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फर्रुखाबाद: कुम्हारों पर लॉकडाउन की मार, चौपट हुआ मिट्टी के बर्तनों का व्यापार - अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का असर

यूपी के फर्रुखाबाद में मिट्टी के बर्तन तैयार करने वाले कुम्हार खासे परेशान हैं. उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से सभी दुकानें बंद चल रही हैं. इसलिए मिट्टी के बर्तनों की मांग न के बराबर है. ऐसे में उनकी आमदनी का जरिया बिल्कुल ठप है.

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लॉकडाउन से मिट्टी के बर्तनों का व्यापार ठप.
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Published : May 25, 2020, 1:42 PM IST

फर्रुखाबाद: लॉकडाउन की वजह से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इस दौरान मिट्टी के बने बर्तन और दूसरे सामानों की बिक्री तकरीबन ठप है. इस व्यवसाय के जुड़े कुम्हारों के अनुसार, पहले गर्मी शुरू होने पर मिट्टी के बर्तनों की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार सीजन का एक महीना बीत चुका है और खरीददार नहीं आ रहे हैं, जिससे कमाई का कोई जरिया नजर नहीं आ रहा.

दरअसल, लॉकडाउन के कारण शादी समारोह समेत अन्य कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक थी. शादी-विवाह के वक्त मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी बढ़ जाती थी. ऐसे में कुम्हारों के परिवार की रोजी-रोटी चलती थी लेकिन अब इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की स्थिति काफी खराब चल रही है.

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तैयार मिट्टी के बर्तन

गर्मियों में कुल्हड़ की रहती थी खास मांग
गर्मी के सीजन में लोग कुल्हड़ वाली लस्सी पीना खासा पसंद करते हैं. वहीं खास त्योहारों के लिए मिट्टी की मूर्तियां तैयार करने का काम निरंतर चलता रहता था. फिलहाल सभी दुकानें बंद हैं, जिस कारण मिट्टी के बर्तनों का व्यापार ठप पड़ा हुआ है. बहरहाल इस लॉकडाउन ने तमाम गरीबों की कमर तोड़कर रख दी है.

दोगुने दामों पर बिक रही मिट्टी
घड़ा, सुराही सहित मिट्टी की अन्य चीजें तैयार करने वाले अरविंद कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के चलते मिट्टी भी नहीं मिल रही है. अगर मिल भी जाती है तो दोगुने दाम चुकाने पड़ते हैं. वहीं मिट्टी को आकार देकर परिवार पालने वाले सुनील कुमार का कहना है कि लॉकडाउन में बाजार बंद होने से आमदनी ठप है. जान-पहचान वाले कुछ एक ग्राहक ही घड़े ले जाते हैं. इससे कभी-कभी 200 से 300 रुपये मिल जाते हैं.

फर्रुखाबाद: लॉकडाउन की वजह से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इस दौरान मिट्टी के बने बर्तन और दूसरे सामानों की बिक्री तकरीबन ठप है. इस व्यवसाय के जुड़े कुम्हारों के अनुसार, पहले गर्मी शुरू होने पर मिट्टी के बर्तनों की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार सीजन का एक महीना बीत चुका है और खरीददार नहीं आ रहे हैं, जिससे कमाई का कोई जरिया नजर नहीं आ रहा.

दरअसल, लॉकडाउन के कारण शादी समारोह समेत अन्य कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक थी. शादी-विवाह के वक्त मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी बढ़ जाती थी. ऐसे में कुम्हारों के परिवार की रोजी-रोटी चलती थी लेकिन अब इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की स्थिति काफी खराब चल रही है.

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तैयार मिट्टी के बर्तन

गर्मियों में कुल्हड़ की रहती थी खास मांग
गर्मी के सीजन में लोग कुल्हड़ वाली लस्सी पीना खासा पसंद करते हैं. वहीं खास त्योहारों के लिए मिट्टी की मूर्तियां तैयार करने का काम निरंतर चलता रहता था. फिलहाल सभी दुकानें बंद हैं, जिस कारण मिट्टी के बर्तनों का व्यापार ठप पड़ा हुआ है. बहरहाल इस लॉकडाउन ने तमाम गरीबों की कमर तोड़कर रख दी है.

दोगुने दामों पर बिक रही मिट्टी
घड़ा, सुराही सहित मिट्टी की अन्य चीजें तैयार करने वाले अरविंद कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के चलते मिट्टी भी नहीं मिल रही है. अगर मिल भी जाती है तो दोगुने दाम चुकाने पड़ते हैं. वहीं मिट्टी को आकार देकर परिवार पालने वाले सुनील कुमार का कहना है कि लॉकडाउन में बाजार बंद होने से आमदनी ठप है. जान-पहचान वाले कुछ एक ग्राहक ही घड़े ले जाते हैं. इससे कभी-कभी 200 से 300 रुपये मिल जाते हैं.

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