कुशीनगर : जिले की लोकसभा सीट पर मतदान आखिरी चरण यानी 19 मई को है. इस कारण दिन प्रति दिन चुनाव की सरगर्मी तेज होती दिख रही हैं. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ अब स्थानीय मुद्दे भी चुनावी बहस के केन्द्र बनते दिख रहे हैं. ऐसा ही एक मुद्दा जिला मुख्यालय पडरौना की चीनी मिल का सामने आया है जो वर्षों से बंद पड़ी है. वहां के स्थानीय लोगों को चीनी मिल के मजदूरों को मिल शुरू होने की आस है.
चीनी मिल शुरू नहीं होने से मजदूरों में आक्रोश
- भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाली कानपुर सुगर वर्क्स लि. की पडरौना चीनी मिल वर्षों से बंद पड़ी है.
- लगभग आठ वर्ष पहले की प्रदेश की सरकार ने इसे एक निजी कम्पनी के हाथों में सौंपा था, लेकिन एक दो सत्र चलने के बाद उक्त कम्पनी यहां से अचानक गायब हो गई.
- वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में चीनी मिल के मुद्दे को प्रचार के आखिरी दिन तत्कालीन भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी ने सरकार बनने पर 100 दिन में चलवाने की घोषणा करके अचानक हवा के रुख को अपनी ओर मोड़ लिया था.
- केंद्र में भाजपा सरकार के गठन के बाद चीनी मिल को चलाने के लिए केंद्र से आईं टीमों ने यहां का दौरा भी किया.
- स्थानीय प्रशासन ने चीनी मिल की पूरी सम्पत्ति का आंकलन जल्दबाजी में इस कदर किया कि मामला उच्च न्यायालय तक पहुंच गया.
- कोर्ट के निर्देश पर पुनः संशोधित आंकलन हुआ तो चीनी मिल की परिसम्पत्ति कई गुना बढ़ गई.
- तभी से पडरौना तहसील प्रशासन दो दर्जन से अधिक बार नीलामी की तारीख तय कर चुका, लेकिन कोई खरीददार सामने नहीं आया.
- चीनी मिल का मुद्दा पुनः इस चुनाव में गर्म हो रहा है.
- चीनी मिल मजदूर संघ के नेता ओम प्रकाश लाल ने ईटीवी भारत से कहा कि हम लोगों को काफी आशा मोदी जी और योगी जी से थी, लेकिन सब सपना ही रह गया.
उम्मीदवार भी जीता, बहुमत की सरकार भी बनी, लेकिन चीनी मिल नहीं चली. ये किसान के साथ धोखा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों से झूठ बोलकर वोट लेने का काम किया. उन्होंने बंद मिल को सौ दिन में चलवाने की बात कही थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं.
-राम अवध यादव, एमएलसी, सपा