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भदोही से निषाद पार्टी को बीजेपी दे सकती है लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका - निषाद पार्टी

महागठबंधन को छोड़कर निषाद पार्टी अब बीजेपी के साथ अपना चुनावी सफर तय करेगी. निषाद पार्टी बीजेपी से लोकसभा की तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है.

संजय निषाद, पार्टी अध्यक्ष
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Published : Apr 3, 2019, 12:05 AM IST

भदोही: महागठबंधन को छोड़कर आए संजय निषाद की पार्टी की बीजेपी में शामिल होने की खबरें जोरों पर है. ऐसा माना जा रहा है कि, निषाद पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर आम चुनाव लड़ने वाली है. जानकारी के मुताबिकभदोही और जौनपुर की दो सीटें निषाद पार्टी के खाते में आने वाली हैं. वहीं बीजेपी जातिगत समीकरण को साधने के लिए निषाद पार्टी को भदोही लोकसभा सीट का टिकट देने में ज्यादा परेशान नहीं होगी.

निषाद पार्टी अब बीजेपी के साथ मिलकर लडे़गी चुनाव


कुछ ही दिनों पहले मिर्जापुर की विधानसभा सीट माधवा से तीन बार के विधायक रहे रमेश बिंद ने बीएसपी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, तब ऐसा मान जा रहा था कि कहीं बीजेपी रमेश बिंद को भदोही से टिकट ना दे दे, क्योंकि 17 लाख जनसंख्या वाली भदोही लोकसभा सीट पर बिंद समाज की बहुलता है.

2014 के आम चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर वीरेंद्र सिंह मस्त भदोही से चुनकर संसद तक पहुंचे थे. लेकिन 5 सालों में वह जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, जिसकी वजह से उनका टिकट काट दिया गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों पर बीजेपी के 2 प्रत्याशी जीते थे, जिनमें से दीनानाथ भास्कर और रविंद्र त्रिपाठी शामिल थे. दोनों ही प्रत्याशी बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़कर ठीक चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में बीजेपी के पास कोई ऐसा स्थानीय प्रत्याशी नहीं है, जो मजबूती से भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ सके.


अगर भदोही लोकसभा सीट निषाद पार्टी के खाते मेंजाती है, तो जातिगत समीकरण को साधने में बीजेपी काफी सफल होगी. निषाद पार्टी अगर किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को यहां से चुनाव मैदान में उतारती है, तो वह जातिगत आंकड़े को साधने में सफल होगी, क्योंकि यहां 7:30 लाख वोटर बिंद और ब्राह्मण जाति से आते हैं.

भदोही: महागठबंधन को छोड़कर आए संजय निषाद की पार्टी की बीजेपी में शामिल होने की खबरें जोरों पर है. ऐसा माना जा रहा है कि, निषाद पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर आम चुनाव लड़ने वाली है. जानकारी के मुताबिकभदोही और जौनपुर की दो सीटें निषाद पार्टी के खाते में आने वाली हैं. वहीं बीजेपी जातिगत समीकरण को साधने के लिए निषाद पार्टी को भदोही लोकसभा सीट का टिकट देने में ज्यादा परेशान नहीं होगी.

निषाद पार्टी अब बीजेपी के साथ मिलकर लडे़गी चुनाव


कुछ ही दिनों पहले मिर्जापुर की विधानसभा सीट माधवा से तीन बार के विधायक रहे रमेश बिंद ने बीएसपी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, तब ऐसा मान जा रहा था कि कहीं बीजेपी रमेश बिंद को भदोही से टिकट ना दे दे, क्योंकि 17 लाख जनसंख्या वाली भदोही लोकसभा सीट पर बिंद समाज की बहुलता है.

2014 के आम चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर वीरेंद्र सिंह मस्त भदोही से चुनकर संसद तक पहुंचे थे. लेकिन 5 सालों में वह जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, जिसकी वजह से उनका टिकट काट दिया गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों पर बीजेपी के 2 प्रत्याशी जीते थे, जिनमें से दीनानाथ भास्कर और रविंद्र त्रिपाठी शामिल थे. दोनों ही प्रत्याशी बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़कर ठीक चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में बीजेपी के पास कोई ऐसा स्थानीय प्रत्याशी नहीं है, जो मजबूती से भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ सके.


अगर भदोही लोकसभा सीट निषाद पार्टी के खाते मेंजाती है, तो जातिगत समीकरण को साधने में बीजेपी काफी सफल होगी. निषाद पार्टी अगर किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को यहां से चुनाव मैदान में उतारती है, तो वह जातिगत आंकड़े को साधने में सफल होगी, क्योंकि यहां 7:30 लाख वोटर बिंद और ब्राह्मण जाति से आते हैं.

Intro:महागठबंधन को छोड़कर आए संजय निषाद की पार्टी की बीजेपी में शामिल होने की खबरें जोरों पर है ऐसा माना जा रहा है कि निषाद पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर या आम चुनाव लड़ने वाली है ऐसा बताया जा रहा है कि भदोही और जौनपुर की दो सीटें निषाद पार्टी के खाते में आने वाली हैं वहीं बीजेपी जातिगत समीकरण को साधने के लिए निषाद पार्टी को भदोही लोकसभा सीट का टिकट देने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन कुछ ही दिनों पहले मिर्जापुर की विधानसभा सीट माधवा से तीन बार के विधायक रहे रमेश बिंद ने बीएसपी का साथ छोड़ कर भाजपा का दामन थामा था तब ऐसा मान जा रहा था कि कहीं बीजेपी रमेश बिंद को भदोही से टिकट ना दे दे क्योंकि 17 लाख जनसंख्या वाली भदोही लोकसभा सीट पर बिंद की बहुलता है


Body:इस वजह से निषाद पार्टी को मिल सकता है टिकट 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर वीरेंद्र सिंह मस्त भदोही से चुनकर संसद तक पहुंचे थे लेकिन 5 सालों में हुआ जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे जिसकी वजह से उनका टिकट काट दिया गया इसके बाद यहां टिकट लेने के दावेदारों में वीरेंद्र सिंह मस्त की तरह ही सब पैराशूट कैंडिडेट थे ईश्वर से बीजेपी किसी को टिकट देने में कोताही बरत रही थी 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों सीट पर बीजेपी के 2 कैंडिडेट जीते थे जिनमें से दीनानाथ भास्कर और रविंद्र त्रिपाठी थे दोनों ही प्रत्याशी आयातित प्रत्याशी थे दोनों बहुजन का दामन छोड़ कर ठीक चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामे थे ऐसे में बीजेपी के पास कोई ऐसा स्थानीय प्रत्याशी नहीं है जो मजबूती से भदोही लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ सके


Conclusion:अगर यह सीट निषाद पार्टी को दे दी जाती है तो जातिगत समीकरण को साधने में बीजेपी काफी सफल होगी क्योंकि सपा और बसपा के साथ आने की वजह से बीजेपी का भदोही लोकसभा सीट हाथ से निकलता दिख रहा है निषाद पार्टी को अगर टिकट मिलता है और निषाद पार्टी किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को चुनाव में खड़ा करती है तो वह जातिगत आंकड़े को साधने में सफल होगी क्योंकि यहां 7:30 लाख वोटर बिंद और ब्राह्मण जाति से आते हैं ऐसे में ज्ञानपुर विधानसभा की सीट निषाद पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़कर बाहुबली विधायक विजय मिश्रा ने बीजेपी को हार का स्वाद चख आया था हालांकि वह बाद में निषाद पार्टी से अलग हो गए ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर रंगनाथ मिश्रा को गठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाता है तो निषाद पार्टी विजय मिश्रा को अपना उम्मीदवार बना सकती है देखना ही होगा कि क्या यह बीजेपी दाव खेलती है या नहीं या तो टिकट बंटवारे के बाद ही पता चलेगा visual LU smart pr hai byte ftp pr bhadohi nishad party naam se hai
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