना है. उन्होंने बताया कि सरकार से बच्चों के लिए पांच हजार रुपये किताबों और स्कूल ड्रेस के लिए अभिभावकों को दिए जाते हैं, जबकि 450 रुपये सरकर ने निर्धारित स्कूल फीस के लिए सीधे स्कूलों में जमा कराई जाती है.

सहारनपुर : सरकार ने 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया था. इसके तहत गरीब परिवार के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं और उनका पूरा खर्च सरकार वहन करेगी. वहीं जहां अभी लोगों में जगरूकता की कमी के चलते आवेदन काफी कम आते थे, वहीं अब दिन-प्रतिदिन आवेदनों की संख्या बढ़ रही है.

आवेदनों के बारे में बताते प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी.


प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय भारती ने बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत एक मार्च से 31 मार्च तक आवेदन मंगवाए हैं. एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू होने पर शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लॉटरी से बच्चों का चयन किया जाता है. इसके लिए शहरी इलाकों में ऑनलाइन और ग्रामीण इलाकों में ऑफलाइन आवेदन किये जा रहे हैं. बाकायदा शासनादेश अनुसार वेबसाइट पर स्कूलों के नामों की लिस्ट भी डाली गई है, ताकि अभिभावक सुविधानुसार अपने बच्चे का दाखिला घर के निकटम स्कूल में करा सके.

जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के 450 से ज्यादा स्कूलों की मैपिंग का ब्योरा वेबसाइट पर डाला गया है. पिछले साल करीब 1567 बच्चों ने उस योजना का लाभ उठाया था और सत्र 2019-2020 के लिए यह संख्या बढ़ने की संभावना है. उन्होंने बताया कि सरकार से बच्चों के लिए पांच हजार रुपये किताबों और स्कूल ड्रेस के लिए अभिभावकों को दिए जाते हैं, जबकि 450 रुपये सरकर ने निर्धारित स्कूल फीस के लिए सीधे स्कूलों में जमा कराई जाती है.

Intro:सहारनपुर : एक ओर जहां प्राइवेट स्कूलों भारी भरकम फीस गरीब और असहाय तो दूर सम्पन्न अभिभावकों के लिए मुसीबत बनी हुई है वही सरकार द्वारा RTE यानि शिक्षा अधिकार अधिनियम योजना से गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ने का मौका मिला है। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत शहरी क्षेत्रों के ही नही ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी प्राइवेट स्कूलों में दाखिला मिल रहा है। 3 से 6 साल के बच्चों का अच्छे और टॉप कॉवेन्ट स्कूलों में दाखिला कराकर पूरा खर्च सरकार वहन कर रही है। प्रभारी बेशिक शिक्षा अधिकारी संजय भारती ने बताया कि इस योजना का लाभ उठाने के लिए शहरी इलाकों के बच्चों के लिए ऑनलाइन और ग्रामीण क्षेत्रों के ऑफलाइन आवेदन हर ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराए जा रहे है। लाटरी द्वारा बच्चों का चयन कर जिले के 450 से ज्यादा कॉवेन्ट एवं मांटेसरी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। जिससे गरीब परिवारों के बच्चे भी अच्छी शिक्षा पा सकेंगे। 





Body:VO 1 - आपको बता दें कि प्राइवेट स्कूलों में मंहगी फीस के चलते गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई करना तो दूर दाखिला भी नाहीबले पाते थे। जिसके चलते सरकार ने शिक्षा अधिकार नियम लागू कर स्कूलों में 25 फीसदी गरीब असहाय बच्चों को दाखिला कराने का जिम्मा लिया। 2011 में लागू होने के बाद शुरू में आवेदन बहुत कम आए लेकिन जैसे जैसे लोग जागरूक हुए तो अपने बच्चों के लिए इस योजना का लाभ उठाना शुरू कर दिया। प्रभारी बेशिक शिक्षा अधिकारी संजय भारती ने ईटीवी को बताया कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत 1 मार्च से 31 मार्च तक आवेदन मंगवाए है। 1 अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू होने पर शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लाटरी द्वारा बच्चों का चयन किया जाता है। इसके लिए शहरी इलाकों में ऑनलाइन और ग्रामीण इलाकों में ऑफलाइन आवेदन किये जा रहे है। बकायदा शासनादेश अनुसार वेबसाइट पर स्कूलों के नामो की लिस्ट भी डाली गई है। ताकि अभिभावक सुविधानुसार अपने बच्चे का दाखिला घर के निकटम स्कूल में मरा सके। सहारनपुर जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो के 450 से ज्यादा स्कूलों की मेपिंग का ब्यौरा वेबसाइट पर डाला गया है। पिछले साल करीब 1567 बच्चों ने उस योजना का लाभ उठाया था और सत्र 2019-2020 के लिए यह संख्या बढ़ने की संभावना है। उन्होंने बताया कि 31 मार्च तक आवेदन किये जाने के बाद सभी आवेदनों का सत्यापन कर पात्र बच्चों का लाटरी सिस्टम से चयन किया जाएगा। चयनित बच्चे का उसके नजदीकी स्कूल में दाख़िता करा दिया जाएगा। सरकार द्वारा 5000 रुपये बच्चे की किताबो और स्कूल ड्रेस के लिए अभिभावकों को दिए जाते है। जबकि 450 रुपये सरकर द्वारा निर्धारित स्कूल फीस के लिए सीधे स्कूलों में जमा कराई जाती है। 

बाईट - संजय भारती ( प्रभारी बेशिक शिक्षा अधिकारी )


Conclusion:रोशन लाल सैनी
सहारनपुर
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