चन्दौली : बिहार से लेकर यूपी तक ओवरलोड वाहनों का खेल बदस्तूर जारी है. जिसे रोकना एसडीएम हर्ष कुमार को महंगा पड़ गया. चेकिंग के दौरान बालू माफियाओं ने उनकी गाड़ी पर पथराव कर दिया. वहीं पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. लेकिन इन सब के बीच ओवरलोड वाहनों का खेल कैसे चलता है. हम आपको बताते है.
दरअसल बिहार बॉर्डर पर वन विभाग के जैसा एक और अवैध सिस्टम काम करता है. जो बिहार से आने वाली ओवरलोड वाहनों को सीमा पार कराता है. ओवरलोड वाहनों को पार करने में सबसे अधिक भूमिका लोकेशन देने वाले अदा करते हैं. जिसमें इनकी मदद विभाग के कर्मचारी स्वयं करते हैं.
लोकेशन के एवज में ट्रक चालकों से एक फिक्स अमाउंट वसूला जाता है. जो कि सिंडिकेट के तौर पर काम करने वाले सिस्टम में बांटा जाता है. मुनाफे के चक्कर में ओवरलोड ट्रकों को पार करने इस खेल में सरकार को राजस्व का सीधा नुकसान होता है.
वहीं जिले में ओवरलोडिंग वाहनों को रोकने की दूसरी जिम्मेदारी एआरटीओ विभाग की होती है, लेकिन यहां भी बिना सिस्टम की गाड़ियों को पकड़ कर खानापूर्ति की जाती है. जबकि सिस्टम की गाड़ियों को लोकेशन देने वाले दलालों के सहारे पार करा दिया जाता है. जो कि बहुत पुराना खेल है. ट्रकों को पार कराने में वन विभाग के बाद परिवहन विभाग की भूमिका भी संदेह के दायरे में आती है.
गौरतलब है कि एसडीएम हर्ष कुमार पर जिस स्थान पर बालू माफियाओं ने हमला किया था. वहां लगभग दो साल पहले इमरजेंसी चेकिंग के दौरान वाराणसी के आरटीओ पर भी बालू माफिया जानलेवा हमला कर चुके हैं. जिसमें तत्कालीन बहुचर्चित आरटीओ आरएस यादव का नाम सामने आया था. जांच के दौरान पता चला कि परिवहन विभाग के साथ एक अन्य सिस्टम काम कर रहा है. सिस्टम के तहत ओवरलोडेड वाहनों को चंदौली की सीमा से पार कराया जाता है.
इसके लिए बाकायदा टोकन सिस्टम बनाया गया था. जो ट्रक सिस्टम में शामिल थे. उन्हें लोकेशन के जरिए पार करा दिया था. जबकी जो गाड़ियां सिस्टम में नहीं होती थी. उनका चालान कर कार्रवाई की खानापूर्ति की जाती थी. ओवरलोडिंग के इस खेल से आरएस यादव ने अरबों की संपत्ति अर्जित की, और अब जेल में है.
यह पूरी घटना परिवहन विभाग और बालू माफियाओं को साठगांठ बताने के लिए काफी है. हालांकि इस बाबत डीएम चन्दौली का कहना है कि लोकेशन देने वाले मामले की जांच पुलिस जांच कर रही है. जबकि विभागीय लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
ओवरलोडिंग के इस खेल को रोकने के लिए सीएम योगी ने भले ही जीरो टॉलरेंस की बात करते हुए पूर्व में एआरटीओ रहे आरएस यादव पर बड़ी कार्रवाई की हो. लेकिन आज भी ओवरलोडिंग का खेल बदस्तूर जारी है और उसे रोकने वाले सारे सिस्टम इस गोरखधंधे में संस्थागत हो गए. ऐसे में ये कहे कि इस खेल के संरक्षक का नाम बदला है काम नहीं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.