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बदायूं: आलू की फसल को नहीं मिल पा रहा वाजिब दाम, पैदावार भी हुई कम

बंदायू में किसानों को आलू का सही दाम नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि आलू पककर तैयार है और खेतों में खुदाई चल रही है, लेकिन इस बार भी पैदावार में काफी कमी है.

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Published : Feb 28, 2019, 11:13 PM IST

आलू की खेती

बदायूं: सरकार लाख दावे करे कि किसान की आय दोगुनी हुई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. दरअसल, आलू की फसल खेतों में तैयार है. किसानों ने आलू की खुदाई भी शुरू कर दी है, लेकिन मौसम की मार और आलू के कम भाव से किसान बदहाल है.

किसानों को आलू का नहीं मिल रहा सही दाम.

किसानों का कहना है कि इस बार पैदावार भी कम हुई है, जिसकी वजह से किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है. हकीकत ये है कि किसानों की फसलों का बीमा तक नहीं है, जिससे मौसम की मार से फसल बर्बाद होने पर उन्हें अपनी फसल की लागत तक नहीं मिल पाती.

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किसान का आलू पककर तैयार है और खेतों में खुदाई चल रही है, लेकिन इस बार पैदावार काफी कम है. बाजार में 50 से 55 किलो का कट्टा मात्र 230 रुपये में जा रहा है, यानी कि मात्र 4 रुपये किलो आलू बिक रहा है. ऐसे में किसानों के सामने आलू की फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. आलू किसान ने बताया कि पहले तो पैदावार ही कम हुई.

उसके बाद बाजार में इस बार रेट काफी कम है. ऊपर से बारिश ने बहुत नुकसान कर दिया, जिससे इस बार लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है. फरवरी के महीने में इस बार मौसम के बार-बार करवट बदलने से किसानों की गेहूं, सरसों, मसूर और आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ है. कुछ-कुछ समय के अंतराल पर तेज हवा के साथ बारिश और ओलावर्ष्टि ने फसल बर्बाद कर दी है.

वहीं, जब आलू लेकर किसान मंडी में जाता है तो एक कट्टे का मूल्य बमुश्किल 230 रुपये तक मिल पा रहा है, जिससे फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. पूरे मामले पर कृषि अधिकारी का कहना है कि जनपद में बारिश के चलते अगर किसी किसान को कोई नुकसान हुआ है तो वह अपने पास की बैंक शाखा या कृषि केंद्र या जिला कृषि अधिकारी के पास जाकर उन्हें अवगत कराएं. उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्र दे तो तत्काल उसकी समस्या का समाधान किया जायेगा.

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बदायूं: सरकार लाख दावे करे कि किसान की आय दोगुनी हुई है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही है. दरअसल, आलू की फसल खेतों में तैयार है. किसानों ने आलू की खुदाई भी शुरू कर दी है, लेकिन मौसम की मार और आलू के कम भाव से किसान बदहाल है.

किसानों को आलू का नहीं मिल रहा सही दाम.

किसानों का कहना है कि इस बार पैदावार भी कम हुई है, जिसकी वजह से किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है. हकीकत ये है कि किसानों की फसलों का बीमा तक नहीं है, जिससे मौसम की मार से फसल बर्बाद होने पर उन्हें अपनी फसल की लागत तक नहीं मिल पाती.

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किसान का आलू पककर तैयार है और खेतों में खुदाई चल रही है, लेकिन इस बार पैदावार काफी कम है. बाजार में 50 से 55 किलो का कट्टा मात्र 230 रुपये में जा रहा है, यानी कि मात्र 4 रुपये किलो आलू बिक रहा है. ऐसे में किसानों के सामने आलू की फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. आलू किसान ने बताया कि पहले तो पैदावार ही कम हुई.

उसके बाद बाजार में इस बार रेट काफी कम है. ऊपर से बारिश ने बहुत नुकसान कर दिया, जिससे इस बार लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है. फरवरी के महीने में इस बार मौसम के बार-बार करवट बदलने से किसानों की गेहूं, सरसों, मसूर और आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ है. कुछ-कुछ समय के अंतराल पर तेज हवा के साथ बारिश और ओलावर्ष्टि ने फसल बर्बाद कर दी है.

वहीं, जब आलू लेकर किसान मंडी में जाता है तो एक कट्टे का मूल्य बमुश्किल 230 रुपये तक मिल पा रहा है, जिससे फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही है. पूरे मामले पर कृषि अधिकारी का कहना है कि जनपद में बारिश के चलते अगर किसी किसान को कोई नुकसान हुआ है तो वह अपने पास की बैंक शाखा या कृषि केंद्र या जिला कृषि अधिकारी के पास जाकर उन्हें अवगत कराएं. उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्र दे तो तत्काल उसकी समस्या का समाधान किया जायेगा.

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Intro:बदायूँ सरकार लाख वायदे कर ले कि किसान की आय दुगनी हुई है पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है,आलू की फसल खेतो में तैयार है किसानों ने आलू की खुदाई भी शुरू कर दी है,पर मौसम की मार और आलू के कम भाव से किसान बदहाल है। किसानों का कहना है कि इस बार पैदावार भी कम हुई है जिसकी वजह से किसान पर चौतरफा मार पड़ी है,ऐसे में सरकार का किसानों की आय को लेकर किया वायदा मात्र जुमला ही लगता है।


Body:सरकार एक ओर किसानों की आय दुगनी करने की बात करती है,लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि किसानों की फसलों का बीमा तक नही है,जिससे मौसम की मार से फसल बरबाद होने पर उन्हें अपनी फसल की लागत तक नही मिल पाती, किसान का आलू पक कर तैयार है और खेतों में खुदाई चल रही है,लेकिन इस बार पैदावार काफी कम है और बाजार में 50 से 55 किलो का कट्टा मात्र 230 रुपये में जा रहा है यानी कि मात्र 4 रुपये किलो ,ऐसे में किसानों के सामने आलू की फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है,हम ने जब खेत मे आलू खोद रहे किसान से बात की तो उनका कहना था कि पहले तो पैदावार ही कम हुई उसके बाद बाजार में इस बार रेट काफी कम है ऊपर से बारिश ने बहुत नुकसान कर दिया जिससे इस बार लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है। बाइट--किसान


Conclusion:फरवरी के महीने में इस बार मौसम के बार बार करवट बदलने से किसानों की गेहूं,सरसों मसूर और आलू की फसल को काफी नुकसान हुआ है,कुछ कुछ समय के अंतराल पर तेज हवा के साथ बारिश और ओलावर्ष्टि ने फसल बरवाद कर दी है,वहीं जब आलू ले कर किसान मंडी में जाता है तो एक कट्टे का मूल्य बमुश्किल 230 रुपये तक मिल पा रहा है,जिससे फसल की लागत भी नही निकल पा रही है। पीटीसी--समीर सक्सेना बही पूरे मामले पर कृषि अधिकारी का कहना है कि जनपद में बारिश के चलते अगर किसी किसान को कोई नुकसान हुआ है तो वह अपने पास की बैंक शाखा या कृषि केंद्र या जिला कृषि अधिकारी के पास जा कर उन्हें अवगत कराएं और प्रार्थना पत्र दे तो तत्काल उसकी समस्या का समाधान किया जायेगा। बाइट--विनोद कुमार (कृषि अधिकारी) बेमौसम हुई बारिश ने आलू की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है,गेंहूँ समेत वाकी अन्य फसलों को भी काफी नुकसान है,ऐसे में चुनावी मौसम से ठीक पहले आई बरसात ने सरकार के नारे कि किसानों की आय दुगनी हुई है को भी धोने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। समीर सक्सेना बदायूँ 9412655086
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