अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में भूकंप, साइक्लोन, बाढ़, हीट वेव आदि का जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को कैसे रोका जाए इस पर विशेषज्ञों ने चर्चा की. कार्यशाला में IIT दिल्ली, रुड़की, मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान के वैज्ञानिक और इंजीनियरों ने प्राकृतिक आपदाओं और उसके निवारण पर अपने विचार रखें.
कार्यशाला के माध्यम से लोगों को बताए गए प्राकृतिक आपदा से बचने के गुर-
- प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए कार्यशाला का आयोजन.
- लोगों को बताए गए आधुनिक तकनीकी से बचाव करने के तरीके.
- कार्यशाला में IIT दिल्ली, रुड़की, मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान के वैज्ञानिक हुए शामिल.
- शोधकर्ताओं ने अपने नए शोध, समाधान और चुनौतियों के पहलुओं पर की चर्चा.
- एक्सपर्ट्स ने इससे बचाव के लिए रखें अपने विचार.
''देश में साइक्लोन, बाढ़ और भूकंप के खतरे रहते हैं. आज लोगों को जानकारी है कि हमें कहां मकान बनाना चाहिए और कहां नहीं बनाना चाहिए. मौसम विभाग के माध्यम से साइक्लोन के आने के पूर्वानुमान का सही समय बताया जा रहा है. जिससे लोगों की जान को बचाई जा रही है. मौसम के पूर्वानुमान में आधुनिक तकनीकी किस तरह की आ रही है. इस पर हो रहे शोध को लोगों को बताया जा रहा है. टेक्नोलॉजी एडवांस हो चुकी है. लेकिन भूकंप के बारे में अभी सही पूर्वानुमान नहीं लगा सकते लेकिन भूकंप आने पर पहले से ही सुरक्षा के उपाय करना जरूरी है.''
आनंद शर्मा, वैज्ञानिक,भारतीय मौसम विज्ञान विभाग
''कंप आने से पहले सही पूर्वानुमान लगाने पर रिसर्च चल रही है. उन्होंने बताया कि भूकंप से बचने के लिए मकानों को भूकंपरोधी बनाना जरूरी है और सरकार की तरफ से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. लेकिन सरकार अकेले इस काम को नहीं कर सकती है. डॉक्टर पाल ने बताया कि सन 2021 में 4.5 मिलियन घर बन जाएंगे. ऐसे में भूकंप रोधी मकान बनाना संभव नहीं है.''
डॉ. डी.के पॉल, वैज्ञानिक, आईआईटी रुड़की