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ओपी राजभर ने क्यों कहा कि नीतीश कुमार और अनुप्रिया पटेल को अब अक्ल आई है!

सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपना दल की अनुप्रिया पटेल पर तंज कसा है. दरअसल ये दोनों दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा हैं और इन्हें सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली है.

ओमप्रकाश राजभर.
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Published : Jun 6, 2019, 12:13 PM IST

बलिया: एनडीए से अलग होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पिछड़ों की अनदेखी को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही उन्होंने अनुप्रिया पटेल के साथ ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इन दोनों नेताओं की बोलती बंद हो गई थी. अब सरकार में हिस्सेदारी न मिलने पर उन्हें अक्ल आ रही है.

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ओमप्रकाश राजभर.

क्या बोले सुभासपा अध्यक्ष

  • आजादी के बाद से ही पिछड़ों की उपेक्षा होती रही है और यह सिलसिला आज भी जारी है.
  • पिछड़ा वर्ग के नेता इस बात को समझ नहीं रहे हैं, अभी भी वे पिछलग्गू बनकर घूम रहे हैं.
  • समय रहते इनकी बोलती बंद हो जाती है और वक्त गुजर जाने के बाद इन्हें अक्ल आती है.
  • अनुप्रिया पटेल और नीतीश कुमार को भाजपा के साथ सरकार में पहले ही अपनी हिस्सेदारी तय करनी चाहिए थी.
  • अब जब उन्हें सरकार में साझीदार नहीं बनाया गया, तब उन्हें अपने ठगे जाने का ख्याल आ रहा है.
  • यह इस बात की मिसाल है कि देश में पिछड़ों के साथ किसी भी राजनीतिक दल ने न्याय नहीं किया.
  • वर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी ऐसी ही बदहाल स्थिति है. देश में कुल 54 फ़ीसदी पिछड़ों की आबादी के हिसाब से उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.
  • आबादी के अनुपात में मंत्री बनाए गए होते तो 54 फीसदी मंत्री पिछड़े और 22.5 फीसदी मंत्री दलितों के होते.
  • इसके बावजूद खुद को पिछड़ों का नेता बताने वाले नेता पिछलग्गू बनकर घूमते हैं, उनकी जुबान पर ताला लगा हुआ है.

बलिया: एनडीए से अलग होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पिछड़ों की अनदेखी को लेकर एक बार फिर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही उन्होंने अनुप्रिया पटेल के साथ ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इन दोनों नेताओं की बोलती बंद हो गई थी. अब सरकार में हिस्सेदारी न मिलने पर उन्हें अक्ल आ रही है.

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ओमप्रकाश राजभर.

क्या बोले सुभासपा अध्यक्ष

  • आजादी के बाद से ही पिछड़ों की उपेक्षा होती रही है और यह सिलसिला आज भी जारी है.
  • पिछड़ा वर्ग के नेता इस बात को समझ नहीं रहे हैं, अभी भी वे पिछलग्गू बनकर घूम रहे हैं.
  • समय रहते इनकी बोलती बंद हो जाती है और वक्त गुजर जाने के बाद इन्हें अक्ल आती है.
  • अनुप्रिया पटेल और नीतीश कुमार को भाजपा के साथ सरकार में पहले ही अपनी हिस्सेदारी तय करनी चाहिए थी.
  • अब जब उन्हें सरकार में साझीदार नहीं बनाया गया, तब उन्हें अपने ठगे जाने का ख्याल आ रहा है.
  • यह इस बात की मिसाल है कि देश में पिछड़ों के साथ किसी भी राजनीतिक दल ने न्याय नहीं किया.
  • वर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी ऐसी ही बदहाल स्थिति है. देश में कुल 54 फ़ीसदी पिछड़ों की आबादी के हिसाब से उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.
  • आबादी के अनुपात में मंत्री बनाए गए होते तो 54 फीसदी मंत्री पिछड़े और 22.5 फीसदी मंत्री दलितों के होते.
  • इसके बावजूद खुद को पिछड़ों का नेता बताने वाले नेता पिछलग्गू बनकर घूमते हैं, उनकी जुबान पर ताला लगा हुआ है.
Intro:बलिया
भाजपा के सहयोगी दल से अलग होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार में पिछड़े वर्ग के मंत्रियों की उपेक्षा हुई है उन्होंने कहा कि अनुप्रिया पटेल जी हो या नीतीश कुमार जी इनको पहले ही तय कर लेना चाहिए था हमारी हिस्सेदारी तय हो तब हम आपके साथ रहेंगे


Body:रसड़ा की पार्टी कार्यालय में अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आजादी के बाद से ही पिछड़ों की उपेक्षा होती रही है और आज भी हो रही है पिछड़े वर्ग के लोग समझ नहीं पा रहे हैं जब समय रहता है तब इनको अक्ल नहीं आती और जब समय निकल जा रहा है तब इनको लगता है कि नहीं हिस्सेदारी नहीं मिली

उन्होंने कहा कि अनुप्रिया जी और नीतीश जी को पहले ही तय कर लेना चाहिए था कि हमारी हिस्सेदारी तय हो तभी हम आपके साथ रहेंगे उस समय ट्विन की बोलती बंद थी और आज ही लोग बोल रहे हैं अपेक्षा चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की सरकार रही हो या जदयू की जिसकी भी केंद्र में सरकार रही है पिछड़ों की उपेक्षा होती रही है

वर्तमान केंद्रीय मंत्रिमंडल को देख लीजिए 54 फ़ीसदी आबादी पिछड़ों की है उस हिसाब से हिस्सेदारी की बात होती तो 54 फ़ीसदी मिनिस्टर पिछड़ों के होते 22.5फीसदी मिनिस्टर दलितों के होते, कहां हिस्सेदारी है सबका साथ सबका विकास कहां है ओबीसी के साथ 100 फ़ीसदी धोखा हो रहा है ओबीसी के पढ़े-लिखे लोग समझ नहीं पा रहे हैं पिछड़ों के जो नेता है वो पिछलग्गू बनके घूमते है उनकी जबान पर जैसे ताला लगा हुआ है उन्हें अपनी और समाज को हिस्सेदारी दिलाने के लिए बोलती बंद है।

बाइट--ओमप्रकाश राजभर---राष्ट्रीय अध्यक्ष,सुभासपा


Conclusion:प्रशान्त बनर्जी
बलिया
9455785050
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